पांच साल बाद भी अंग्रेजी स्कूलों को नहीं मिले शिक्षक
फतेहपुर जिले में बेसिक शिक्षा विभाग ने 2018 में घोषित अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की। 94 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने का निर्णय लिया गया था,...
फतेहपुर/खागा, संवाददाता एक के बाद एक शैक्षिक सत्र समाप्त होने के बाद छठा सत्र भी आधा से अधिक सफर तय कर चुका है लेकिन जिले का बेसिक शिक्षा विभाग पांच वर्ष पूर्व घोषित किए गए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को शिक्षक मुहैया नहीं करा सका। शासन ने 2019 में 2018 के बाद लगातार दूसरे सत्र में प्रत्येक ब्लॉक से चिन्हित हिन्दी माध्यम स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में परिवर्तित करने का फरमान सुनाया था। शासन की मंशा के मुताबिक जिले के 75 प्राथमिक एवं 19 उच्च प्राथमिक स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का दर्जा प्रदान कर शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
2018 में पहले सत्र की सफलता को देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने तय किया था कि अगले शैक्षिक सत्र में भी नए चयनित किए गए प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम से शिक्षा दी जाएगी। शासन ने उच्च प्राथमिक स्कूलों को भी अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित करने का फैसला किया था ताकि अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक स्कूलों से निकलने वाले छात्रों को जूनियर स्तर में भी परिषदीय स्कूलों में ही अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा हासिल हो सके। जिले से कुल 94 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित करने का फैसला किया गया। पांच सौ से अधिक शिक्षकों ने इन स्कूलों में पदस्थापित होने के लिए आवेदन किए थे। विभाग आवेदन करने वाले शिक्षकों की लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार पहले ही करा चुका है। इसके बाद एक शासनादेश का हवाला देकर विभाग ने पदस्थापन नहीं किया।
कागज में अंग्रेजी जमीन में हिन्दी
विभाग ने जहां 2018 के पहले सत्र में 65 प्राथमिक स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बदला था तो वहीं 2019 में 19 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल करते हुए कुल 94 स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम का दर्जा दिया था। नव चयनित अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की पदस्थापना न होने से इन स्कूलों में हिन्दी माध्यम से ही पढ़ाई होती रही।
लेकिन नई शिक्षा नीति यह कहती है
नई शिक्षा नीति 2020 में प्राथमिक स्तर में बच्चों की पढ़ाई मातृभाषा में कराने के निर्देश दिए गए हैं। काफी समय से यह सवाल भी उठ रहे हैं कि प्राथमिक स्तर के अंग्रेजी स्कूलों में कब से मातृभाषा में पढ़ाई की जाएगी।
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