बोले इटावा : हमारे दु:ख दूर करने की हलफ कौन लेगा
Etawah-auraiya News - बोले इटावा : हमारे दु:ख दूर करने की हलफ कौन लेगाबोले इटावा : हमारे दु:ख दूर करने की हलफ कौन लेगा
सदर तहसील से जसवंतनगर, भरथना, ताखा, चकरनगर और सैफई में नोटरी की प्रक्रिया पूरी कराने वालों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इनमें दाखिल खारिज की फाइल खोने से लेकर सुरक्षा व्यवस्था तक के मसले शामिल हैं। पूरे परिसर में नोटरी व बैनामा लेखक बैठते हैं। रोजाना चार हजार से ज्यादा लोग आते हैं। भरथना के नोटरी राजा बोले कि इतनी भीड़-भाड़ वाली जगह पर टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। नगर पालिका ने एक टॉयलेट का निर्माण कराया था, उस पर भी ताला लटक रहा है। वादकारी व दाखिल खारिज के लिए महिलाएं बड़ी संख्या में आती हैं। एक ही महिला टॉयलेट है उसमें भी ताला पड़ा हुआ है। चकरनगर के नोटरी मुकेश यादव का कहना है कि पीने के पानी के लिए बोतल बंद पानी या कैंटर बाहर से मंगाना पड़ता है। खासकर गर्मियों में पानी को लेकर ज्यादा दिक्कत रहती है। जिसका अतिरिक्त खर्चा हम लोगों को ही वहन करना पड़ता है।
कुंवर सिंह ने बताया परिसर में खड़ी बाइकों से निकलने तक को रास्ता नहीं रहता है। जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है। नोटरी कई बार शिकायत कर चुके हैं लेकिन कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हुई है। ताखा तहसील वैसे तों मॉडल तहसील है लेकिन यहां एक यूरीनल है इसकी काफी समय से सफाई नहीं हुई है, वहां दुर्गंध की वजह से कोई खड़ा भी नहीं हो सकता।
वहीं, विनोद बोले विडंबना यह है कि दूसरों को इंसाफ दिलाने के लिए मजबूती से केस लड़ने वाले खुद रोज इन समस्याओं से लड़ने को मजबूर हैं। तहसील परिसर में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। अगर कभी वारदात हो जाए तो पुलिस का इंतजार करना पड़ता है। जबकि यहां नोटरी के सिलसिले में रोज ही ठीक-ठाक कैश लेकर लोग आते हैं। कार्यालय में बिना रजिस्ट्रेशन के भी कुछ लोग काम करते हैं, जो नियम विरुद्ध है। तहसीलों में नए मल्टीस्टोरी चैंबर बन जाएं तो काफी हद तक समस्याएं खत्म हो जाएंगी। इसके अलावा परिसर में एटीएम का न होना भी उन्हें सालता है। विजय ने बताया रोजाना हजारों लोग यहां आते हैं, लेकिन परिसर में पीने के पानी तक की कोई व्यवस्था नहीं है। हैंडपंप से गंदा पानी निकल रहा है, जिन्हें जानकारी है वह उन हैंडपंप का इस्तेमाल नहीं करते हैं, जबकि बाहर से आने वाले मजबूरी में हैंडपंप से गंदा पानी पी रहे हैं। भरथना, इटावा और चकरनगर में वाटर कूलर भी अब खराब पड़ा है। हलफनामा बनाने वाले, वकील और वादकारी परेशान रहते हैं। तहसील परिसर में पेयजल के लिए दो आरओ प्लांट की व्यवस्था होनी चाहिए। राजेंद्र ने बताया कि चारों ओर गंदगी फैली है। प्रशासन ध्यान नहीं देता है। तहसील से घुसते ही दाएं बने मंदिर के सामने जर्जर चेंबर के पीछे बने टॉयलेट की सफाई नहीं होती है। रुमाल लगाकर बैठना पड़ता है। अगर रोज सफाई हो तो इतनी दिक्कत न हो। गंदगी के चलते यहां बीमारी फैलने का भी खतरा रहता है। आसपास पौधों के बीच विशैले जीवों के आने का खतरा भी मंडराता रहता है।
वाहन कहां पार्क करें होती है समस्या: नोटरी शिव प्रताप सिंह का कहना है तहसील परिसरों में वाहन स्टैंड की व्यवस्था न होने के कारण यहां आने वाले लोगों के साथ ही वकीलों को भी वाहन रास्ते में खड़े करने को मजबूर होना पड़ता है। कई बार तो वाहन खड़ा करने पर निकलने की जगह न रहने पर लोगों में झगड़ा भी हो जाता है। यहां पर लगातार पुलिस की गश्त और निगरानी की बहुत जरूरत है।
शुद्ध पेयजल का अभाव, जलभराव की भी समस्या
ताखा व चकरनगर तहसील परिसर में जहां एक ओर शुद्ध पेयजल का संकट है, वहीं बारिश के समय परिसर में टीन शेड न होने से जलभराव हो जाता है। परिसर के चेंबरों वाली सभी गलियां पानी से भर जाती हैं, जिनसे निकलना दुभर हो जाता है। हरीश कहते हैं कि परिसर में शुद्ध पेयजल की सप्लाई नहीं है। एक स्थान पर वाटर कूलर लगा था, लेकिन वह अब खराब पड़ा है। वहीं, थोड़ी बारिश में ही पूरा परिसर गंदे पानी से भर जाता है। इसकी वजह से चेंबरों से बाहर निकलना बड़ी समस्या बन जाता है। प्रशासन परिसर में पानी की बेहतर व्यवस्था करानी चाहिए। ताकि वकीलों और वादकारियों को परिसर के बाहर न जाना पड़े। ताखा के नोटरी वकील धर्मेंद्र सिंह तोमर का कहना हैं कि शौचालय की साफ-सफाई नहीं होती, पानी की टंकी खराब पड़ी है मॉडल तहसील में लिफ्ट बनी हुई है पर चालू नहीं है।
