जख्मी हो रहा दवा कारोबार, इलाज चाहिए
Farrukhabad-kannauj News - फर्रुखाबाद में दवा कारोबारियों को ऑनलाइन प्लेटफार्मों के बढ़ते प्रचलन के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लाइसेंस नवीनीकरण की कठिनाई और ऑनलाइन फार्मेसियों से हो रही प्रतिस्पर्धा से कारोबारी...
फर्रुखाबाद। दवा कारोबार अब जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है उससे कारोबारियों को अपना व्यवसाय बचाने के लिए जूझना पड़ रहा है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के बढ़ते प्रचलन के साथ ही कई प्रकार की चुनौतियां उनके सामने हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दैरान केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महासचिव मनोज मिश्रा बबलू बताते हैं कि कारोबारी इस बात से भी हताश और निराश हैं कि हाल ही में पांच से छह बार पोर्टल बदल चुका है। कुछ दिन पहले तक पोर्टल के माध्यम से लाइसेंस का आटो रिन्यूअल होता था अब फिर से औषधि निरीक्षक की रिपोर्ट लगने के बाद ही लाइसेंस रिन्यूअल होने की व्यवस्था लागू की गयी है यह कहीं पर उचित नहीं है। पहले वाली ही स्थिति होनी चाहिए।
वह बताते हैं कि एक मेडिकल स्टोर से औसतन पांच से छह लोगों का पेट पलता है। इस लिहाज से हजारों लोग इस कारोबार की बदौलत परिवार को पाल रहे हैं। कोविड काल के दौरान फार्मा कंपनियों के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने इस दवा कारोबार को गहरी चोट पहुंचाई है। अध्यक्ष रविशंकर कहते हैं कि ऑनलाइन फार्मेसियां पहले ही 20 से 25 फीसदी कारोबार छीन चुकी हैं। अब डोर-टू-डोर सप्लाई से तगड़ी चोट पहुंचाई जा रही है। यही नहीं रेलवे की रेल टेल कार्पोरेशन आफ इंडिया ने भी अब घर-घर तक दवाएं पहुंचाने को फार्मेसी प्लेटफॉर्म से बोलियां आमंत्रित कर दी हंै। कारोबारी मनोज कुमार कहते हैं कि अब इस कारोबार में पहले जैसी बात नहीं रह गई है। अब तो इस कारोबार का अस्तित्व बचाने की चुनौती है। ऑनलाइन दवा का कारोबार यदि इसी तरह से चलता रहा तो आने वाले समय में हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। कारोबारी लाइसेंस नवीनीकरण को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हैं और इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम की वकालत भी करते हैं। दवा कारोबारी अमरनाथ गुप्ता, राजेश राठौर, मोहित बाथम, शिवम रस्तोगी, सुरेंद्र कटियार, अमन रस्तोगी को भी इस बात की पीड़ा है कि दवा कारोबार के सामने अब जिस तरह से समस्याएं मुंह बाये खड़ी हो रही हैं उसके समाधान निकालने की जरूरत है।
सुझाव-
1. लाइसेंस और नवीनीकरण के लिए सिंगल विंडो सिस्टम हो जिससे राहत मिल सके।
2. ऑनलाइन कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की तत्काल प्रभाव से जरूरत है।
3. टैक्स स्लैब में भी दवा कारोबारियों को विशेष रूप से रिआयत दी जानी चाहिए।
4. कारोबार में फार्मासिस्टों की बाध्यता तत्काल खत्म होनी कर देनी चाहिए।
5. नए दवा लाइसेंस जारी करने से पहले एसोसिएशन से राय लेना जरूरी होना चाहिए।
6. एकाधिकार वाली दवाओं की बिक्री को रोकने के लिए सरकार को विशेष रूप से प्रयास करनी चाहिए। यह कारोबार के लिए खतरा है।
शिकायतें-
1ऑनलाइन दवा के कारोबार से हो जाएंगे सैकड़ों दवा कारोबारी पूरी तरह से बेरोजगारी का शिकार हो जाएंगे।
2. लाइसेंस और नवीनीकरण की प्रक्रिया बेहद कठिन कर दी गई है।
3. सभी तरह की दवाओं पर अलग-अलग टैक्स लगने से परेशानी बढ़ गई है।
4. ई-फार्मेसी से गलत दवाओं और प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री बढ़ेगी।
5. दुकानों के निरीक्षण के समय एसोसिएशन के पदाधिकारियों को साथ नहीं लिया जाता है।
6. कारोबार को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
बोले दवा कारोबारी-
कारोबारी विभिन्न प्रकार की समस्याएं झेलते हैं। अब ऑनलाइन कारोबार से चिंता है।
-मुदित
लाइसेंस नवीनीकरण और नए लाइसेंस जारी करने को लेकर जो पूर्व में व्यवस्था थी वह ठीक थी।
-अनमोल
जीवन रक्षक दवाओं से टैक्स हटाना चाहिए। इससे कारोबारियों पर दबाव कम होगा। मरीजों को लाभ होगा। -राजीव
रेलवे की ओर से डोर टू डोर सप्लाई के लिए निविदा मांगी गयी है वह कारोबार को चौपट करेगी।
-सुरेश गुप्ता
जीएसटी की विसंगतियों को दूर किया जाए। इस विसंगति से कारोबार पर असर पड़ रहा है। -पवनेश
ऑनलाइन कारेाबार कहीं पर उचित नहीं है। क्योंकि इससे आने वाले समय में दिक्कतें बढ़ेंगी।
-आलोक मिश्रा
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