भरेह संगम व पचनद में कुछ वर्षो से नहीं दिख रहे सारस
Etawah-auraiya News - चकरनगर में चंबल और यमुना नदी के किनारे सारस पक्षियों के विलुप्त होने की चिंता बढ़ रही है। पिछले कई वर्षों से सारस का कोई संकेत नहीं मिला है। सेंचुरी विभाग की टीमें सर्वे कर रही हैं, लेकिन अभी तक सारस...
चकरनगर। चंबल नदी, यमुना, क्वारी इन नदियों में विभिन्न जगहों पर सारस अपना ठिकाना बनाये रहते थे। खेत में किसान परेवट करता था तो खेत में भी सारस पक्षी दिखते थे, जो खेत में कीड़ो को खाते थे तथा नदियों व तालाबों के आसपास विभिन्न जगहों पर शोभा बढ़ाते थे। चिंता की बात है कि सेंचुरी विभाग के सर्वें में कई वर्षो से सारस नहीं दिख रहे है। सोमवार व मंगलवार दो दिन से सेंचुरी विभाग की टीमें नदियों मे सर्वे कर रही है लेकिन इस क्षेत्र से सारस विलुप्त हो गया है जिस पर विभाग ने चिंता प्रकट की है। गांव भरेह निवासी जयनारायण ओझा, भगवान दास शर्मा, बाबा गिरजा शंकर आदि ने बताया कि भरेह संगम पर करीब 10 वर्षो से सारस पक्षी नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि इस संगम पर 50 किस्म की स्वदेशी व विदेशी चिड़िया सर्दी के मौसम में डेरा जमाये रहती है इन्ही में सारस पक्षी भी रहता था लेकिन अब इस क्षेत्र में कही नहीं दिख रहे है। डिप्टी रेंजर चकरनगर चंद्रभान सिंह सेंगर ने बताया कि सोमवार व मंगलवार दो दिन से सर्वें करवाया जा रहा है सारस पक्षी कही नहीं दिखा ऐसे ही कई वर्षो से रिपोर्ट निल जा रही है।
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