न मिला चेंबर न जरूरी संसाधन
कुंवर सिंह तोमर ने बताया कि चकरनगर तहसील में अधिवक्ताओं और नोटरी की प्रक्रिया पूरी कराने वालों को बैठने के लिए न तो चेंबर है न ही उनके लिए कोई अन्य व्यवस्था। 27 नोटरी करने वाले हैं जिनमें से केवल 6 वरिष्ठों को ही चेंबर मिले हैं बाकी अपनी टीन शेड आदि डालकर खुद व्यवस्था किए हुए हैं। कुछ ऐसी स्थिति ताखा और जसवंतनगर जैसी मॉडल तहसीलों में भी है। साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था का अभाव है।
तहसील में नोटरी या हलफनामा बनवाने की प्रक्रिया पूरी कराने वाले लोगों की समस्याओं के निस्तारण के लिए जल्द ही व्यवस्था की जाएगी। टॉयलेट की नियमित सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। अगर फिर भी कोई समस्या है तो नोटरी सीधे आकर समस्या बता सकते हैं, उसके निस्तारण के प्रयास किये जाएंगे। - राजकुमार सिंह, तहसीलदार
भरथना तहसील काफी पुरानी है यहां अभी तक ग्रामीण न्यायालय की शुरुआत नहीं हो सकी।
- राघवेंद्र श्रीवास्तव
तहसील दिवस पर ही सिर्फ सफाई कराई जाती है। वकीलों के बैठने वाली जगह की सफाई नहीं होती है।
- विजय कृष्ण
तहसील में सुरक्षा का अभाव है कोई भी हथियार लेकर प्रवेश कर सकता है। सुरक्षा और ज्यादा बढ़ाई जाए।
- सुधीर
बारिश के दौरान परिसर में बैठना खतरे से खाली नहीं है। जर्जर भवन से हादसे का खतरा रहता है।
राजीव श्रीवास्तव
सबसे बड़ी समस्या है दाखिल खारिज की का पता नहीं चलना। फाइलों का गुम हो जाना यहां ये बड़ी समस्या बना है।
- सुभाष चंद्र
परिसर में सुरक्षा के इंतजाम न होने से वारदात होने का डर रहता है। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम होने चाहिए।
- हाकिम
वाहन पार्किंग न होने से निकलना दूभर है, वाहन सड़क किनारे अथवा चैम्बरों के बाहर खड़े करने पड़ते है।
-ओम प्रकाश
परिसर में जर्जर भवन के स्थान पर मल्टी स्टोरी पार्किंग बननी चाहिए, वाहन आसानी से खड़े हो सके।
-आदित्य प्रकाश
तहसील में पीने के पानी की प्रमुख समस्या है। हैंडपंप से गंदा पानी निकल रहा है।
- विनोद यादव
तहसील परिसर में समस्याओं का अंबार है। अधिकारी किसी की सुन नहीं रहे। भ्रष्टाचार चरम पर है।
-सत्य प्रकाश
एक वाटर कूलर लगा था वह भी खराब पड़ा है। वादकारियों के लिए बस्तों के अलावा बैठने की व्यवस्था नहीं है।
- राजेंद्र प्रसाद
वर्ष 1992 के बाद से वकीलों के चैम्बरों की न तो मरम्मत हुई और न ही पुताई होती है।
- श्री कृष्ण निराला
सुझाव---
1. तहसीलों में रोज चार हजार तक लोग आते हैं। यहां पीने के पानी के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
2. वकीलों के चैम्बरों के लिए स्थान की कमी के चलते प्रशासन को मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का निर्माण कराना चाहिए।
3. जो भवन निष्प्रोज्य हैं, उनके स्थान पर वाहनों की पार्किंग के लिए मल्टी स्टोरी पार्किंग स्थल बनाई जानी चाहिए।
4. महिलाओं के लिए टॉयलेट भी बनवाने की जरूरत है। टॉयलेट में पड़े ताले खुलने चाहिए।
5. तहसील में पेयजल आपूर्ति की जानी चाहिए। चैम्बर तक लाइन बिछाकर जरूरत के हिसाब से टोटी लगवाई जानी चाहिए।
समस्या--
1. तहसील में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। पानी की बोतल या बाहर से पानी मंगवाना पड़ता है। जिससे ज्यादा खर्चा आता है।
2. पार्किंग स्थल न होने से नोटरी वकीलों व वादकारियों को वाहन परिसर में सड़क किनारे या चेंबरों के बाहर खड़े करते है।
3. तहसील में पानी की बड़ी समस्या है, जिससे वकीलों व वादकारियों को पानी की बोतलें खरीदकर प्यास बुझानी पड़ती है।
4. सभी तहसीलों में बने यूरीनल में गंदगी से भरे हैं। साथ ही यहां सफाई न होने से भीषण गंदगी चारों ओर फैली रहती है।
5. कार्यालय परिसरों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है, जिससे डर लगा रहता है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।