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अस्पताल बना तालाब, अब गेट पर होगा मरीजों का इलाज

Etawah-auraiya News - अस्पताल बना तालाब, अब गेट पर होगा मरीजों का इलाज50 शैय्या अस्पताल में कम हुए मरीज, फिसलन बढ़ने से नहीं आ रहे लोगफोटो-18 पूरे परिसर में अभी भी पानी भरा

Newswrap हिन्दुस्तान, इटावा औरैयाTue, 24 Sep 2024 12:15 AM
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बकेवर। संवाददाता। जिले के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की हालत खराब है। अस्पताल के गेट से पहले ही घुटनों तक पानी भरा होने से मरीजों का आना मुश्किल होता है। ये अस्पताल बकेवर का 50 शैय्या अस्पताल है। मरीजों की समस्या को देखते हुये सीएमएस ने मेन गेट पर ही ओपीडी की शुरूआत करने का फैसला किया है। मंगलवार से अस्पताल गेट पर ही ओपीडी शुरू होगी। बकेवर का 50 शैय्या अस्पताल मरीजों को सुविधा देने के लिये खोला गया था। लेकिन नगर पंचायत, जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते अस्पताल अपने मकसद में खरा नहीं उतर पा रहा है। बरसात चार दिन पहले हुयी थी लेकिन बरसात का पानी अस्पताल परिसर मेंअभी तक भरा है। पानी गेट पर ही घुटनों तक भरा होने से मरीजों का आना मुश्किल होता है। अस्पताल में इलाज के लिए हर रोज तीन सौ से अधिक की संख्या में मरीज आते थे। अब परिसर में जलभराव के कारण मरीजों की संख्या 10 फीसदी भी नहीं रही है। मरीज अस्पताल में पड़े प्लास्टिक के पाइपों के बंडल को नाव के तौर पर उपयोग करके उससे अस्पताल के अंदर तक पहुंच पा रहे हैं। चार दिन में तीन चार इंच तक पानी कम होने पर अस्पताल का स्टाफ तो कार से अंदर पहुंच जाता है। लेकिन मरीजों को पानी में घुटनों तक घुसकर ही जाना आना पड़ता है। अब भरे हुए पानी में जमीन पर काई भी जमने लगी है जिससे मरीज फिसल कर भरे हुए पानी में गिर भी जाते हंै। सोमवार को चार मरीज फिसल कर गिर भी गए। स्थिति इतनी खराब होने के बाद भी पानी निकलवाने की ओर ध्यान नहीं दिया गया है। अस्पताल के मेन गेट व परिसर में पानी भरा होने की जानकारी जिला प्रशासन तक है लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

अस्पताल परिसर में बरसात का पानी भरा हुआ है। जिसके लिए नगर पंचायत प्रशासन से जल निकासी के लिए कहा गया है। लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया है। जलभराव होने मरीजों को भी आने में दिक्कतें हो रहीं हैं। मरीजों की समस्या के चलते मंगलवार से वैकल्पिक तौर पर मेन गेट पर अस्थाई ओपीडी संचालित की जायेगी। डाक्टर गेट पर ही बैठेंगे और दवाईयां पर्चा बनाना सभी गेट पर होगा। जिन मरीजों को भर्ती करना होगा उनको ही अस्पताल में अंदर भेजा जाएगा। इसके लिये एंबुलेंस का प्रयोग किया जायेगा।

डा.वीरेंद्र भारती

सीएमएस, बकेवर।

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