बोले फर्रुखाबाद: सुरक्षा उपकरण न बीमा, जान हमेशा खतरे में
Farrukhabad-kannauj News - उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था को संभालने वाले 750 आउटसोर्सिंग कर्मियों को सुरक्षा उपकरण और बीमा नहीं मिल रहा है। ये कर्मचारी 12 से 24 घंटे काम करते हैं लेकिन उन्हें उचित वेतन और सुविधाएं नहीं...
बिजली व्यवस्था को रोशन करने वाले आउटसोर्सिंग कर्मियों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। 750 आउटसोर्सिंग कर्मचारी बिजली आपूर्ति को दुरुस्त करने के लिए रातोदिन काम करते हैं। उस पर विडंबना यह कि इन्हें न तो पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा उपकरण मिलते हैं और न ही इनका बीमा कराया गया है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश निविदा संविदा और कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष रामकिशन कहते हैं कि सुरक्षा उपकरण न मिलने से कर्मचारी अक्सर घटनाओं का शिकार होते हैं। कंपनी की ओर से कहा जाता है कि बीमा है, पर आज तक कोई कागजात नहीं मिले। तो हम कैसे माने कि बीमा है। अत: बीमा न होने के कारण उनके परिवार के हाथ कुछ नहीं आता।
उत्तर प्रदेश निविदा संविदा और कर्मचारी संघ के महामंत्री विष्णु कहते हैं कि कर्मियों को सिर्फ ठेकेदार के सहारे ही छोड़ दिया गया है। जबकि आउटसोर्सिंग बिजलीकर्मी निगम के ही आदेश को मानते हैं। काम के दौरान जरूरी सुरक्षा उपकरण भी नहीं मिल पाते। कई दफा हादसे भी हो चुके हैं। यही नहीं जोखिम भरे काम करने के बाद भी आउटसोर्सिंग कर्मियों का कोई सुरक्षा बीमा तक नहीं कराया जा रहा है। अच्छे रिकार्ड वाले कर्मियों के समायोजन पर कोई बात नहीं हो रही है। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को आठ घंटे के स्थान पर 12 से 24 घंटे तक तीसो दिन तक काम करना पड़ता है। इन हालातों में घर परिवार को भी समय देना मुश्किल हो जाता है। हालात तो ये हैं कि रविवार को ड्यूटी न करने पर निगम के अधिकारी वेतन काट लेते हैं। काम के अत्यधिक बोझ से आउटसोर्सिंग कर्मियों के सामने समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं। इसके समाधान पर भी जिम्मेदार कोई गौर नहीं कर रहे हैं। आधी रात कहीं खराबी आ जाए तो आउटसोर्सिंग लाइनमैन ही दौड़ता है। कभी बाइक तो कभी सीढ़ी के पीछे तो कभी रात को टार्च की रोशनी में काम करते अक्सर आउटसोर्सिंग कर्मचारी गली-मोहल्लों में दिखाई पड़ते हैं। आउटसोर्सिंग कर्मी बिजली निगम की रीढ़ हैं। मगर उनकी जो समस्याएं हैं उस पर गौर नहीं किया जा रहा है। आउटसोर्सिंग कर्मियों के कंधे पर पूरी बिजली व्यवस्था का भार है फिर भी उन्हें वेतन बहुत कम मिल रहा है। किसी तरह से घर का खर्च चल जाए तो बड़ी बात है। दर्द इस बात का भी है निगम में उनके साथ कर्मचारियों जैसा व्यवहार भी नहीं होता। एक ही काम के लिए दोहरी व्यवस्था है जो उचित नहीं है। बिजली व्यवस्था के लिए भूतपूर्व सैनिक एसएसओ के रूप में लगाए गए हैं उन्हें 25 हजार मानदेय महीने में मिलता है। मगर आउटसोर्सिंग कर्मियों को महज नौ से 11 हजार रुपये ही मिलते हंै। विभाग की नजर में आउटसोर्सिंग कर्मी दोयम दर्जे के मुलाजिम हैं। उनकी समस्याओं पर गंभीरता नहीं दिखाई जाती।
बोले कर्मचारी
काम के दबाव से दिक्कतें बढ़ जाती हैं। अक्सर शारीरिक परेशानी का भी सामना करना पड़ता है।
-राहुल
पेट्रोल और अन्य किसी प्रकार का कोई भत्ता नहीं दिया जाता है जिसे कर्मचारी अपने पास से ही वहन करते हैं।
-इमरान
अनुबंध में जो प्राविधान है उसके मुताबिक ड्यूटी ली जाए। उन लोगों को अक्सर आठ से अधिक घंटे काम करना पड़ता है। -सुनील
ॅबीमा का लाभ प्रत्येक आउट सोर्सिंग कर्मियों को मिलना चाहिए इसके लिए काफी समय से आवाज उठाई जा रही है। -मोहित
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