साहब, 68 दिन से नहीं हुई डेढ़ पैसे की बोहनी

नगर के चिलांका निवासी 65 वर्षीय वृद्व वीर सहाय की आखिरकार कौन फरियाद सुने। 30 साल से वह रेलवे स्टेशन पर बूथ पालिश का कार्य कर अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे है। उनका कहना है कि वह रोजाना डेढ़ सौ रुपए...

Newswrap हिन्दुस्तान, फर्रुखाबाद कन्नौजTue, 2 June 2020 03:42 PM
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नगर के चिलांका निवासी 65 वर्षीय वृद्व वीर सहाय की आखिरकार कौन फरियाद सुने। 30 साल से वह रेलवे स्टेशन पर बूथ पालिश का कार्य कर अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे है। उनका कहना है कि वह रोजाना डेढ़ सौ रुपए तक कमा लेते थे लेकिन 25 मार्च के बाद हुए लाकडाउन ने उनकी जिंदगी में तूफान ला दिया। हाथ पैरो से कमजोर वृद्ध कहीं और जाकर मेहनत मजदूरी भी नहीं कर सकते। एक बेटा है। उसका भी परिवार है। वह लाकडाउन में घर आ गया। हालाकि बेटियों की शादी हो चुकी है। लेकिन वृद्व बीर सहाय रोजाना स्टेशन जाकर बूट पालिश की दुकान लगाते है। वह दिन भर ग्राहकों का इंतजार करते रहते है। लेकिन वह कहते है कि डेढ़ सौ छोटो यहा तो डेढ़ पैसे की बोनी नहीं हो रही है। उनका कहना है कि जल्दी से टे्रने चले ताकि उनकी ठहरी हुई जिंदगी पटरी पर लौट आए।

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