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बोले कासगंज: मरीजों का रखते हैं ख्याल अब सरकार भी करे सम्मान

Etah News - कासगंज के अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ मरीजों की देखभाल में पूरी मेहनत करते हैं। लेकिन उन्हें तीमारदारों के असम्मान और अधिक अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है। नर्सों की संख्या कम होने से उन्हें अतिरिक्त...

Newswrap हिन्दुस्तान, एटाMon, 12 May 2025 12:04 AM
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बोले कासगंज: मरीजों का रखते हैं ख्याल अब सरकार भी करे सम्मान

कासगंज। जनपद के हॉस्पिटल्स में नर्सिंग स्टाफ मरीजों के उपचार तथा उनकी देखभाल पूरे मनोयोग के साथ करते हैं। ये लोग अपना काम पूरी सजगता एवं इमानदारी के साथ करते हैं। हॉस्पिटल्स में काम करने वाली नर्सों को कई बार मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ता है। नर्सों का कहना है कि लोग उनकी जिम्मेदारी तथा कर्तव्यनिष्ठा को नहीं समझते। उनके लिए तो सभी मरीज एक समान होते हैं तथा सबका उन्हें बराबर ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन फिर भी तीमारदार उन पर लापरवाही एवं गैर जिम्मेदार रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए ऊपर नाराज होते हैं।

