रामगंगा नदी अब खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर पहुंची
फर्रुखाबाद जिले में गंगा और रामगंगा नदियों के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि से स्थिति गंभीर हो गई है। रामगंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर और गंगा का 10 सेंटीमीटर ऊपर है। प्रशासन ने...
फर्रुखाबाद, संवाददाता। जिले में बाढ़ से भीषण हालात बन रहे हैं। गंगापार में तो गंगा और रामगंगा नदी ने तबाही मचाकर रख दी है। गुरुवार को रामगंगा नदी के जलस्तर में 25 सेंटीमीटर की अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हो गयी। इससे यह नदी खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गयी है। जबकि गंगा नदी पहले से ही खतरे के निशान से दस सेंटीमीटर ऊपर चल रही हैं। गंगापार में दोनों नदियों की धारायें एक होने से हालात बिगड़ रहे हैं। कई गांव में बाढ़ से विषम स्थिति हो गयी है। प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया गया है। दशकों बाद रामगंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से इतना ऊपर पहुंचा है। यह नहीं वर्षो बाद गंगा और रामगंगा नदी एक साथ तेजी से बढ़ रही हैं। शाम को गंगा नदी का जलस्तर 137.20 मीटर पर रहा जो कि खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर ऊपर है। रामगंगा नदी का जलस्तर तेजी के साथ बढ़कर 137.40 मीटर पर पहुंच गया है। जो कि खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर है। नरौरा, हरिद्वार और बिजनौर बांधों से पानी की मात्रा में किसी प्रकार की कोई कमीं नहीं आ रही है। जो पानी छोड़ा गया है उसकी मात्रा काफी अधिक है। इससे जलस्तर में केाई कमीं आने की गुंजाइश कम ही दिख रही है। हरेली, खो, रामनगर बैराज से भी रामगंगा नदी में पानी पास किया गया है। इसकी भी मात्रा अभी अधिक चल रही है। दोनों नदियों में भयंकर उफान से हालात खराब हो रहे हैं। सबसे अधिक हालात गंगापार के खराब हैं। जहां पर न सिर्फ गंगानदी किनारे बसे गांवों में स्थिति खराब हो रही है। बल्कि रामगंगा नदी के निकटवर्ती गांवों में भी विषम स्थितियां हो रही हैं। नदियों का रौद्र रूप देखकर लोग भयभीत हो रहे हैं। कई गांव में तेजी के साथ पलायन भी चल रहा है। लोग रिश्तेदारियों की ओर कूच कर रहे हैं। अमृतपुर की कटरी में चारों तरफ पानी ही पानी दिखायी पड़ रहा है। इसके अलावा शमसाबाद की तराई, कंपिल की कटरी और तहसील सदर के कई गांवों में भी हालात खराब हैं। प्रशासन की ओर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य के लिए टीमें लगा दी गयी हैं। हालांकि बाढ़ को देखते हुये प्रभावित क्षेत्रों में नावों की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है। कई संपर्क मार्ग डूबने से लोगों का तहसील और जिला मुख्यालय से संपर्क भी टूट गया है। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी भी बढ़ायी है।
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