बोले इटावा: जाम और बिजली बिल से राहत दिलाएं, तब हम व्यापार कर पाएं
Etawah-auraiya News - इटावा की रेडीमेड कपड़ों की मंडी में व्यापारियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जाम, पार्किंग की कमी, और जीएसटी दरों से परेशान व्यापारी उत्पादन यूनिट लगाने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है...
इटावा रेडीमेड कपड़ों की बड़ी मंडी है। व्यापारियों का कहना है कि यदि कपड़ों के उत्पादन की यूनिट लग जाए तो कारोबार को पंख तो लगेंगे ही। साथ ही इटावा से अच्छा खासा राजस्व भी सरकार को मिलने लगेगा। व्यापारी बाजार में आए दिन लगने वाले जाम गंदे शौचालय और पार्किंग न होने से परेशान हैं। उनका कहना है कि बाजार में या आसपास मल्टीलेवल पार्किंग बनने से ही काम चलेगा। व्यापारी मुस्कीम बताते हैं कि देश और दुनिया में अपनी पहचान रखने वाले बाजार की छोटी-छोटी समस्याओं का सीधा असर बिक्री पर पड़ रहा है। रिंकू यादव कहते हैं तकरीबन रोजाना लगने वाले जाम, नो पार्किंग की वजह से होने वाले चालान, जीएसटी, बिजली के बिल और लेबर खर्च से हम सभी परेशान हैं। रेडीमेड कपड़ा एसोसिएशन के अध्यक्ष गोरखनाथ वर्मा बताते हैं कि शहर में तकरीबन 1400 से अधिक छोटी बड़ी कपड़ों की दुकानें हैं। यदि समय रहते दुकानदारों की समस्याओं का समाधान नहीं निकला तो आने वाले समय में रेडीमेड कपड़े की बड़ी मंडी का तमगा बचाना मुश्किल होगा। सुरेश कुमार बताते हैं कि यदि उपरोक्त मुद्दों को सुलझाने के प्रभावी कदम उठाए जाएं तो यह न केवल व्यापारियों के लिए बल्कि क्षेत्र की आर्थिक प्रगति के लिए भी लाभकारी होगा।
श्रवण कुमार गुप्ता ने बताया कि 1000 रुपये से कम कीमत के कपड़ों पर पांच प्रतिशत जीएसटी तो वहीं 1000 रुपये से अधिक की खरीद पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है जबकि ऑनलाइन खरीदारी में जीएसटी की कोई दर नहीं है। ऐसे में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल होता है। कपड़े खरीदने के लिए दिल्ली, मुंबई के चक्कर लगाने पड़ते हैं। लेकिन यदि यही उत्पादन यूनिट खुल जाए तो हम लोगों को बाहर न जाना पड़े और कारोबार को पंख लगे।
20 से 30 फीसदी तक बिक्री पर असर: गोरखनाथ कहते हैं कि शहर में पर्याप्त लॉजिस्टिक सेवाएं उपलब्ध न होने और रेलवे व रोडवेज बसों में भी छूट उपलब्ध न होने से अतिरिक्त माल भाड़ा देना पड़ता है जिसके चलते रेडीमेड मार्केट में कपड़ों की कीमत अपने आप बढ़ जाती है। वहीं ऑनलाइन कंपनियां गणतंत्र दिवस, त्योहार या अन्य बड़े आयोजनों के पहले छूट की स्कीम ले आती हैं। 20 से 30 फीसदी तक इसका असर शहर के दुकानदारों की बिक्री पर पड़ता है।
महिला ग्राहकों के लिए नहीं है टॉयलेट : रेडीमेड कपड़ा संगठन के शहर अध्यक्ष देव गुप्ता का कहना है कि बाजार में रोजाना तकरीबन 20 हजार से अधिक की आबादी का आवागमन बना रहता है। इतनी बड़ी आबादी के होने के बावजूद पूरे बाजार क्षेत्र में महिलाओं के लिए कोई भी टॉयलेट नहीं है। जो शौचालय बने हैं उनकी गंदगी देखकर महिलाएं जाना भी पसंद नहीं करतीं। दूसरी ओर पुरुषों के लिए भी यूरिनल की सुविधा नहीं है यही कारण है कि जो व्यापारी बाजार में दुकान खोलकर बैठे हैं उन्हें घर जाना पड़ता है या आसपास स्थित किसी व्यापारी के घर में बने यूरिनल में जाते हैं।
छोटे दुकानदारों पर भी कॅमर्शियल बिजली पड़ रही भारी : व्यापारी यशपाल सिंह का कहना है बाजार में 800 से अधिक ऐसी दुकाने हैं जिनका सालाना टर्नओवर पांच लाख से अधिक नहीं है लेकिन इसके बावजूद ऐसे दुकानदारों पर भी जीएसटी के साथ ही बिजली की बढ़ी हुई दर की मार पड़ रही है। दरअसल कॅमर्शियल कनेक्शन लेने के चक्कर में व्यापारी लगातार पिस रहे हैं ऐसे में उनका मानना है कि छोटे दुकानदार जिनका टर्नओवर अधिक नहीं है उन्हें सामान्य मीटर कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध कराई जाए अथवा उन्हें किसी प्रकार की सब्सिडी देकर कुछ राहत प्रदान की जा सकती है।
