बोले इटावा: कितना पानी पीकर निकलें...सोचना पड़ता है
Etawah-auraiya News - बोले इटावा: कितना पानी पीकर निकलें...सोचना पड़ता हैबोले इटावा: कितना पानी पीकर निकलें...सोचना पड़ता है
कोई प्यास के साथ ही घर से निकलने को मजबूर हो,यह कितना अमानवीय है। शहर की कामकाजी महिलाओं को यह रोज बर्दाश्त करना पड़ता है। महिलाओं ने कहा- जीभर पानी पीकर निकलें तो बाहर असहज स्थिति होती है। शहर में टॉयलेट हैं ही नहीं। पिंक टॉयलेट के नाम पर जो बनाए गए थे, कबाड़ हो चुके हैं। ऐसे में हम कितना पानी पीकर घर से निकलें, यह सोचना पड़ता है। सुवासा बताती हैं कि घर से मार्केट जाते वक्त हमें लगता है कि पेशाब आ गई तो मजबूरी में सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करना पड़ेगा। वहां की गंदगी, उठती दुर्गंध, टूटा दरवाजा, पानी और साबुन न होना सोचकर ही मन खराब हो जाता है। तिकोनिया बाजार के पास रहने वाली रिंकी जैन ने बताया कि उनका प्रोवीजन स्टोर रेलवे स्टेशन पर है। सुबह घर से जब दुकान जाने के लिए निकलती हैं तो उन्हें चेन स्नेचरों का डर सताता है। कुछ माह पहले बाजार में उनके मोहल्ले की एक महिला से सुबह बदमाश चेन लूट ले गए थे। वारदात शहर कोतवाली से दो सौ मीटर दूरी पर हुई थी। पुलिस आजतक खुलासा नहीं कर पाई। सुबह जब कई लोग सड़क पर दिखने लगते हैं। तभी वह घर से निकलती हैं।
प्राइवेट शिक्षिका नौशीन कहती हैं कि शहर में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं। जो हैं भी उनपर आस-पास के लोग कब्जे किए हैं। बलराम सिंह चौराहा स्थित शौचालय में ताला पड़ा है। नगर पालिका ने जो शौचालय बनवाए थे वह रखरखाव न होने से कबाड़ में तब्दील हो गए। शहर की कामकाजी महिलाओं का कहना है कि घर की दहलीज पार करते ही दुश्वारियों का दौर शुरू हो जाता है। कार्यस्थल जाना हो या खरीदारी करने मार्केट असुरक्षा की भावना बनी रहती है। देर हो जाए तो चिंता होने लगती है कि जल्दी घर पहुंचें। रास्ते में अराजकतत्वों की फब्तियों और चेन स्नेचरों का डर भी सताता है। ब्यूटी पार्लर संचालिका आशा रस्तोगी ने बताया शहर में महिलाओं की आबादी में करीब 30 फीसदी महिलाएं कामकाजी हैं। इन महिलाओं को पुलिस प्रशासन की ओर से कोई खास सुविधा नहीं मिल रही है। दीपाली चौहान ने कहा कि मुख्य बाजारों में महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था न होना भी बड़ा मुद्दा है। जो कुछ शौचालय हैं तो उनमें या तो ताले पड़े हैं या फिर आस-पास के लोग कब्जा किए हुए हैं। रामनगर की अनुराधा ने बताया कि बढ़पुरा के स्कूल में पढ़ाती हैं। रामनगर रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य होने के चलते उन्हें तीन किमी का अतिरिक्त चक्कर लगाकर आना-जाना पड़ता है।वहीं व्यापारी अर्चना ने कहा- सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे महिलाओं को नहीं मिल पाता है। बैंको में उद्योग लगाने के लिए लोन की जरूरत पड़ने पर दलालों का सहारा लेना पड़ता है नहीं तो अक्सर लोन नहीं मिल पाता। ऐसा बाजार हो जहां सिर्फ महिलाएं काम करती हों।
सरकारी विभागों में आसानी से नहीं होता काम
आलिया ने बताया कि कामकाजी महिलाओं के समक्ष हजार चुनौतियां हैं। कोई महिला ट्यूशन सेंटर, पार्लर, कॉस्मेटिक्स या किराना की शॉप चलाना चाहती है तो उसे संबधित विभाग के अधिकारी आकर परेशान करते हैं। कई जगह रिश्वत मांगी जाती है। छोटे स्केल पर भी महिलाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता। 14 साल से एजुकेशन सेक्टर में कार्यरत हैं। वह शहर में प्ले स्कूल शुरू करना चाहती हैं। लेकिन विभाग के अधिकारी कोई न कोई कागजों में कमी निकाल देते हैं।
योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
सुनीता बताती हैं वह पति के साथ एक बिस्किट की एजेंसी चलाती हैं। महिलाओं के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। महिलाओं को आगे बढ़ने और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं, लेकिन महिलाओं को इसकी जानकारी नहीं होती है। उनके पास कोई जरूरत मंद महिला आती है। तो वह योजनाओं की जानकारी देती हैं।
महिलाओं को बाजार मुहैया कराएं
