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बोले फर्रुखाबाद:सुरक्षित माहौल देने के साथ ही चलाए जाएं पिंक ऑटो

Farrukhabad-kannauj News - कामकाजी महिलाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शौचालयों की कमी, जाम की समस्या और सुरक्षा की कमी से परेशान हैं। महिलाओं का कहना है कि कार्यालयों में साफ-सुथरे टॉयलेट्स की व्यवस्था होनी चाहिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, फर्रुखाबाद कन्नौजSun, 23 Feb 2025 12:40 AM
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बोले फर्रुखाबाद:सुरक्षित माहौल देने के साथ ही चलाए जाएं पिंक ऑटो

परिवार के साथ बाहर काम करना कोई आसान नहीं है। कामकाजी महिलाओं को उतनी सहूलियतें नहीं मिल रही हैं जिनती मिलनी चाहिए। ऑफिसों में कहीं अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं है तो कहीं पर वह इतने गंदे रहते हैं कि उसमें जाया नहीं जा सकता। सबसे अधिक समस्या शहरी क्षेत्र में जाम की रहती है। कामकाजी महिलाएं जब जाम में फंसकर दफ्तर या फिर अन्य कार्य स्थल पर पहुंची हैं तो उन्हें शर्मिंदगी का शिकार होना पड़ता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बीमा क्षेत्र समेत विभिन्न कार्यों में लगीं कामकाजी महिलाओं से आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने बातचीत की तो उनकी पीड़ा सामने आ गयी। काम काजी महिला आकांक्षा सक्सेना कहती हैं कि सबसे पहले तो टॉयलेट साफ कराए जाने चाहिए। ऑफिस हो या अन्य कहीं,टॉयलेट कभी साफ नहीं मिलते। इसके बाद सबसे पहले हमें सेफ माहौल चाहिए। रास्तों पर सीसीटीवी कैमरे लगने चाहिए। साथ ही आवागमन को पिंक बसें या पिंक ऑटो चलने चाहिए।

रूबी सिंह कहने लगीं कि घर के काम खत्म करने के बाद जब ऑफिस के लिए निकलती हैं तो रोज जाम के झाम में फंसना पड़ता है। ऐसे में देरी से पहुंचने पर शर्मिंदगी का शिकार होना पड़ता है। निहारिका पटेल कहती हैं कि दिल्ली की तर्ज पर यहां पर भी कामकाजी महिलाओं के लिए काम के दिन पांच ही होने चाहिए इससे उन्हें परिवार के बीच संतुलन बनाना काफी बेहतर हो जाएगा। शिवानी सिंह कहती हैं कि सरकारी नौकरी हो या फिर शॉपिंग माल, निजी कारखाने, हर क्षेत्र में महिलाएं आगे आकर भागीदारी कर रही हैं। मगर घर से निकलने वाली महिलाओं को रास्ते से लेकर कार्य क्षेत्र में कई तरह की दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। आराध्या कहती हैं कि कामकाजी महिलाओं के लिए शहर का अतिक्रमण सबसे बड़ी समस्या है। जॉब पर जाने और आने के समय अतिक्रमण से लगने वाला जाम मुसीबत बन जाता है। काफी देर तक जाम में फंसा रहना पड़ता है। चंचल बाथम कहती हैं कि कामकाजी महिलाओं के लिए सेफ माहौल बेहद जरूरी है। प्राइवेट सेक्टर में तो महिलाएं देर तक काम करती हैं। लिहाजा रास्ते में सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए। जिससे कि अपने घर तक सुरक्षित माहौल में वापसी हो सके। श्रद्धा तिवारी कहती हैं कि शहर की प्रमुख सड़कों जहां पर सूनसान गलियां हैं वहां पर स्ट्रीट लाइटें अक्सर नहीं जलती हैं। ऑटो, ई-रिक्शा चालक भी देर सवेर लौटने पर मनमानी करते हैं। नैनसी और चांदनी कहती हैं कि महिलाएं कभी भी अधिक काम से नहीं घबराती हैं जहां तक संभव होता है सभी कार्यों को पूरी गंभीरता के साथ करती हैं पर काम के बोझ के चलते परिवारिक और सामाजिक दृष्टि से निभाना कठिन हो जाता है। काम काजी महिलाएं सार्वजनिक शौचालय बाजारों में भी स्थापित किए जाने की मंाग करती हैं।

जहां जरूरत वहां नहीं हैं पिंक टॉयलेट: सुधा वर्मा कहती हैं कि कामकाजी महिलाओं के सामने ढेरों दिक्कतें है। कामकाजी महिलाओं की मानें तो जहां पर वास्तव में पिंक टॉयलेट की जरूरत है वहां पर पिंक टॉयलेट नहीं हैं। कुछ स्थानों पर ऐसे पिंक टॉयलेट बना दिये गएं हैं जो कि उपयोग में भी नहीं हैं। पिंक टॉयलेट की सर्वाधिक जरूरत बीएसए कार्यालय या फिर विकास भवन के आस पास है। जहां पर कामकाजी महिलाओं का अक्सर आना जाना होता है।

इन स्थलों पर महिलाओं के लिए टॉयलेट की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में उनके सामने जो दिक्कतें होती हैं उसका खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कामकाजी महिलाएं कहती हैं कि नगर पालिका और तहसील मुख्यालय के आस पास भी पिंक टॉयलेट की जरूरत है। इसके लिए पालिका को प्रयास करने चाहिए। बहरहाल, कामकाजी महिलाओं को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ता है। इसमें घरेलू और बाहरी चुनौती है। मतलब साफ है कि कामकाजी महिलाओं को अपने घर, परिवार, रिश्तेदार, नातेदार के साथ अपने जॉब स्थल पर सब कुछ ठीक से चलाना पड़ता है। इन सबमें प्रमुख है दोनों के बीच संतुलन। क्योंकि किसी एक पक्ष की गलती को इग्नोर करने पर जीवन की गाड़ी डगमगाने लगती है। बदले समय में महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने की होड़ सी मची है। कई महिलाओं ने सफलता भी पायी है।

बोलीं महिलाएं-

मैटरनिटी लीव कम से कम एक साल की होनी चाहिए। इससे जॉब करने वाली महिलाओं को आसानी होगी। अभी काफी दिक्कत होती हैं। -रेखा अवस्थी

बाजारों में महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट नहीं हैं लिहाजा आम महिलाओं की इस शिकायत को भी गंभीरता से लेना चाहिए।

-विमलेश कुमारी

लीव को लेकर महिलाओं की ओर से कई बार मांग भी उठाई जा चुकी है। इसके साथ ही जॉब करने वाली महिलाओं के लिए विशेष अवकाश हों। -रेखा

कामकाजी महिलाओं के लिए कई कार्यस्थलों में प्रसाधन तक नहीं है जिससे दिक्कतें उठानी पड़ती है। कभी-कभी काफी दिक्कत होती हैं। -रीना

सभी कार्यालयों में महिला सुरक्षा सेल को सक्रिय करने की जरूरत है जिससे कि कामकाजी महिलाओं को दिक्कत नहीं उठानी पड़े। -अद्धितीय

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