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बोले फतेहपुर: आपने आखिर क्यों लटका रखे हैं 800 लाइसेंस...

Fatehpur News - फतेहपुर में 2870 दवा कारोबारियों को लाइसेंस नवीनीकरण में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते 800 लाइसेंस लम्बित हैं। दवा व्यापारी नरेश मिश्रा और अन्य ने बताया कि नई ऑनलाइन...

Newswrap हिन्दुस्तान, फतेहपुरWed, 19 Feb 2025 08:59 PM
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बोले फतेहपुर: आपने आखिर क्यों लटका रखे हैं 800 लाइसेंस...

फतेहपुर। फतेहपुर में 2870 दवा कारोबारी इन दिनों तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं। अपनी परेशानी को प्रशासन तक पहुंचाने के लिए जिला स्तर पर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन बने हैं लेकिन संगठन के पदाधिकारी दवा कारोबारियों की समस्याओं को लेकर प्रशासनिक उदासीनता से परेशान हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान दवा व्यापारी नरेश मिश्रा ने बताया कि मेडिकल स्टोर के लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए विभाग के चक्कर लगाकर कारोबारी परेशान हो जाते हैं। हालात ये हैं कि इस समय 800 के करीब लाइसेंस का नवीनीकरण लटका हुआ है। इनमें भी करीब 25 ऐसे मेडिकल स्टोर हैं, जिनका नवीनीकरण एक साल से ज्यादा समय से रुका है। व्यापारी ब्रजेश का कहना है कि दवा कारोबारी लाइसेंस के चक्कर में गोली खा रहे हैं। विभागीय अधिकारियों का रवैया भी दवा कारोबारियों के प्रति उदासीनता भरा है।

मेडिकल स्टोर संचालक प्रवीण पांडेय बताते हैं कि पहले लाइसेंस, नवीनीकरण के लिए 'निमेष मित्र' एप का प्रयोग होता था। अब ओएनडीएलएस नाम की साइट पर आवेदन करना होता है। इसमें 2019 से पहले के लाइसेंस धारकों के नवीनीकरण नहीं हो पा रहे हैं। दरअसल इस साइट के पास 2019 के पहले के अपडेट ही नहीं हैं। पुराना रिकार्ड अपडेट न होने से यदि 2019 से पहले का लाइसेंस नवीनीकरण कराना है तो इसमें औषधि निरीक्षक की रिपोर्ट को लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। जिसको लेकर कारोबारी केमिस्ट औषधि आयुक्त से लेकर निरीक्षकों के चक्कर लगाते रहते हैं। इस प्रक्रिया में अवैध वसूली बढ़ गई है। बताया कि हर पांच साल में लाइसेंस का नवीनीकरण कराया जाता है। दवा कारोबार से जुड़े कमल बताते हैं कि इन दिनों नए लाइसेंस बनवाने के लिए एक सिंडीकेट चल रहा है। वहां से लाइसेंस का आवेदन होगा तभी मिलेगा, दूसरे कहीं से हुआ है तो आवेदन के साथ उससे बार-बार इतने प्रपत्र मांगे जाएंगे और आखिर में रिजेक्ट कर दिया जाएगा। नगर उपाध्यक्ष विवेक पांडेय बताते हैं कि जन औषधि केंद्रों से बिकने वाली पेटेंट और स्टैंडर्ड दवाओं पर तत्काल रोक लगनी चाहिये। जन औषधि के लाइसेंस पर पेटेंट दवाएं बेची जा रही हैं।

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सुझाव

- जन औषधि केंद्र पर जेनेरिक दवाओं के अलावा अन्य दवाओं की बिक्री पर तत्काल रोक लगे।

- लाइसेंस और नवीनीकरण की प्रक्रिया सरल की जाए, अधिकारियों की लापरवाही पर रोक लगे।

- लाइसेंस की नई साइट पर पुराने लाइसेंस मर्ज किए जाएं, ताकि नवीनीकरण के लिए परेशान न होना पड़े।

- आवेदन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए, नियम सूची औषधि कार्यालय में चस्पा की जाए।

- जन औषधि केंद्र पर जेनरिक दवाओं के अलावा अन्य दवाओं की बिक्री पर तत्काल रोक।

- मोनोपोली दवाओं पर प्रतिबंध लगे, जो डॉक्टर खुद की दवा मरीजों को दे कार्रवाई की जाए।

- नार्कोटिक्स दवाओं की बिक्री के नियमों पर विचार कर परिवर्तन किया जाए।

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शिकायतें

- ऑनलाइन माध्यम से दवाओं की बिक्री से कारोबार चौपट हो रहा है।

- लाइसेंस आवेदन और नवीनीकरण की प्रक्रिया काफी जटिल है, अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

- नई साइट पर पुराने लाइसेंस अपडेट न होने से नवीनीकरण बहुत मुश्किल हो गया है।

- कैटेगरी से हिसाब से दवाओं पर अलग-अलग दर से टैक्स लग रहा है।

- जनऔषधि केंद्र पर अन्य दवाओं की बिक्री से ग्राहक वहां पर चला जाता है।

- डॉक्टर परार्मश के साथ दवा भी साथ में दे रहे हैं, चेकिंग के नाम पर संचालक परेशान किए जा रहे हैं।

- जरूरी दवाएं नार्कोटिक्स की श्रेणी में आने से बिक्री के लिए नहीं रख पा रहे हैं।

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बोले दवा व्यापारी

ऑनलाइन दवा बिक्री बढ़ने से मेडिकल स्टोर का कारोबार प्रभावित हुआ है। इस पर सरकार को रोक लगानी चाहिए।

-राम प्रसाद गुप्ता

मोनोपोली दवाओं पर रोक लगनी चाहिए, डॉक्टर सिर्फ परामर्श देकर दवा लिखे, ग्राहक अपने मन से दवा खरीदेगा।

-पदमाक्ष यादव

नई साइट में खामियां बहुत हैं। पूरे नियम ही साइट पर उपलब्ध नहीं हैं। लाइसेंस नवीनीकरण में दिक्कत आती है।

-राजीव गुप्ता

जन औषधि के लाइसेंस पर दूसरी दवाएं बेचने वालों पर कार्रवाई हो, लाइसेंस निरस्त हो। इससे मेडिकल स्टोरों को नुकसान होता है।

-विवेक पांडेय

2022 से कई लोगों के नवीनीकरण रुके पड़े हैं। नई साइट में पुराने लाइसेंस मर्ज कर देने चाहिये।

-लोकेंद्र सिंह

शहर के अधिकांश हॉस्पिटल में मेडिकल स्टोर खुले हैं, जबकि अस्पताल में 44 सौ रुपये तक की दवाएं रख सकते हैं।

-विकास सिंह

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बोले जिम्मेदार

लाइसेंस और रिन्यूवल की आनलाइन प्रक्रिया है। यह पूरी तरह से पारदर्शी है। पोर्टल पर जो भी दस्तावेज मांगे जाते हैं, वही आवेदक को अपलोड करने होते हैं। दवा व्यापारियों और उनके संगठन को कोई समस्या आ रही है तो वह किसी भी समय कार्यालय आकर अवगत करा सकते हैं। जो भी आरोप उनके और विभाग पर लगाए जा रहे हैं। वह बेबुनियाद और गलत हैं।

- संजय दत्त, डीआई

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