वेदिका सिंह ने कहा कि महिलाएं स्वरोजगार करना चाहती हैं तो कई बार उन्हें योजनाओं की सही जानकारी नहीं मिल पाती। नतीजतन कई को अपना कारोबार भी बंद करना पड़ा है। वर्कशॉप होने चाहिए जिससे महिलाएं इंडस्ट्री में अपनी जगह बना सकें। पूरे शहर में कोई भी ऐसा मार्केट नहीं जहां सिर्फ महिलाएं काम करें।
अभद्र भाषा से पड़ता है बुरा असर
शालिनी बताती हैं कि वह एक मोबाइल कंपनी के सर्विस सेंटर में कार्य करती हैं। कई तरह की बातों से वह तनाव में आ जाती हैं। उनके परिवार में महिलाओं के सामने अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता है। पर आस-पास के लोग जब ऐसी बात करते हैं तो इसका बुरा असर पड़ता है। महिलाओं की सुरक्षा पर पुलिस को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
महिलाओं को कामकाज करने में दिक्कतें आती हैं, ये बात सही है। मैं खुद एक महिला हूं इसलिए उनकी समस्याओं को समझती हूं। महिलाएं सीधे मिलकर समस्याएं बताएं। विधायक निधि से भी कार्य कराए जाएंगे। - सरिता भदौरिया, विधायक
बलराम सिंह चौराहा के पास एक टॉयलेट रखा है, उसमें ताला लगा रहता है। इससे महिलाएं परेशान होती हैं।
- नमिता
व्यवसाय बढ़ाने के लिए महिलाओं को बैंकों से मदद नहीं मिल पा रही है। जो रिश्वत देता है उसका लोन हो जाता।
-अर्चना
प्रशासन को चिन्हित मार्गों पर पिंक ऑटो चलवाने चाहिए, इससे महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी।
-सुवासा शाक्य
अधिक वर्कलोड होने से अपने स्वास्थ्य का ध्यान महिलाएं नहीं रख पाती। उन्हें जागरूक किया जाए।
- प्रतिभा मिश्रा
गांधी पार्क में पालिका ने पिंक टॉयलेट रखवाए थे, लेकिन साफ- सफाई कभी नहीं कराते।
- दीपाली चौहान
नौरंगाबाद चौराहा पर रोजाना शाम को जाम लग जाता है। इससे स्कूटी सवार महिलाओं को दिक्कत होती है।
-आकांक्षा
अधिक वर्कलोड से महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाती। उन्हें जागरूक किया जाए।
- डॉ. अंजली
गोउत्पाद को उचित बाजार नहीं मिलने से लघु उद्योगों को उन्नति नहीं मिल रही। इस पर काम हो।
- वर्षा दुबे
कामकाजी महिलाएं घर और कार्यस्थल पर बराबर लगी रहती है। उन्हें परिवार के साथ घूमने भी जाना चाहिए।- अंजू रेलवे स्टेशन के बाहर दुकान है। ठीक पीछे शौचालय है, गंदा पानी वहां भरा रहने से दुर्गंध आती है। - रीना जैन
पुलिस स्कूलों की छुट्टी के समय तैनात नहीं होती है। छुट्टी के समय अराजकतत्व फब्तिायां कसते हैं।
- दीपिका
रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण जल्द पूरा हो कामकाजी महिलाओं को जाम से नहीं जूझना पड़े।
- शुभ्रा चौहान
सुझाव----
1. शहर के सभी प्रमुख बाजारों में महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय बनें। पहले से बने शौचालयों की भी नियमित रूप से सफाई हो।
2. पूरे शहर में स्ट्रीट लाइटों को ठीक कराया जाए। इनके बनने से शहर में असुरक्षा का माहौल नहीं बनेगा।
3. सभी सरकारी विभागों में महिलाओं के लिए अलग से काउंटर बनें। इन काउंटर पर महिला कर्मचारी की तैनाती की जाए।
4. रेलवे रोड से लेकर पचराहा समेत शहर के प्रमुख मार्गों पर सुबह और रात में पुलिस गश्त बढ़ाई जाए। महिला पुलिस कर्मिंयो की भी संख्या बढ़ाई जाए।
5. सरकारी विभागों में महिलाओं की सुनवाई जल्दी होनी चाहिए। इससे उन्हें बाहर के काम करने में भी आसानी हो जाए।
समस्या----
1. बाजारों में महिलाओं के लिए अलग से सार्वजनिक शौचालय नहीं हैं। कहीं हैं भी तो गंदगी के कारण उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
2. देर शाम कामकाजी महिलाएं घर लौटती हैं। कई मुख्य मार्गों पर स्ट्रीट लाइट नहीं हैं, किसी वारदात की आशंका रहती है।
3. कई विभागों में महिलाओं के लिए अलग से काउंटर नहीं हैं। इससे महिलाओं को काफी परेशानी होती है।
4. शहर के कई इलाकों में पुलिस गश्त नहीं होती है। इससे मनचले अपनी मनमानी करते हैं और कहीं तो बाइक लेकर खड़े होकर फब्तियां कसते हैं।
5. सरकारी विभागों में किसी काम से अगर महिला जाए तो उसको कई चक्कर लगवाए जाते हैं। इसकी वजह से महिलाएं परेशान होती हैं।
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