सोलर पैनल लग नहीं सकते, बिजली बिल में दी जाए छूट: व्यापार मंडल अध्यक्ष अनंत अग्रवाल का कहना है कि बाजार में सोलर पैनल नहीं लगाया जा सकते ऐसे में दुकानदारों को बिजली बचत के लिए कोई अन्य सहूलियत उपलब्ध कराना जरूरी है। इमरजेंसी में जाम में अक्सर फंस जाती एम्बुलेंस: व्यापारी राघवेंद्र दीक्षित कहते हैं कि त्योहारों के समय जाम की समस्या और विकराल हो जाती है। इमरजेंसी में फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस का रास्ता अवरुद्ध होता है। जसवंतनगर, भरथना व बसरेहर भी रेडीमेड कारोबार की बड़ी मंडी हैं।
उत्पादन यूनिट खोलने का मिले इंतजाम तो बढ़ेगा काम
व्यापारी मोहन अग्रवाल का कहना है कि शहर में कपड़ों के उत्पादन यूनिट खोलने पर विचार किया जाए तो इससे न सिर्फ रोजगार सृजन होगा बल्कि लोगों को इसका फायदा मिलेगा। बी आर गारमेंट्स के प्रोपराइटर प्रबल कुमार का कहना है कि बाहर से कपड़े लाने पर न सिर्फ अतिरिक्त खर्च बढ़ता है बल्कि उससे कपड़ों की कीमत भी बढ़ जाती है जिसका बोझ सीधे ग्राहक पर पड़ता है। ऐसे में यदि उत्पादन यूनिट होगी तो निश्चित तौर पर इसका लाभ ग्राहकों को भी मिलेगा।
सुझाव---
1. ऑनलाइन कपड़ों की खरीदारी पर 10 फीसदी जीएसटी लगे।
2.एजियो एप जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए, जिससे व्यापारी शहर में रहकर ही खरीदारी कर सकें।
3. शहर में पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था की जाए, जिससे लगने वाले जाम को भी रोका जा सके।
4. जीएसटी की अनियमितता को समाप्त किया जाए और ऑनलाइन व्यापार की भी निगरानी विभाग द्वारा की जाए ।
5. शहर में वनवे की व्यवस्था से कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है इसे समाप्त किया जाए।
समस्या--
1. बड़े वाहनों के प्रवेश से शहर में जाम लगता है, स्कूल छूटने के समय स्थिति विकराल हो जाती
2. मल्टीलेवल पार्किंग न होने से बाजार में जाम की स्थिति बनती है। पार्किंग जल्दी बने।
3. बड़े शहरों से माल लाने पर उसे पर रास्ते में पुलिस भी बेवजह परेशान करती है।
4. जिले में रेडीमेड कपड़ों के उत्पादन के लिए कोई औद्योगिक केंद्र स्थापित नहीं हो सका।
5. सराय ऐसर के इंडस्ट्रियल एरिया में प्लॉट खाली हैं, जसवंतनगर में का डेवलपमेंट भी नहीं हुआ
शहर में कपड़ों की कई बड़ी दुकान खुल चुकी है जो बाजार से दूर है वहां ग्राहकों के लिए सभी सुविधा है।
-निखिल जैन
प्रमुख बाजारों में भी मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण व्यापारी और ग्राहक दोनो ही परेशान होते हैं।
-आश मोहम्मद
ऑनलाइन कारोबार ने रिटेल की कमर तोड़ दी है, इस समस्या का जल्द निस्तारण किया जाए।
-संजीव
बाजार में जाम लग जाता है पार्किंग की समुचित व्यवस्था न होने से ग्राहक बाजार से दूर हो रहे हैं।
-ऋषभ जैन
बाजार में दुकानदारों और ग्राहकों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए।
-हर्षित पाण्डेय
बड़े वाहनों की पार्किंग की भी व्यवस्था की जाए क्योंकि माल लाने ले जाने के लिए वाहन की आवश्यकता होती है।
-रिंकू
पार्किंग न होने से लोगों को सबसे अधिक दिक्कत हो रही है। इसके लिए तत्काल व्यवस्था की जाए।
-जावेद अली
व्यापारियों को रेलवे और रोडवेज बसों से बाहरी शहरों से माल लाने पर छूट मिलनी चाहिए।
- गोरखनाथ वर्मा
जीएसटी और बिजली के बिल आदि जमा करने के बावजूद दुकानदारों को परेशान किया जाता है।
-विनोद
दुकानदारों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम होने चाहिए,आगजनी से बचाव के लिए इंतजाम किए जाएं।
-रवि शुक्ला
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