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बोले इटावा: साहब.. हमारी तकदीर चर रहे हैं अन्ना

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Newswrap हिन्दुस्तान, इटावा औरैयाFri, 28 Feb 2025 02:41 AM
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बोले इटावा: साहब.. हमारी तकदीर चर रहे हैं अन्ना

इटावा में हर माह तकरीबन चार लोगों की जान अन्ना जानवरों के हमलों की वजह से जा रही है। खेत से किसान की नजर चूकी तो यह फसल उजाड़ देते हैं और सड़क पर नजर चूकी तो हड्डी टूटने के साथ जान तक जा सकती है। यह दर्द किसानों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से साझा किया। बताया कि फसल की रखवाली के लिए रातभर जागना पड़ता है। हाईवे और खेतों पर आतंक मचा रहे अन्ना मवेशियों को पकड़ने के लिए शहर में कैटल कैचिंग दस्ता तक नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक महीने में तकरीबन 50 मौतें इन्हीं आवारा पशुओं के हमले से हो रही हैं। अचरज इस बात का है कि इतनी मौतें होने के बाद भी इन्हें पकड़ने के लिए शहर में कैटल कैचिंग दस्ता तक नहीं है। आंकड़ों पर नजर डाले तो जिले में 89 गौशालाएं हैं। इनमें 11250 अन्ना मवेशियों का संरक्षण हो रहा है। किसान श्याम सुंदर बताते हैं कि यह सिर्फ कागजों पर ही हो रहा। चौराहों, बाजारों व रेलवे ट्रैक से हाईवे तक में अन्ना मवेशियों का आतंक साफ देखा जा सकता है। आम जनता भी परेशान हैं।

सुनील सिंह बताते हैं कि चाहे शहर की बात करें या फिर ग्रामीण क्षेत्र की हर जगह अन्ना मवेशी की दहशत है। राजीव कुमार ने बताया गौशाला के कर्मचारी भी समस्याओं से बचने के लिए गोवंश को गोशाला से खुला छोड़ देते हैं। जिसके चलते नेशनल हाईवे समेत मुख्य सड़कों और रेलवे ट्रैक तक गोवंश पहुंच रहे हैं। छाया के इंतजाम कम होने से भी गोशालाओं में बदहाली की स्थिति है।

राजकुमार सिंह बोले कि ग्रामीण क्षेत्र में रबी की फसलें लहलहा रही हैं। इनमें गेहूं, चना, मटर, तिलहन, अरहर, सरसों, आलू के साथ ही हरी सब्जियों की फसल खेतों में खड़ी है। जंगली जानवरों के साथ क्षेत्र में घूम रहे हजारों अन्ना मवेशी बर्बाद कर रहे। किसान चिंतित हैं कि कैसे फसल बचाएं। हर्ष वर्धन ने कहा कि यमुना सेंचुरी के जंगलों से घिरे गांव हों या फिर अन्य गांव। प्रशासनिक स्तर पर किसानों की फसलों को बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए। किसानों को स्वयं अपने खेत बचाने होते हैं। यहां वनों से घिरे गांवों के किसान जंगली सुअर, चीतल, बंदर, नीलगाय व अन्य वन्यजीवों से रबी की फसलों को बचाने के लिए खेतों में मचान बनाकर मेड़ों पर पुआल आदि जलाकर रखवाली की जा रही हैं। जंगली जानवर रात में आग जला या टिन की आवाज से भागते हैं। जब जंगली जानवरों के झुंड खेतों में आ जाते हैं तो किसान हांका लगाकर उन्हें भगाते हैं। कभी-कभी जानवर किसानों पर ही हमला कर देते हैं। कई किसान घायल भी हो चुके हैं। कुं.गजेंद्र सिंह बताते हैं इटावा मैनपुरी रोड और इटावा फर्रुखाबाद पर सबसे ज्यादा इनका आतंक है। हम गांव चकरनगर जाते हैं तो रास्ते में कब अन्ना मवेशी खेतों की ओर से हमला कर दें, पता नहीं होता है। रास्ते में चौकन्ना होकर चलना पड़ता है। पिछले साल बाइक से जाते समय डिभौली पुल के पास अन्ना मवेशी आपस में लड़ रहे थे और जैसे तैसे वे बच सके। महेवा ब्लॉक के दाऊदपुर गांव के रामनरेश त्रिपाठी, नवादा के ओमनारायण कहते हैं कि जो लोग इन दिनों घर में रात बिताते हैं उनकी फसलें घर की देहरी तक नहीं पहुंचती। नंदपुरा गांव के विनय दीक्षित, सारंगपुर रोशनलाल पाल, असदपुरा के रघु तिवारी, ईकरी के पप्पू त्रिपाठी, अंकुर त्रिपाठी, नंदगवां गांव के दीपू चौहान बताते हैं कि कैटल कैचिंग दस्ता होगा तभी निदान होगा। प्रशासन को इसका इंतजाम करना चाहिए।

