Hindi NewsUttar-pradesh NewsFatehpur NewsGreen vegetables are being removed from the reach of the poor

गरीबों की पहुंच से दूर होती जा रही हरी सब्जी

Fatehpur News - सब्जी के लगातार बढ़ रहे दामों से गरीबों की पहुंच से सब्जियां दूर होती जा रही है। हरी सब्जियों पर छाई मंहगाई से गरीबों की कमर ही टूट चुकी है। इसके साथ ही सस्ता रहने वाला सब्जियों का राजा आलू भी अपने...

Newswrap हिन्दुस्तान, फतेहपुरWed, 26 Aug 2020 04:23 PM
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सब्जी के लगातार बढ़ रहे दामों से गरीबों की पहुंच से सब्जियां दूर होती जा रही है। हरी सब्जियों पर छाई मंहगाई से गरीबों की कमर ही टूट चुकी है। इसके साथ ही सस्ता रहने वाला सब्जियों का राजा आलू भी अपने पूरे सबाब पर है जिससे गरीब सोंच में पड़ गए है कि क्या खाएं क्या न खाएं। बीते दिनों गंगा का जलस्तर बढ़ने के बाद तराई वाले क्षेत्रों में बोई जाने वाली हरी सब्जियों से डूबने से लगातार मंहगाई बढ़ती जा रही है।

कोरोना काल के साथ ही बदलते मौसम में बीमारियों से बचने के लिए गरीबों के सामने केवल हरी सब्जियों का ही विकल्प बचता है। इसके अलावा पौष्टिक आहार में शुमार घी व दूध तो गरीबों की रसोई से पहले ही दूरी बना चुके है। लेकिन बीमारियों के इस सीजन में एकाएक बढ़े हरी सब्जियों के दामों के बाद गरीब व मध्यमवर्गीय की पहुंच से हरी सब्जी भी दूर होती जा रही है। सब्जियों के आसमान चढ़े भाव नें गरीबों की रसोई पर प्रभाव डाला है ऐसे में गरीबों की थाली से हरी सब्जी के गायब होने के बाद बीमारियों से बचने के सारे रास्ते बंद होते दिखाई देने लगे है। आलू, टमाटर, लौकी व तरोई के भाव सुनकर ही लोगों की धड़कने तेज होने लगती है तो खरीदना तो दूर की बात है। फुटकर सब्जी विक्रेता मो. अरबाज का कहना है कि करीब पंद्रह दिनों पहले सब्जियों के भाव सामान्य थे लेकिन यहां की सब्जियों के बाहर जाने के साथ ही बाहर की सब्जी यहां आने से दाम आसमान पर पहुंचते जा रहे है। इसके साथ ही तराई वाले इलाकों से सब्जी न आने से भी दामों मे प्रभाव पड़ा है।

इनसेट

सब्जियों के दामांे पर एक नजर

सब्जी दाम प्रति किलो

आलू 40

टमाटर 70

तरोई 30

करेला 40

कद्दू 30

परवल 70

लौकी 30

टिण्डा 40

भिण्डी 40

खीरा 40

लहसुन 160

धनियां 300

मिर्चा 60

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