भूख की तड़प ने दिलाई अपने घर की याद
भूख इंसान को क्या से क्या करा दे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। अपने घर से कोसों दूर पेट की खातिर यहां से गए मजदूरों को लॉकडाउन में अच्छे बुरे समय का भी अहसास दिला दिया। लॉकडाउन मेंे जब जेब खाली...
भूख इंसान को क्या से क्या करा दे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। अपने घर से कोसों दूर पेट की खातिर यहां से गए मजदूरों को लॉकडाउन में अच्छे बुरे समय का भी अहसास दिला दिया। लॉकडाउन मेंे जब जेब खाली हुई तो घर के अलावा कुछ नहंी दिखाई दे रहा था। इस पर हैदराबाद से ही आधा दर्जन से अधिक मजदूरों ने अपने घर की ओर कूच कर दिया। रास्ते में कई जगह टोका टाकी हुई मगर पुलिस वालों ने हर जगह इंसानियत दिखाते हुए आगे की राह आसान की और 12 दिन बाद जैसे तैसे आधा दर्जन लोग यहां पर पहुंचे। यह सभी हरदोई जिले के रहने वाले हैं। हरदोई जिले के मानीमऊ गांव के ब्रह्मानंद, बनकटा के सोबरन, भरखना के प्रदीप, अदलापुर के धर्मेंद्र, अश्वनी और भरौरा के रामकृपाल हैदराबाद में आइस्क्रीम फैक्ट्री में काम कर रहे थे। लॉकडाउन प्रभावी होने के बाद कुछ दिन तक तो पेट की आग बुझती रही मगर जब राशन पानी खत्म हो गया। इसके बाद मजदूरों को अपने घर की याद आई। 12 दिन बाद यह लोग यहां लालगेट से गुजरे इस पर कुछ लोगों ने मदद करते हुए गन्ना से लदे ट्रैक्टरों में एक-एक कर मजदूरों को बिठा दिया। सोबरन और ब्रह्मानंद मायूस होकर कहने लगे कि पेट ही एक ऐसा है जो क्या से क्या नहीं करा सकता है। हैदराबाद से जब चले थे तब घर बहुत दूर मालुम पड़ रहा था मगर पुलिस वाले उनके लिए भगवान से कम नहीं मालुम हुए। रास्ते में कई जगह सवारियों का बंदोबस्त करवा दिया। सवारी नहीं मिली तो वे लोग पैदल ही साथियों के साथ चल दिए। रात में बस्ती के किनारे बाजार की दुकानों के बाहर डेरा डाल दिया। लोगों ने उन्हें रास्ते में खाना भी खिला दिया।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।