बोले मथुरा: बंदरों से बचने के लिए पिंजरों में कैद हैं लोग
Etah News - मथुरा के माता गली में बंदरों का आतंक बढ़ गया है, जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। नगर निगम द्वारा बंदर पकड़ने के प्रयासों के बावजूद स्थिति में सुधार...

मथुरा। नगर निगम द्वारा समय-समय पर बंदर पकड़ो अभियान चलाया जाता है लेकिन बंदरों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही। माता गली में करीब 200 मकान हैं। यह गली वार्ड संख्या 65 के अंतर्गत आती है। माता गली में लोगों को विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। उनके सामने मुख्य समस्या बंदरों के आतंक की है। स्थानीय निवासियों के मुताबिक नगर निगम द्वारा बंदर पकड़ो अभियान समय-समय पर चलाया जाता है। लेकिन माता गली में बंदरों की समस्या से अभी तक निजात नहीं मिली है। निजात मिलना तो दूर बंदरों की संख्या भी कम नहीं हुई है।
बंदरों के आतंक से लोग बुरी तरह परेशान हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं, स्कूली बच्चे एवं बुजुर्ग हैं। बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए बाजार तक जाने के लिए महिलाओं को हाथ में डंडा लेकर जाना पड़ता है। इसके बावजूद बंदर हमला कर देते हैं। यहां शायद ही कोई ऐसा घर होगा, जो बंदरों से बचने के लिए लोहे की जालियों से कवर न हो। बंदरों के आतंक के कारण स्थानीय निवासियों का छतों पर जाना एवं घर से निकलना दूभर हो गया है। स्थानीय निवासियों को रोजमर्रा का सामान घर तक लाना एक चुनौती बना हुआ है।
क्योंकि बंदर हाथ से सामान छीन ले जाते हैं। वहीं बंदरों के कारण स्थानीय लोग चोटिल भी हो चुके हैं। स्थानीय निवासियों ने हिन्दुस्तान से बातचीत में अपनी पीड़ा व्यक्ति की और नगर निगम के साथ-साथ प्रशासन से भी इस समस्या के समाधान की मांग की।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गली में बंदरों का आतंक तो है ही, साथ ही सीवर की समस्या भी बनी हुई है। नालियां चोक हैं, सकरी गली होने के कारण नगर निगम की गाड़ी भी अंदर नहीं घुस पाती है। वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि घर से निकलकर गली के बाहर पहुंचते हैं तो उनको जाम का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि होलीगेट अंदर जाम का बुरा हाल है। ई रिक्शा-ऑटो के कारण सबसे ज्यादा जाम लगता है। वहीं इस क्षेत्र में बिजली की अंडरग्राउंड फिटिंग होने के बावजूद पूरे क्षेत्र में बिजली के तार लटक रहे है
बंदरों के आतंक से स्कूली बच्चे परेशान
शहर के हृदय स्थल होलीगेट के अंदर माता वाली गली में बंदरों के आतंक से स्थानीय निवासी बुरी तरह से परेशान हैं। सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना बुजुर्गों, महिलाओं एवं स्कूली बच्चों को करना पड़ता है। स्कूल जाते समय एवं लौटते समय बच्चे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनको रास्ते में बंदरों का जमावड़ा ना मिल जाए। घर पहुंचने के बाद स्कूली बच्चे राहत की सांस लेते हैं। वहीं महिलाओं का भी घर से निकलना दूभर हो गया है।
लोगों का ये है कहना
मथुरा में बंदरों का आतंक नासूर बन चुका है। आए दिन बंदर किसी न किसी को घायल कर रहे हैं। बंदरों के आतंक से मुक्ति के लिए लोग कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
-अमित पाठक
बंदरों के आतंक से घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। बच्चे स्कूल और ट्यूशन जाने के लिए घर से निकलते समय डरते हैं। यही नहीं बच्चे घर से बाहर खेल नहीं पाते हैं। हमेशा डर बना रहता है कि कहीं बंदर हमला ना कर दें।
-बासुदेव पाठक
बंदरों की समस्या को लेकर कई बार नगर निगम के टोल फ्री नंबर पर शिकायत कर चुके हैं। उनके द्वारा केवल आश्वासन दिया जाता है लेकिन आज तक समाधान नहीं किया गया है।
-सचिन वर्मा
माता वाली गली में बंदरों के आतंक से बच्चों को स्कूल जाने-आने में परेशानी होती है। बंदरों का हुजूम गलियों से हट जाने के बाद कहीं आना-जाना हो पाता है। जिसके कारण स्कूल से आने एवं स्कूल जाने में देरी हो जाती है।
-वंश पाठक
नगर निगम द्वारा बंदर पकड़ो अभियान चलाया जाता है लेकिन स्थिति वहीं की वहीं बनी हुई है। नगर निगम वन विभाग पर टाल देता है और वन विभाग नगर निगम पर। बंदर पकड़ने का अभियान चलता है लेकिन बेअसर रहता है।
-रेनू शर्मा
बंदरों के आतंक से इतने परेशान है कि दुकानों पर एवं घरों के छतों पर भी जाली लगाई गई है। बंदरों के झुंड के झुंड निकलते हैं, जिससे घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। बंदर झपट्टा मारकर लोगों का समान छीन लेते हैं।
-राधा खंडेलवाल
गर्मियों में अक्सर बिजली की आवाजाही बनी रहती है। उस समय हम लोग अगर चाहें कि कुछ देर के लिए छत पर बैठ जाएं और छत पर ही सो जाएं तो बंदरों को कारण यह नहीं कर सकते हैं।
-कृष्णा शर्मा
ठंड में कपड़े घर के अंदर नहीं सूखते हैं। हम लोग छत पर बंदरों के डर के कारण कपड़े नहीं डाल पाते हैं। बंदर कपड़े उठा कर ले जाते हैं और फाड़ डालते हैं। किचन का दरवाजा बंद करके खाना बनाना पड़ता है।
-ध्रुव चतुर्वेदी
माता गली में आए दिन बंदर किसी न किसी को काटते रहते हैं। लोग छत पर कपड़े नहीं फैला पाते हैं। होली के समय चिप्स, पापड़ तक बनाना मुश्किल होता है। झपट्टा मार कर बंदर सब उठा ले जाते हैं। डंडा दिखाओ तो काटने दौड़ते हैं।
-कीर्ति चतुर्वेदी
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