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‘चाइल्ड पॉर्न’ के नोटिस ने उड़ाई हजारों लोगों की नींद, गृह मंत्रालय के साइबर दोस्‍त ने जारी किया अलर्ट

  • अगर इस ई-मेल का जवाब 24 घंटे में नहीं देते हैं तो संबंधित थाने में FIR दर्ज कर गिरफ्तारी की जाएगी। ऐसा नोटिस किसी को इंटेलीजेंस ब्यूरो के निदेशक की ओर से तो किसी को इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर की ओर से ई-मेल पर पहुंच रहा है।

Ajay Singh लाइव हिन्दुस्तानSat, 24 Aug 2024 08:21 AM
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‘चाइल्ड पॉर्न’ देखने के दोषी पाए गए हैं। मामले की फाइल को ट्रिब्यूनल अभियोजकों के पास भेजने से पहले संपर्क किया गया है। अगर इस ई-मेल का जवाब 24 घंटे में नहीं देते हैं तो संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की जाएगी। ऐसा नोटिस किसी को इंटेलीजेंस ब्यूरो के निदेशक की ओर से तो किसी को इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर की ओर से ई-मेल पर पहुंच रहा है। इस नोटिस पर इंटेलीजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका, प्रोसिक्यूटर ओवर माइनर्स एंड ऑफेंसेस रिलेटेड टू साइबर क्राइम के चीफ ऑफ पुलिस प्रशांत गौतम, इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर के सीईओ राजेश कुमार, सेंटर के सेक्रेटरी दीपक विरमानी आदि का हवाला दिया गया है। हालांकि यह नोटिस फर्जी हैं।

इस फर्जी नोटिस ने हजारों लोगों की नींद उड़ा दी है। कई तनाव में हैं तो कई ने अपनी ई-मेल को ही इन-एक्टिव कर दिया है। यह नोटिस साइबर अपराधियों का ठगी का नया फंडा है। जिसको लेकर गृह मंत्रालय के साइबर दोस्त (एक्स एकाउंट) ने अलर्ट जारी करते हुए इस नोटिस को फेक बताया है।

साइबर ठगों के जाल से बचे तो तनाव में फंसे

साइबर ठगी लगातार बढ़ रही है। उनके जाल में निरंतर निर्दोष लोग फंस रहे हैं। कई लोग अपनी होशियारी या लापरवाही के कारण ही इन साइबर अपराधियों के जाल में नहीं फंसे लेकिन वे तनाव से नहीं बच पाए। कुछ लोगों ने आनन-फानन में डर के चलते मेल डिलीट कर दी या फिर अपनी ई-मेल आईडी ही इन-एक्टिव कर दी। वे इस फ्रॉड से तो बच गए लेकिन कई दिन तक तनाव में जीते रहे। शहर में भी ऐसे कई मामले हैं। हालांकि जिन लोगों के पास इस तरह की मेल आ रही है, वह खुद भी किसी को जानकारी देना नहीं चाहते हैं। पुलिस को भी गोपनीय सूचना देते हैं।

केस-1

कल्याणपुर में रहने वाले प्राइमरी स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि एक माह पहले ई-मेल पर चाइल्ड पॉर्नग्राफी देखने को लेकर एक नोटिस आया था। रात 10 बजे यह नोटिस देखा तो होश उड़ गए। कुछ समझ नहीं आया, क्या करूं। समाज व परिवार की चिंता सताने लगी। डर के चलते अपनी ई-मेल आईडी ही इन-एक्टिव कर दी। मगर तनाव कम नहीं हुआ। कुछ दिन बाद जब अन्य साथियों से चर्चा की तो कुछ दिलासा मिली, जब लोगों ने बताया कि ऐसी फर्जी मेल आ रही है।

केस-2

पनकी में रहने वाले एक बिजनेसमैन ने बताया कि 15 दिन पहले ई-मेल पर एक नोटिस आया था। उसे देख लगा कि सरकारी नोटिस है। मगर जिंदगी में कभी चाइल्ड पॉर्न को सर्च तक नहीं किया, इससे हिम्मत थी। फिर भी डर था कि कोई मेरी आईडी का गलत इस्तेमाल तो नहीं कर रहा। कुछ साइबर विशेषज्ञों से पहचान थी। उनसे यह नोटिस दिखाया तब शांति मिली। साइबर विशेषज्ञों ने बताया कि यह नोटिस फर्जी है।

क्या बोले विशेषज्ञ

एलेनहाउस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डीन रिसर्च प्रो. वरुण शुक्‍ला ने कहा कि साइबर अपराधियों की ठगी का यह नया तरीका है। वे ई-मेल भेजकर लोगों को डराते हैं। जिन लोगों ने ई-मेल का जवाब दे दिया, उन्हें साइबर अरेस्ट या फोन कर ठगी कर लेते हैं। इस तरह की सभी मेल फर्जी हैं। जिसको लेकर गृह मंत्रालय साइबर दोस्त के माध्यम से अलर्ट जारी कर लोगों को जागरूक कर रहा है।

आईआईटी कानपुर के साइबर विशेषज्ञ आदर्शकांत ने कहा कि साइबर अपराधी ई-मेल समेत सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को अलग-अलग तरह के मैसेज, मेल या लिंक भेजकर फ्रॉड कर रहे हैं। ये लोगों को समाज व पुलिस का डर दिखाकर उनसे ठगी करते हैं। इस तरह की मेल या एसएमएस या मैसेज को खोलने के बजाए तुरंत इग्नोर कर डिलीट कर देना चाहिए।

मंडलीय मनोवैज्ञानिक डॉ.नरेश चंद्र ने कहा कि साइबर अपराधी बुजुर्ग, कम पढ़े-लिखे और स्वभाव से नरम व कमजोर लोगों की मानसिक स्थिति का फायदा उठाकर अपना शिकार बनाते हैं। वे समाज व पुलिस के नाम से इतना अधिक भय पैदा कर देते हैं कि पीड़ित कुछ सोचने या दूसरों को बताने के बजाए उनके कहे अनुसार चलने लगता है। जिसका फायदा वे ठगी कर उठाते हैं। जो ठगी का शिकार नहीं होते हैं, वे भी इसको लेकर काफी समय तक तनाव में रहते हैं। ऐसे कुछ मामले केंद्र पर भी आ रहे हैं।

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