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बोले इटावा: कातिबों को बैठने का ठिकाना मिल जाए

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Newswrap हिन्दुस्तान, इटावा औरैयाFri, 21 Feb 2025 05:29 PM
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बोले इटावा: कातिबों को बैठने का ठिकाना मिल जाए

आश्चर्य की बात है कि यहां बैनामा लेखकों के लिए बैठने की जगह तक नहीं है। तहसील के लिए नया भवन बनाया गया और पुराने भवन को खाली कर लिया गया। सुनील सिंह बताते हैं कि लगातार देख-रेख के अभाव के कारण पुराना भवन गिर गया और भवन जिस स्थान पर बना था वहीं उसका मलबा फैल गया। यह अव्यवस्था करीब छह महीने से चली आ रही है अभी किसी का ध्यान इधर नहीं गया है । अशुंमान कुदेशिया का कहना है कि मलबा फैल जाने के कारण पहले जिस स्थान पर स्टांप वेंडर तथा बैनामा लेखक बैठा करते थे अब उस जगह पर बैठने की कोई जगह ही नहीं है। तहसील के अंदर मलबा फैला होने के कारण अब जो थोड़ी सी जगह बाकी है उसी में किसी तरह बैनामा लेखक बैठते हैं और वहीं पर अपना काम करते हैं । समस्या सिर्फ यह नहीं है कि इन्हीं लोगों को बैठना है। इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में वादकारी भी रोज तहसील में अपने कामकाज से आते हैं और उनके बैठने के लिए भी जगह नहीं है।

राम किशन बताते हैं कि तहसील परिसर में प्रवेश के लिए दो गेट बनाए गए थे, उनमें से एक गेट को बंद कर दिया गया है एक गेट खुला है लेकिन उसे गेट पर दो पहिया वाहन इतनी संख्या में खड़े रहते हैं कि वहां से पैदल अंदर जाना भी आसान नहीं है। सईद मिर्जा ने बताया कि यह दो पहिया वाहन तहसील गेट के बाहर सड़क पर भी खड़े रहते हैं जिससे सड़क पर जाम लगता है और हादसे की आशंका भी बनी रहती है। ब्रजेश कुमार बताते हैं कि तहसील में अधिकारी भी आते हैं लेकिन उन्होंने आने-जाने का एक नया रास्ता बना लिया है, जहां से वे कार्यालय में पहुंचते हैं। इसके विपरीत यहां काम करने वाले और काम कराने के लिए आने वाले दोनों परेशान हैं। मलबा पसरा हुआ है यदि बरसात हो गई तो वह पूरे तहसील परिसर में बहेगा और तब काफी कठिनाई हो जाएगी। मलबा यदि साफ कर दिया जाए तो बैठने की जगह भी हो जाएगी और गेट पर जो वाहनों की भीड़ लगी रहती है वह भी कम हो जाएगी। वे इस बारे में तहसीलदार और एसडीएम से कई बार कह चुके हैं लेकिन इसके बाद भी कई सुनवाई नहीं होती। इन लोगों का दुख यह है कि वह सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व देते हैं और उसके बाद उनके लिए बैठने तक की जगह तहसील परिसर में नहीं है । अधिकारी तो दूसरे रास्ते से आ जाते हैं, उनके कमरों में साफ सफाई भी रहती है लेकिन बैनामा लेखक परेशान हैं।

पानी का नहीं इंतजाम वाटर कूलर तक नहीं

‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान बैनामा लेखक कहते हैं कि तहसील परिसर में बड़ी संख्या में लोगों का आना-जाना रहता है और यहां काम करने वाले भी बैठते हैं । इसके बावजूद यहां पानी का कोई इंतजाम नहीं है । यहां कोई वाटर कूलर नहीं है और कोई हैंडपंप भी नहीं है । इसके कारण गर्मी के दिनों में काफी परेशानी होती है । स्थिति यह है यहां जो स्टांप वेंडर और बैनामा लेखक बैठते हैं वह पानी की कैन मंगाते हैं और पूरे दिन उसी से गुजरा करते हैं । आने जाने वालों को भी वही पानी पिलाया जाता है। तहसील की ओर से पीने के पानी की भी व्यवस्था नही हैं। यही नहीं, पार्किंग की भी समस्या विकराल हतहसील परिसर में काम करने वालों के वाहन हैं, इसके साथ ही आने-जाने वाले ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी वहां से आते हैं लेकिन यहां तहसील परिसर के पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है ।

