बोले फर्रुखाबाद:शहर में सिंध भी झलके, व्यापार में सुरक्षा मिले
Farrukhabad-kannauj News - सिंधी समाज ने मेहनत और संघर्ष के बल पर कारोबार में तरक्की की है। उन्होंने सुरक्षा की आवश्यकता जताई है और सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की है। इसके अलावा, समाज के विकास के लिए एकेडमी की स्थापना और...
सिंधी समाज के लोगों ने अपने काम में कभी भी संकोच नहीं किया और वह धीरे-धीरे तरक्की की राह पर निकल पड़े। इसके लिए समाज के लोगों को मजदूरी भी करनी पड़ी। रिक्शा भी चलाया और संघर्ष के बल पर ही अपने को कारोबार में स्थापित किया। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान चर्चा में समाज के लोगों ने कहा कि उन्हें कारोबार में सुरक्षा की दरकार है। उनके मोहल्ले में सीसीटीवी कैमरे लगाएं ताकि वे सुरक्षित होकर कारोबार कर सकें। ईश्वरदास शिवानी कहते हैं कि सिंधी समाज में अधिकतर लोग कारोबार क्षेत्र में हैं। लिहाजा उनकी सुरक्षा के लिए जिला स्तर पर गंभीर प्रयास करने चाहिए। सरकारी स्तर पर उनके मोहल्लों में सीसीटीवी कैमरे लगने चाहिए जिससे कि सिंधी समाज के लोगों को सुरक्षा का अहसास हो सके।
लीना कृपलानी ने कहा कि समाज की संख्या बढ़ने के साथ ही हम लोग इधर उधर बिखर गए हैं। लिहाजा हम लोगों के लिए कोई एक ऐसी जगह आवंटित कर दी जाए जहां हम सभी लोग एक साथ रह सकें। भले ही यह जमीन किसी भी कोने में उनको उपलब्ध करा दी जाए। रजनी लौंगवानी कहती हैं कि डांडिया हम लोगों की सांस्कृतिक धरोहर है। इसके बाद भी डांडिया के लिए शासन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलती है। सिंधी समाज के लोगों को प्रोत्साहित करने के मकसद से एक सिंधी एकेडमी बनाई जाए जिसमें समाज के लोग एक साथ बैठकर अपने विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम कर सकें और उन्हें इधर-उधर गेस्ट हाउस, होटल या फिर घरों में इंतजाम न करने पड़ें। मनोहर बजाज सवाल करते हैं कि जब विभिन्न समाज के लोगों को आरक्षण मिल रहा है तो हम लोगों को आरक्षण क्यों नहीं मिल रहा है। सिंधी कालोनी में झूलेलाल का मंदिर है उसकी भव्यता के लिए भी दरकार करने लगते हैं। सीमा अचाणी, रिया सवाल उठाती हैं कि उन लोगों की संख्या कम है फिर भी अल्पसंख्यक का दर्जा क्यों नहीं दिया जा रहा है। सिंधी समाज के लोग अपने मोहल्ले सिंधी कालोनी की समस्याओं को लेकर भी परेशान रहते हैं। मगर इसकी कभी शिकायत नहीं करते। बहरहाल, वर्ष 1950 में जब सिंधी समाज के लोग शरणार्थी के रूप में यहां पर बसाये गये थे उस समय इनके पास में कुछ नहीं था। इसके बाद सरकार ने सिंधी समाज के लोगों को रेलवे स्टेशन के नजदीक 40 रिफ्यूजी क्वार्टर रहने को प्रदान किए थे।
साबुन इंडस्ट्री में देश भर में धाक जमाई: फर्रुखाबाद के ही सिंधी समाज ने व्यापार में अपने को साबित किया है। साबुन इंडस्ट्री में आज भी सिंधी समाज का बोलबाला है। सिंधी समाज के लोगों ने साबुन के साथ ही चमड़ा इंडस्ट्री में देश स्तर पर कारोबार में चमक बनाई है। साबुन इंडस्ट्री के मुख्य कर्ताधर्ता फर्रुखाबाद से ही ताल्लुक रखते हैं। हालांकि अब उनका परिवार यहां से चला गया है। समाज के लोग कहते हैं कि दो पीढ़ियों तक तो किसी ने शिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मगर अबकी पीढ़ी शिक्षा के क्षेत्र में ध्यान दे रही है। सिंधी समाज के नवयुवकों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रयास होने चाहिए। नौकरी में उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए। समाज यह भी चाहता है कि उनके धार्मिक स्थानों और धर्मगुरुओं को सम्मान दिया जाए। सिंधी समाज के धर्मगुरुओं को मेहमान का दर्जा नहीं दिया जाता इसकी भी टीस उनमें बनी हुई है। सिंधी समाज का धार्मिक क्षेत्र में भी काफी योगदान है।
बोले लोग-
सिंधी समाज के लोग एकजुट होकर काम करते हैं। मगर कई प्रकार की समस्याएं मुश्किल कर रही हैं। सबसे बड़ी समस्या सुरक्षा की है। -पूजा
उचित स्तर पर समाज के लोगों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। उनकी राजनीति में भी भागीदारी सुनिश्चित हो। समाज के लोगों को टिकट दिए जाएं। -निशा
समाज को आरक्षण की भी दरकार है। क्योंकि उनकी संख्या बेहद कम है। इसके साथ ही उन्हें अल्पसख्यकों का दर्जा भी दिया जाए।
-सुंदरदास
जिन बस्तियों में सिंधी समाज के लोग रह रहे हैं वहां पर साफ सफाई व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर इंतजाम पुख्ता होने चाहिए।
-लता गगवानी
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