असहट में नपं कार्यालय, मंडी व थाना भी सीमा के बाहर
किशनपुर नगर पंचायत की दुर्दशा बढ़ती जा रही है। नगर पंचायत का क्षेत्रफल 3464.2577 हेक्टेयर है, लेकिन सरकारी दफ्तर नगर पंचायत की सीमा से बाहर हैं। राजनीतिक शून्यता और प्रशासनिक खामियों के कारण सीमा...
विजयीपुर, संवाददाता। सबसे प्राचीन नगर पंचायत किशनपुर की फूले गुब्बारे के फूटने जैसा है। कहने को आगरा के साथ नगर पंचायत बनी थी लेकिन दुर्दशा बद से बदतर में है। सीमा विस्तार नहीं होने से नगर पंचायत अपना अस्तित्व बचा पाने में अक्षम रहा है। हालत यह है कि नगर पंचायत कार्यालय, थाना, मंडी समिति, उपस्वास्थ्य केन्द्र समेत अधिकतर सरकारी दफ्तर कहने को नगर पंचायत किशनपुर में है लेकिन वह नगर पंचायत की सीमा से अलग किसी ग्राम पंचायत में स्थित है। समस्या से निजात के लिए नपं के सीमा प्रस्ताव की फाइल एक साल से दफ्तरों में धूल फांक रही है लेकिन जिम्मेदार आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।
नगर पंचायत किशनरपुर का क्षेत्रफल 3464.2577 हेक्टेयर और आबादी लगभग 10 हजार है। नगर पंचायत के दस 10 वार्ड जिसमें सात वार्ड महावतपुर असहट की जमीन और दो वार्ड रामपुर की जमीन में बसे हैं। ब्रिटिश हुकूमत में नगर पंचायत बनाने के बाद से आज तक सीमा विस्तार नहीं होने और लगातार आबादी बढ़ने से नपं की सीमा सीमित रह गई। और नगर के लोग आसपास के राजस्व गांव महावतपुर असहट एवं रामपुर में बस गए। यहां तक की कृषि उत्पादक मंडी, पशु अस्पताल, उप स्वास्थ्य केंद्र, नगर पंचायत कार्यालय, थाना परिसर, पानी टंकी पंप सेट सहित सभी कार्यालय नगर सीमा के बाहर हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि नपं के सारे सरकारी दफ्तर बाहर है कि किशनपुर नपं कहां है.?
राजनैतिक शून्यता पड़ रही भारी
नगर के सीमा विस्तार पर राजनैतिक शून्यता और आपसी खींचतान भारी पड़ रही है। एक साल पूर्व सीमा बढ़ाओ अभियान चलाया गया था। नगर अध्यक्ष से लेकर विधायक सांसद तक मौजूद थे। सीमा विस्तार की फाइल बढ़ी लेकिन प्रशासनिक खामियों के कारण ठंडे बस्ते में पड़ी है। जिसका खामियाजा नगर की 10 हजार आबादी को भुगतना पड़ रहा है।
इन गांवों को शामिल करने का है प्रस्ताव
नगर पंचायत ने 20 जून 2023 को पहली बोर्ड बैठक में ही नगर पंचायत ने सीमा विस्तार का प्रस्ताव पास कर महावतपुर असहट, मडौली,पहाड़पुर, रामपुर प्रथम द्वितीय ,रायपुर भसरौल के समस्त मजरे सरौली ,पहोरा, अहमदगंज तिहार ,एकडला ,गढा के समस्त मजरे ,रारी, गोदौरा सोनेमऊ, विजयीपुर आदि राजस्व गांव को मिलाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था लेकिन डीएम कार्यालय से समस्त गांव के गाटा संख्या की विस्तृत रिपोर्ट के लिए पुनः तहसील प्रशासन को फाइल भेजी गई थी। तब से सीमा विस्तार की फाइल एसडीएम दफ्तर में धूल फांक रही है।
सरकाी योजनाएं है पर जमीन नहीं
नगर पंचायत में सरकारी योजनाएं आती हैं भूमि न होने के कारण विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं करोड़ों की लागत से बनने वाला शवदाह गृह कई साल हो गए अब तक नहीं बन पाया। कूड़ा कलेक्शन के लिए एमआरएफ केंद्र बनना था। सालों विवाद के बाद एकडला गांव में बना लेकिन अब तक चालू नहीं हुआ।
-पहली बोर्ड बैठक में सीमा विस्तार का प्रस्ताव पास हुआ था। प्रभारी मंत्री और मुख्यमंत्री से मिलकर भी सीमा विस्तार के लिए पत्र दिया गया लेकिन राजस्व टीम की हीला हवाली से मामला ठंडा में है। सीमा विस्तार न होने से नगर में विकास कार्य कराने में असुविधा हो रही है।
सुरेन्द्र सोनकर, चेयरमैन नपं किशनपुर
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