बोले हिन्दुस्तान:काम के बोझ से दबे हैं हम, इसका भी इलाज ढूंढ़िए
Farrukhabad-kannauj News - नर्स वंदना ने बताया कि स्टाफ की कमी के कारण उन्हें लंबे समय तक ड्यूटी करनी पड़ती है। रात में ड्यूटी करने पर सुरक्षा की चिंता रहती है। संविदा नर्सों को कम वेतन पर अधिक काम करना पड़ता है। हालात ऐसे हैं...
नर्स वंदना ने कहा कि स्टाफ की इतनी ज्यादा कमी है कि तय समय से ज्यादा ड्यूटी करनी पड़ती है। यदि रात में ड्यूटी लग गई तो सुरक्षा की चिंता सताती है। क्योंकि सुरक्षाकर्मियों की भी भारी कमी है। किसी गंभीर रोगी के भर्ती होने पर देर तक उन्हें रहना पड़ता है। सबसे अधिक खराब हालात संविदा नर्सों के हैं जिन्हें मामूली पगार मिलती है जबकि उन्हें नियमित कर्मचारियों की भांति ही ड्यूटी देनी पड़ती है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से नर्सों ने सिस्टम की कमी को जिम्मेदार ठहराया। कहने लगीं कि जो हालात हैं उससे आने वाले समय में एएनएम की नौकरी करने से नर्सें दूर हो जाएंगी। क्योंकि जिस तरह से प्राइवेट अथवा सरकारी सेक्टर में नर्सों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है वह कहीं पर उचित नहीं है। एक तो नर्सों को मरीजों के संपर्क में रहने से हमेशा बीमारी का खतरा रहता है दूसरा संविदा पर काम करने वाली नर्सों के जीवन की सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार से कोई गारंटी नहीं दी गई है। लोहिया अस्पताल की ही बात करें तो यहां पर मानक के मुताबिक नर्सों की तैनाती नहीं है। ऐसे में रात की शिफ्ट में देर-देर तक नर्सों को काम करना पड़ता है। लोहिया पुरुष अस्पताल, सिविल अस्पताल लिंजीगंज जो कि प्रमुख अस्पताल कहे जाते हैं यहां पर भी नर्सों की कमी से काम का बोझ बढ़ जाता है। चिकित्सीय व्यवस्था पर भी असर पड़ता है। नर्सों के मुताबिक रात में ड्यूटी के समय सबसे अधिक सुरक्षा का खतरा रहता है। मातृ शिशु कल्याण महिला कर्मचारी संघ की अध्यक्ष नारायनदेवी कहती हैं कि नर्सों की बेहद कमी है। कुल 240 एएनएम हैं जबकि जीएनएम की संख्या भी 50 के आसपास होगी। कायमगंज सीएचसी की ही बात करें तो यहां पर पांच सब सेंटर तो खाली ही चल रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या नर्सों की कमी की वजह से काम का दबाव लगातार बढ़ रहा है। सरकारी स्तर से जो निर्देश आते हैं उनका अलग से पालन करना पड़ता है। इसके अलावा हाल ही में सब सेंटर पर सीएचओ के न होने की स्थिति में एएनएम को बैठने का जो आदेश दिया गया है वह भी उचित नहीं है। नर्सें कहती हैं कि बुधवार और शनिवार को टीकाकरण के साथ ही विशेष अभियान के तहत समय-समय पर काम की जिम्मेदारी दे दी जाती है। इन हालातों में नर्सों का सब्र टूट रहा है। उनका कहना है कि यदि नर्सों की कमी को दूर किया जाए और काम के घंटे व्यवस्थित कर दिए जाएं तो इससे काफी राहत मिल सकती है।
नर्सों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने चाहिए जिससे कि उन्हें रात में ड्यूटी करने में कठिनाई न हो।
-कुसुम
रात के समय अस्पतालों के आस पास पुलिस गश्त होनी चाहिए। रात में डयूटी कठिन है। -सरिता
नर्सों की जो भी मानदेय या वेतन संबंधी विसंगतियां हैं उसको दूर किए जाने की जरूरत है।
-आराधना
यदि नर्सों की भर्ती हो जाती है तो इससे जो एएनएम प्रशिक्षण ले रही हैं उन्हें भी राहत मिलेगी।
-अंजू
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