देशी की 314 व अंग्रेजी बियर की सौ दुकानें आवंटित
Fatehpur News - देशी की 314 व अंग्रेजी बियर की सौ दुकानें आवंटितदेशी की 314 व अंग्रेजी बियर की सौ दुकानें आवंटितदेशी की 314 व अंग्रेजी बियर की सौ दुकानें आवंटितदेशी क

फतेहपुर,संवाददाता। आबकारी दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया ई-लाटरी के जरिये गुरुवार को को शहर स्थित पटेल प्रेक्षागृह में संपन्न हुई। कुछ की एक ही आवेदन में लाटरी निकल आई तो वहीं कई ऐसे भी रहे जिनको दस आवेदन के बाद भी मायूस होकर लौटना पड़ा। एक भी लाटरी उनके या उनके परिजनों के नाम नहीं खुली। करीब दो घंटे तक चली लाटरी प्रक्रिया के बाद विभाग ने आवंटित आबकारी दुकानों की सूची जारी कर दी। जिसमें देशी की 314, अ्रंगेजी और बियर (कंपोजिट) की 100, एक माडल शॉप और 27 भांग की दुकानों का आंवटन लाटरी के जरिए हुआ। गुरुवार सुबह से ही प्रेक्षागृह में आवेदकों की भारी भीड़ जमा होने लगी थी। सुरक्षा के दृष्टिगत भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। सुबह दस बजे शासन से नामित नोडल अधिकारी प्रभु नारायण सिंह गन्ना आयुक्त, डीएम रवींद्र सिंह और एसपी धवल जायसवाल सहित जिला स्तरीय चयन समिति के सामने ई-लाटरी की प्रक्रिया शुरु हुई। जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि देशी मदिरा की कुल 314 दुकानों, कम्पोजिट शॉप की कुल 100 दुकानों, मॉडल शॉप की कुल एक दुकान एवं भांग की कुल 27 दुकानों को ई-लॉटरी प्रक्रिया में शामिल किया गया। उक्त दुकानों के सापेक्ष देशी मदिरा की कुल 317 दुकानों पर कुल 2526 आवदेन, कम्पोजिट शॉप की कुल 100 पर 2409 आवेदन, मॉडल शॉप की कुल एक दुकान पर 10 आवेदन तथा भांग की कुल 27 दुकानों पर 163 आवेदन ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त हुए। जिला स्तरीय समिति द्वारा ई-लॉटरी प्रक्रिया में सम्मिलित किया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका पर आये आदेश के क्रम में जिले की तीन शराब दुकानों धाता, मांझेपुरवा और गहरूखेड़ा की ई-लॉटरी स्थगित रखते शेष दुकानों पर प्रक्रिया संपन्न हुई। बताया कि ई-लॉटरी का परिणाम हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ में योजित रिट याचिका में पारित आदेश के अधीन होगा।
कई पुराने शराब कारोबारियों को मिली मायूसी
ई-लाटरी के जरिये हुई दुकान आवंटन की प्रक्रिया में दशकों से शराब करोबार कर रहे व्यवसाईयों को अपेक्षाकृत कम दुकानों का आवंटन हुआ। जिससे उनके चेहरे लाटरी प्रक्रिया के बाद उतरे नजर आए। एक पूर्व मंत्री ने जिले की दुकानों के लिए अपने परिजनों व सगे संबंधियों, नाते रिश्तेदारों के नाम पर एक सैकड़ा से अधिक आवेदन किये थे। जिनमें से मात्र 15 दुकानें ही आवंटित हो पाईं।
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