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बोले फतेहपुर: इस मंडी में मोलतोल होता है..पर तौल नहीं

Fatehpur News - फतेहपुर की मंडी समितियों में किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सुविधाओं की कमी के चलते किसान तौल के लिए दूर तक भटकते हैं। मंडी में सफाई, शौचालय और सुरक्षा की कमी है। किसानों को अपनी उपज...

Newswrap हिन्दुस्तान, फतेहपुरThu, 20 Feb 2025 08:39 PM
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बोले फतेहपुर: इस मंडी में मोलतोल होता है..पर तौल नहीं

फतेहपुर। शहर की मंडी समिति सालों पहले गुलजार रहती थी, लेकिन सुविधाओं के आभाव में धीरे-धीरे यह किसानों का ‘मोह खोती जा रही है। ऐसे ही कुछ हालात दोआबा के सभी पांच मंडी समितियों का है। करोड़ों का राजस्व प्रतिमाह देने के बाद भी गल्ला व्यापारी सुविधाओं से महरूम हैं। किसान अनाज लेकर आकर आता है लेकिन तौल की सुविधा न होने की वजह से उसे बाहर तौल करानी पड़ती है। तौल के चक्कर में कई किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। यह तब है जब सरकार को हर साल मंडी समितियों से 21 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। इसके बावजूद मंडी में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। बारिश के मौसम में मंडी परिसर से जल निकासी की समुचित व्यवस्था न होने से मंडी तालाब सी नजर आती है। किसान इधर आने से ही कतराते हैं। आम दिनों में यहां सफाई व्यवस्था चौपट है। शौचालय की कमी, विश्राम गृह न होना बड़ी समस्या बन चुका है। अन्य समस्याओं से भी व्यापारियों और किसानों को परेशानी का सामना करना होता है।

जिले में मुख्यालय समेत खागा, बिंदकी, जहानाबाद एवं किशनपुर मंडी समिति में करीब 35 सौ से अधिक पंजीकृत गल्ला व्यापारी हैं। जहां करीब दो हजार पल्लेदारों व प्रतिदिन आने वाले किसानों व व्यापारियों को जोड़ लिया जाए तो यह संख्या पांच हजार से ऊपर पहुंच जाती है। वीरेंद्र कहते हैं कि व्यापारियों के लाइसेंस संख्या के मुकाबले मंडी में दुकानों की भारी कमी है। आने वाले गल्ले की मात्रा को देखते हुए टीन शेड भी पर्याप्त नहीं हैं। जो हैं वे कई जगह से टूटे हैं। ऐसे में किसानों और व्यापारियों को अपने अनाज को खुले में छोड़ना पड़ता है। कई व्यापारी सड़क किनारे फुटपाथ पर फट्टी बिछाकर अपना व्यापार संचालित कर रहे हैं। मंडी का विस्तार न होने के कारण परिसर में आने वाले किसानों और आगंतुकों को भी ठिकाना नहीं मिल पाता है। भंडारण के लिए खाद्य गोदाम तो दूर की बात है। मंडियों में आने वाले किसान यहां की समस्याओं को देखते हुए गांव और घरों में ही अपंजीकृत व्यापारियों को ही अपनी उपज बेच देना मुनासिब समझते हैं। इससे राजस्व की हानि होती है। जबकि इन समस्याओं को लेकर गल्ला व्यापारी कई बार शासन-प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हुई। मंडी समितियों के हालात बदतर हो रहे हैं। सड़क, पीने का पानी, सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के न होने से आढ़ती व पहुंचने वाले किसान खासे परेशान हैं। करोड़ों का कारोबार होने के बाद भी थोक गल्ला मंडी सुविधाओं के मानक में अधूरी है। व्यापारियों की बातें शासन तक नहीं पहुंच पातीं। ऐसे में यहां पर व्यापारी खुद को ठगा जैसा महसूस करते हैं। हर चुनावों में राजनीतिक रोटियां तो सेंकी गईं पर हल नहीं निकला।