सुझाव-

हर ग्राम सभा में अन्ना मवेशियों को पकड़ने के लिए वाहन होना चाहिए। इसके लिए अलग से बजट बनाया जाना चाहिए।

अन्ना मवेशी के हमले में घायल और मृत व्यक्ति के परिवार को भी सरकारी मदद मिले। इलाज की भी व्यवस्था की जाए।

अन्ना मवेशी को पकड़ने के लिए अलग से टीम हो। इनको छोड़ने वालों पर कार्रवाई हो और जेल भेजे जाएं। इनसे जुर्माना भी वसूला जाए।

फसल का नुकसान होने पर किसान को मुआवजा मिले। पशुओं के मालिक से क्षतिपूर्ति कराई जाए।

समस्या--

शहर की सीमा पर कैमरे लगें, अन्ना मवेशियों की निगरानी हो। इसके साथ ही लोगों को भी अन्ना के प्रति जागरूक और सावधान किया जाए।

अन्ना मवेशियों को पकड़ने के लिए कैटल कैचर न होने से समस्याएं आ रहीं हैं। वाहनों की भी भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।

शहर क्षेत्र में लोग दूध निकालने के बाद मवेशियों को छोड़ देते हैं। स्टेशन रोड पर सबसे ज्यादा इनसे खतरा रहता है।

फसलों को अन्ना मवेशी नुकसान पहुंचा रहे हैं। फसलों की रखवाली को रात भर किसानों को जागना पड़ रहा है। जरा सा चूक जाने पर नुकसान होता है।

हाईवे पर अन्ना मवेशी दुर्घटनाओं का सबब बन रहे हैं। अन्ना मवेशी रेलवे ट्रैक के आस पास विचरण करते रहते हैं।

कूड़ों के ढेर पर विचरण करते अन्ना मवेशी गंदगी फैलाते हैं।

शहर में स्टेशन रोड पर बढ़ रहा खतरा

अय्यूब राणा कहते हैं कि शहर की सड़कों पर घूमते अन्ना मवेशी वाहन चालकों व राहगीरों के लिए खतरा साबित हो रहे हैं। समस्या स्टेशन रोड, तिकोनिया, सब्जी मंडी, पक्का तालाब चौराहा, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर ज्यादा है। बरसात के बाद सड़क पर मवेशियों का जमावड़ा बढ़ जाता है। अविनाश वर्मा ने बताया सुव्यवस्थित यातायात और संभावित दुर्घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुए नगर पालिका प्रशासन की ओर से अन्ना मवेशियों के आतंक पर अंकुश लगाने कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।

जी तोड़ मेहनत होने के बाद जब हमारी फसल तैयार हो जाती है। तो उसे जंगली जानवर बर्बाद कर देते हैं। कई बार जंगली जानवरों की परेशानी को लेकर शिकायत की पर कुछ भी नहीं हुआ। ऐसे में हम किसानों को रात भर सर्दी में फसलों की रखवाली करनी पड़ रही है। -शिशुपाल सिंह

अन्ना मवेशियों के झुंड के झुंड खेतों में घुस जाते हैं और पूरा खेत उजाड़ देते हैं। तगड़ा नुकसान होता है।

-उम्मेद सिंह

जिन क्षेत्रों में अन्ना मवेशियों का ज्यादा आतंक हैं वहां अभियान चलाकर तत्काल पकड़वाया जाए।

- सर्वेश सिंह

ग्रामीण इलाके के अन्ना मवेशी रात में एक साथ घूमते हैं। पूरे गांव को रखवाली करनी पड़ती है।

- भीकम सिंह

किसान दिवस में अन्ना मवेशियों को लेकर समस्या उठाई जाती है। पर हल नहीं निकाला जा रहा है।

-संतोष

अन्ना मवेशी हर स्तर पर चुनौती बने हैं। फसलों की रखवाली करना भी अब भारी पड़ रहा है।

- जबर सिंह

बढ़ी लागत के साथ जो फसलें तैयार की जा रही हैं उसमें अन्ना मवेशी सबसे बड़ी समस्या बने हैं।

- श्याम सुंदर

कटीले तार होने पर भी अन्ना मवेशी खेतों में घुस जाते हैं और फसल को बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं।

- अनंतराम

हाईवे पर बड़ी संख्या में अन्ना मवेशी विचरण करते हैं। हादसे की मुख्य वजह यह बनते हैं ।

- रणवीर

अन्ना मवेशी बड़ी संख्या में नजर आते हैं। इनकी वजह से वाहन फंस जाते हैं और जाम लग जाता है।

- दीपेश

फसल की रखवाली के लिए रात भर जागना पड़ रहा। शहर में कैटल कैचिंग दस्ता तक नहीं है।

-संजीव कुमार

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