पार्किंग न होने से आने जाने वालों को दिक्कत

बैनामा लेखक बताते हैं कि पार्किंग की व्यवस्था न होने से यहां आने और जाने वाले लोगों को खासी दिक्कतें होती है। किसी किसी दिन तो वाहनों की कतार लग जाती है और दिनभर जाम की स्थिति से दो चार होना पड़ता है। तहसील में प्रवेश करने के लिए जो गेट बने हैं उन्ही गेटों के सामने लोग अपने दो पहिया वाहन लगा देते हैं। सुबह के 11 बजने तक तो यह दोपहिया वाहन सड़क तक पहुंच जाते हैं, इससे मुख्य सड़क पर जाम लगता है और हादसे की आशंका भी बनी रहती है। यह अव्यवस्था भी काफी समय से चली आ रही है लेकिन कोई सुधार नही हुआ। दो पहिया वाहन गेट पर खड़े हो जाने के कारण गेट से अंदर जाना भी मुश्किल हो जाता है। कई बार पार्किंग की समस्या से अफसरों को अवगत कराया गया है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उम्मीद है कि इस समस्या के बारे में जिले के आला अफसर ध्यान देंगे। जिससे जाम की समस्या से निजात मिल सके।

सुझाव--

1. तहसील में रोज चार हजार तक लोग आते हैं। यहां बैठने के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। बारिश में उन्हें खासी परेशानी उठानी पड़ती है।

2. चैंबरों के लिए स्थान की कमी के चलते प्रशासन को मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का निर्माण कराना चाहिए।

3. जो भवन को गिराया है, उसके स्थान पर वाहनों की पार्किंग के लिए मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाई जानी चाहिए। इस बड़ी राहत मिलेगी।

4. महिलाओं के लिए टॉयलेट भी बनवाने की जरूरत है। महिलाएं दाखिल खारिज के लिए काफी संख्या में आती हैं।

समस्या--

1. परिसर में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। पानी की बोतल या बाहर से पानी भनवाना पड़ता है। जिससे अतिरिक्त खर्चा आता है।

2. पार्किंग स्थल न होने से वकीलों व वादकारियों को अपने वाहन परिसर में सड़क किनारे या चैंबरों के बाहर पार्क करने पड़ते हैं।

3. परिसर में शुद्ध पेयजल सप्लाई की बड़ी समस्या है, जिससे बैनामा लेखक, स्टांप वेंडर और वकील व वादकारियों को पानी की बोतलें खरीदकर प्यास बुझानी पड़ती है।

4. परिसर में बने यूरीनल में गंदगी से भरे हुए हैं। साथ ही यहां सफाई न होने से भीषण गंदगी चारों ओर फैली रहती है।

5. कार्यालय परिसर में सुरक्षा के नहीं हैं कोई इंतजाम नहीं है, जिससे डर लगा रहता है।

तहसील परिसर में पुरानी तहसील का मलबा पड़ा हुआ है इसके कारण कठिनाई हो रही है। मामला संज्ञान में है और मलबे को वहां से उठने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं जल्द ही सफाई करा दी जाएगी। वाहनों की पार्किंग ठीक कराने का भी प्रयास करेंगे।

- विक्रम सिंह राघव, एसडीएम

मुख्य गेट से अंदर आना ही मुश्किल है वाहन खड़े रहते हैं जिससे रास्ता भी बंद हो जाता है।

- मुन्ना शुक्ला

तहसील में मुख्य गेट से ही उनकी परेशानी शुरू हो जाती है। यहां से अंदर प्रवेश करना ही बड़ी समस्या है।

- श्रवण

तहसील परिसर में पुराने भवन का जो मलवा पड़ा हुआ है, वह कई समस्याओं की जड़ है।

- गौरव भदौरिया

तहसील में साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है यहा कभी झाड़ू भी नहीं लगाई जाती।

- अंकित कुमार

तहसील परिसर में पुरानी इमारत का गिरा हुआ मलबा बड़ी समस्या बन गया है ।

-अंबरीश सक्सेना

कोई भी व्यक्ति काम कर सके इसके लिए उसके बैठने की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।

- अशोक श्रीवास्तव

तहसील में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है इसके चलते गर्मी में काफी कठिनाई होती है।

-शिवम कुमार

गांव से लोग तहसील में काम के लिए आते हैं और यहां उन्हें पीने का पानी तक नहीं मिलता।

-प्रदीप श्रीवास्तव

तहसील में बैनामा लेखकों के बैठने के लिए जगह ही नहीं है। यह सबसे बड़ी समस्या है।

- इफ्तिखार मिर्जा

तहसील के एक गेट को बंद कर दिया गया है । एक गेट खुला है इसके चलते काफी कठिनाई होती है।

-जफीर हुसैन

तहसील परिसर में वाहन खड़े करने की जगह न होने के कारण काफी परेशानी होती है।

- वीरेंद्र श्रीवास्तव

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