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शिकायतें

- मंडी परिसर में धर्म कांटा का न होना, जिससे तौल के लिए भटकना पड़ता है

- टीन शेड न होने से खुले में धान पड़ा रहता है, कई बार धान खराब भी हो जाता है

- सड़क पर गंदगी के बीच गल्ला पड़ा होने से भी गल्ला खराब होने की आशंका रहती है।

- पीने के पानी की परिसर में व्यवस्था न होना, यहां आने वाले लोगों को भटकना पड़ता है।

- शौचालय में फैली गंदगी की वजह से लोगों को काफी दिक्कत होती है।

- परिसर में सुरक्षा को देखते हुए चाहरदीवारी न होने से चोरी आदि का डर हमेशा बना रहता है।

- सुरक्षा में लगे गार्ड को विभिन्न समस्याएं होती हैं, जिन पर कोई ध्यान नहीं देता है।

- बैठने के लिए परिसर के अंदर व्यवस्था नहीं है।

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सुझाव

- किसानों के साथ-साथ आढ़तियों के लिए कैंटीन की व्यवस्था की जानी चाहिए।

- बिजली के तारों व पोलों को व्यवस्थित ढंग से लगवाना चाहिए।

- वाहनों के आवागमन की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए, संपर्क मार्ग की मरम्मत हो ।

- किसानों को रात में ठहरने की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए।

- मंडी समिति में अलाव आदि की व्यवस्था कराई जाए।

- खरीदे गए गल्ले को सुरक्षित करने के लिए मजबूत टीन शेड लगाए जाएं।

- गार्ड के लिए शेड की व्यवस्था कराई जानी चाहिए, ताकि सुरक्षा सही से हो सके।

- साफ-सफाई की पर्याप्त व्यवस्था करानी चाहिए।

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बोले व्यापारी

मंडी समिति के अंदर दी जाने वाली व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं हैं। कई बार मांग किए जाने के बावजूद अव्यवस्थाओं में सुधार नहीं किया जा रहा। इस वजह से आढ़ती और व्यापारी गल्ला मंडी से दूर भाग रहे हैं।

- शिवनारायण

मंडी समिति के अंदर धर्मकांटा की कोई व्यवस्था न होने के कारण धान तौल कराए जाने के लिए लंबा चक्कर काटना पड़ता है। साथ ही तौल के लिए दूर जाने के दौरान समय भी अधिक खराब होता है। जिससे परेशानी होती है।

- दीपक कुमार

सरकारी गल्ला को तो टीन शेड के नीचे रखवा दिया जाता है। लेकिन आढ़तियों के गल्ला को खुले में ही रखवाया जाता है। जिससे बारिश के समय गल्ला के भीगने के कारण खासी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

- आकिल

मंडी समिति के अंदर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। जिससे सुरक्षा के दृष्टिगत निजी कर्मचारियों की तैनाती करनी पड़ती है। जिससे अतिरिक्त धन खर्च करने के कारण नुकसान उठाना पड़ता है। इसकी व्यवस्था होनी चाहिए।

- जितेंद्र

मंडी परिसर के शौचालय में गंदगी होने के कारण खुले में शौच के लिए परेशान होना पड़ता है। जो शौचालय बने भी हैं वह या तो बहुत गंदे हैं या उनमें ताला पड़ा रहता है। इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है।

- जलील अहमद

मंडी समिति परिसर के अंदर अव्यवस्थाएं होने के कारण किसान अधिकतर यहां से दूरी बनाए रहते हैं। सुधार के लिए कई बार मांग किए जाने के बावजूद कुछ नहीं हुआ।

- वीरेंद्र मिश्रा

गल्ला लेकर आने वाले किसानों के साथ ही यहां पर काम करने वाले पल्लेदारों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। उनके लिए न तो बैठने के पर्याप्त इंतजाम हैं न ही सुविधाएं।

- कृष्णचंद्र बाजपेई

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बोले जिम्मेदार

मंडी शहर से बाहर है, इसके कारण आढ़ती थोड़ा कम पहुंचते हैं। धर्मकांटा के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। जल्द प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वहां खाली पड़ी जमीन पर वन विभाग लकड़ियां रखता है। उसका किराया भी वसूला जाता है। यदि आढ़तियों को उससे दिक्कत होगी तो वह जमीन खाली कराई जाएगी।

- सालिकराम सरोज, सचिव मंडी समिति राधानगर

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