सरकारी एवं निजी अस्पतालों में कार्यरत नर्सों का कहना है कि लोगों को नर्सों के प्रति अपने व्यवहार एवं रवैये को परिवर्तित करने की सख्त आवश्यकता है। लोगों को प्रत्येक मरीज के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। हर नर्सिंग स्टाफ अपने मरीज के बेहतर स्वास्थ्य की ही कामना करता है। लेकिन इसके बावजूद भी मरीज की स्थिति में सुधार ना होने पर लोग हमें ही दोष देते हैं। अस्पतालों में काम करने वाली स्टाफ नर्स से तीमारदार व रोगियों को अपेक्षाएं अधिक रखते हैं। कभी-कभी नर्स तीमारदार व रोगियों की अपेक्षाओं को पूर्ण करने में सक्षम भी नहीं होती हैं। जब वे गंभीर रूप से बीमार रोगियों को देख रही होती हैं तो तीमारदार उनसे अपने रोगी को बार-बार चेक करने के लिए कहते हैं। जिसके चलते नर्सों को अनावश्यक दबाव एवं तनाव का सामना करना पड़ता है बनाते हैं। वहीं सरकारी अस्पतालों में कार्यरत सरकारी नर्सें भी अपने प्रति लोगों के बर्ताव को लेकर परेशान रहती हैं। मेहनत के बावजूद उन्हें आवश्यक सम्मान नहीं मिल पाता है। रोगियों के तीमारदार नर्सों से आए दिन उलझते रहते हैं। गर्भधात्री के परिजन एवं तीमारदार प्रसव के समय चिकित्सक से सलाह लिए बिना ही सामान्य प्रसव कराने का दबाव बनाते हैं। काम के अनुरूप अपेक्षाकृत सम्मान न मिल पाने के कारण नर्सों के मन में स्वयं के प्रति हीन भावना उत्पन्न होने लगती है। इसके साथ ही नर्सें यह भी बताती हैं कि जिला अस्पताल में कुल नर्सिंग स्टाफ की संख्या 33 होनी चाहिए। लेकिन वर्तमान समय में इन पदों के सापेक्ष यहां मात्र 12 नर्स ही कार्यरत हैं। एसएनएसयू में नौ, एनसीडी और जिरोडिक मेडीसिन में भी तीन नर्स ही हैं। संख्या कम होने के कारण जिला अस्पताल में कार्यरत नर्सों पर काम का बोझ अधिक रहता है। इस वजह से नर्सों को एक साथ कई बार्ड में रोगियों की देखरेख करनी पड़ती है। जिला अस्पताल में जननी सुरक्षा एवं सामान्य प्रसव नर्सें ही कराती हैं। ऑपरेशन थिएटर के लिए स्टाफ कम होने की वजह से गर्भवती महिला के ऑपरेशन के दौरान मदद का बोझ भी रहता है। नर्स की कमी होने की वजह से कभी-कभी उन्हें जरूरत होने पर अवकाश नहीं मिल पाता है। स्टाफ नर्स चाहती हैं कि सरकार को स्टाफ नर्स के पदों पर शीघ्र ही भर्ती निकालनी चाहिए। जिससे उनके ऊपर पड़ने वाला अतिरिक्त कार्य का भार खत्म हो जाएगा। नर्सों को अपनी सेवाएं दक्षता से देने के लिए उपयुक्त संसाधनों और उपकरणों की आवश्यकता होती है। यदि उन्हें कार्यस्थल पर सभी आवश्यक सुविधाएं मिलें, तो वे अधिक आत्मविश्वास और कुशलता के साथ मरीजों की देखभाल कर सकती हैं। यह अस्पताल की समग्र सेवा गुणवत्ता को भी बेहतर बनाता है। -अनीता अस्पतालों में रोगी और उनके तीमारदार अक्सर नर्सों से बहुत अधिक अपेक्षाएं रखते हैं। जबकि नर्सों को कई रोगियों की देखभाल एक साथ करनी होती है। ऐसे में तीमारदारों से यह उम्मीद की जाती है कि वे धैर्य और सहयोग से काम लें, ताकि नर्सें बिना मानसिक दबाव के सभी को उचित देखभाल दे सकें। -गीतांजलि हालांकि सभी स्टाफ नर्स एक ही तरह का कार्य करती हैं, परंतु उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया के अनुसार भिन्न-भिन्न वेतन दिया जाता है—संविदा, एएनएम, या आयोग के माध्यम से। यह असमानता अनुचित है। समान कार्य के लिए समान वेतन नीति लागू होनी चाहिए, ताकि सभी नर्सों को समान अधिकार और सम्मान मिल सके। -सपना साहू नर्सिंग एक लगातार विकसित होता क्षेत्र है। इसलिए स्टाफ नर्सों को समय-समय पर प्रशिक्षण मिलना चाहिए ताकि वे नई तकनीकों, उपचार विधियों और उपकरणों से परिचित हो सकें। इससे उनकी दक्षता बढ़ती है और मरीजों को अधिक सुरक्षित एवं उन्नत सेवा मिलती है। -अंजली सरकारी अस्पतालों में स्टाफ नर्सों पर काम का अत्यधिक बोझ होता है, जिसका मुख्य कारण स्टाफ की भारी कमी है। सरकार समय रहते रिक्त पदों को भरे, तो कार्यभार समान रूप से बंट सकेगा। नर्सें अधिक मनोयोग से कार्य कर सकेंगी और बेहतर सेवाएं मिलेंगी। -ब्रजेश बघेल स्टाफ नर्सों को एक सुरक्षित कार्य वातावरण मिलना चाहिए, ताकि वे बिना भय के अपने दायित्व निभा सकें। साथ ही, उनके वेतन में भी समय-समय पर उचित वृद्धि होनी चाहिए, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त और मानसिक रूप से स्थिर रह सकें। -दीक्षा नर्सों को सामाजिक समर्थन की आवश्यकता उनके व्यक्तिगत जीवन के संतुलन के लिए होती है। यदि समाज उनके परिवार और दायित्वों को समझे, तो वे कार्यस्थल पर और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं। एक सहानुभूतिपूर्ण समाज ही उन्हें सशक्त बना सकता है। -ममता स्टाफ नर्सों को भी अपने करियर में प्रगति और विकास के अवसर मिलने चाहिएं। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपने कार्य में नवीनता व कुशलता ला सकती हैं। नर्स भी इंसान होती हैं, उन्हें भी सम्मान और प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। -गायत्री सरकारी अस्पतालों में स्टाफ नर्सों की रिक्तियों को भरना अत्यंत आवश्यक है। पूर्ण स्टाफ होने से नर्सों की ड्यूटी शिफ्ट रोटेशन के आधार पर तय की जा सकती है, जिससे उनका कार्य संतुलित होगा और थकावट की कम होगी। -चित्रा अस्पतालों में कार्यरत स्टाफ नर्सें पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करती हैं। ऐसे में रोगियों और उनके तीमारदारों से अपेक्षा की जाती है कि वे सहयोग और संवेदनशीलता दिखाएं। यह समर्थन नर्सों को मानसिक शांति प्रदान करता है। -भावना नर्सों को अपने कार्य के दौरान सामाजिक और नैतिक समर्थन की अत्यधिक आवश्यकता होती है। यह उन्हें मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों से उबरने में मदद करता है। समाज को चाहिए कि वह नर्सों के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान का व्यवहार अपनाए। -रितेंद्री अस्पतालों की अव्यवस्था के कारण कई बार तीमारदार और मरीज नर्सों से अभद्र व्यवहार करने लगते हैं। यदि नर्सों को दोनों पक्षों से सहयोग और समर्थन मिले, तो वे अपनी सेवाएं कहीं अधिक प्रभावी और शांतिपूर्वक तरीके से दे सकती हैं। -एंजल

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