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बोले फर्रुखाबाद:खेतों से सड़क पर उतरे ट्रैक्टर खा गए हमारा सारा कारोबार

Farrukhabad-kannauj News - परिवहन विभाग के राजस्व में योगदान देने के बावजूद ट्रांसपोर्टरों को प्रशासनिक उदासीनता का सामना करना पड़ रहा है। कृषि कार्य के लिए उपयोग होने वाले ट्रैक्टरों का माल ढोने में इस्तेमाल होने से कारोबार...

Newswrap हिन्दुस्तान, फर्रुखाबाद कन्नौजSat, 22 Feb 2025 01:06 AM
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बोले फर्रुखाबाद:खेतों से सड़क पर उतरे ट्रैक्टर खा गए हमारा सारा कारोबार

परिवहन विभाग के राजस्व में सर्वाधिक योगदान देने के बाद भी ट्रांसपोर्टरों को अक्सर प्रशासनिक उदासीनता और अनदेखी का ही शिकार होना पड़ता है। ट्रैक्टर कृषि कार्य के लिए होते हैं पर ये धड़ल्ले से विभिन्न वस्तुओं को ढोकर न केवल सरकार को बल्कि ट्रांसपोर्टरों को भी चूना लगा रहे हैं। इन पर रोक लगनी चाहिए। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान ट्रांसपोर्ट यूनियन के जिलाध्यक्ष योगेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि कृषि कार्य वाले ट्रैक्टरों ने तो कारोबार चौपट ही कर रखा है। इन पर कोई कार्रवाई तक नहीं होती है। जबकि माल ढोने वाले ट्रैक्टरों से कई बार बड़े हादसे हो चुके हैं फिर भी जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। महेश चंद्र गुप्ता के मुताबिक जिस तरह से सीमेंट, खाद से लेकर विभिन्न प्रकार की कृषि कार्य में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं ट्रैक्टर ट्रालियों पर ढोने का काम तेजी के साथ शुरू हुआ है उससे सबसे अधिक फर्क कारोबार पर पड़ा है। कहते हैं कि इस पर किसी को कोई चिंता नहीं है। जब किसी कार्रवाई की बारी आती है तो बसें और ट्रक ही निशाना बनते हैं। ट्रांसपोर्टरों की जो अनदेखी हो रही है वह उचित नहीं है। यूनियन के संरक्षक पंकज मिश्रा कहते हंै कि ट्रकों के सभी अभिलेख दुरस्त होने के बाद भी अक्सर कभी प्रदूषण तो कभी ओवरलोडिंग के नाम पर हजारों रुपये का मनमाना चालान काट दिया जाता है। वाहन रिलीज कराने में कई कई दिन लग जाते हैं। ट्रक पर लदा माल समय से व्यापारी तक नहीं पहुंच पाता है। ट्रांसपोर्ट यूनियन के महामंत्री मोहम्मद इकलाख खां कहते हैं कि कई बार ट्रक पर लदा कच्चा माल ओवरलोडिंग में वाहन सीज होने पर खराब हो जाता है। इसका हर्जाना वाहन स्वामी से जमा कराया जाता है। सुधीर मिश्रा कहते हैं कि वैसे भी अब ट्रांसपोर्टेशन में काम ज्यादा नही रह गया है। ट्रांसपोर्टर गुंजन अग्हिोत्री परिवहन विभाग, जीएसटी और प्रशासनिक अफसरों के रवैये से बेहद आहत हैं। उनका कहना है कि हमारे वाहन भी मुख्य मार्ग पर चलना मुश्किल हो गए हैं। चालान काटते समय यह नहीं देखा जाता कि इसका माल पर क्या असर पड़ेगा?

सुझाव

1. कृषि कार्य करने वाले ट्रैक्टरों के माल ढोने पर रोक न लगने से काफी नुकसान है।

2. ओवरलोडिंग पर भी अंकुश लगना चाहिए।

3. एआरटीओ कार्यालय में ट्रांसपोर्टरों की सहूलियत को अलग से काउंटर खोला जाए।

4. बेवजह जीएसटी अफसर ट्रांसपोर्टरों को परेशान न करें।

5. गाड़ियों को खड़ा करने के लिए अड्डा बनाया जाए।

शिकायत

1. बसों पर रोक नहीं है जबकि ट्रकों के नो इंट्री पर प्रतिबंध रहता है।

2. रोडवेज और लग्जरी बसों में माल ढोये जाने से ट्रांसपोर्टरों का नुकसान हो रहा है।

3. कृषि कार्य करने वाले ट्रैक्टरों को माल ढोने पर छूट देने से कारोबार प्रभावित हो रहा है।

4. बिना बताये पीछे से फोटो खींचकर चालान और जुर्माना से ट्रांसपोर्टर परेशान हैं।

बोले ट्रांसपोर्टर-

परिवहन और यातायात विभाग की ओर से वाहनों का प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं होने पर दस हजार रुपया जुर्माना लगाया जाता है जो उचित नहीं है।

-मयूर मिश्रा

अफसरों का रवैया बहुत तकलीफ देता है। प्रशासन को हमारी समस्याओं को लेकर गंभीरता दिखानी चाहिए। हम भी अच्छे नागरिक हैं।

-गजेंद्र सिंह

पहले जुर्माना 100 रुपये था। अब ज्यादा है। परिवहन विभाग के उच्चाधिकारियों को इस पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।

-राजू यादव

रेलवे विभाग की लापरवाही से माल गोदाम से ट्रैक्टरों से माल ढोया जाता है। इस पर रोक लगनी चाहिए। ट्रैक्टर इसके लिए नहीं है।

-अभय सिंह

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