स्वीकृति मिलने के बाद भी नहीं मिलीं एटा डिपो को जनरथ एसी बसें
एटा। लॉकडाउन से पहले शासन ने एटा डिपो को देने के लिए छह एसी जनरथ बसें स्वीकृत की थीं। उसके बाद भी डिपो को कोई भी बस नहीं मिल सकी। एटा डिपो के लिए...
एटा। लॉकडाउन से पहले शासन ने एटा डिपो को देने के लिए छह एसी जनरथ बसें स्वीकृत की थीं। उसके बाद भी डिपो को कोई भी बस नहीं मिल सकी। एटा डिपो के लिए स्वीकृत की गई सभी बसें अलीगढ़ परिक्षेत्र के अन्य तीन डिपो को दे दी गईं। इसके कारण जनपद के यात्री एसी बसों की सुविधा से वंचित बने हुए हैं।
एटा डिपो आय के मामले में अलीगढ़़ परिक्षेत्र के तहत आने वाले सभी सातों बस डिपो में अव्वल है। उसके बाद भी डिपो के पास अब तक कोई भी एसी बस नहीं है। इसके कारण यात्रियों को साधारण बसों में ही यात्रा करनी पड़ रही है। गर्मियों में जनपद के यात्रियों को आरामदायक बस यात्रा उपलब्ध कराने को लेकर बीते वर्ष उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने एटा डिपो को छह एसी जनरथ बसें देने की स्वीकृत अलीगढ़ आरएम को दी थी। एसी बसों का मेंटेनेंस अधिक होने के साथ उस समय जनपद की सड़कें खराब होने के कारण एटा डिपो के तत्कालीन एआरएम मदनलाल ने अलीगढ़ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक से सभी एसी जनरथ बसें लेने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं तत्कालीन एआरएम ने एटा डिपो वर्कशॉप की स्थिति खराब होने के कारण भी बसों को लेने से इनकार किया था। इसके कारण स्वीकृत सभी एसी बसों को आरएम ने कासगंज, हाथरस एवं बुद्ध विहार डिपो को दे दिया। एटा डिपो के लिए स्वीकृत सभी बसें वर्तमान में कासगंज, हाथरस एवं बुद्ध विहार के लोगों को आरामदायक सफर उपलब्ध करा रही है। जबकि एटा के यात्री बसों की स्वीकृति मिलने के बाद भी साधारण बसों में यात्रा करने को मजबूर बने हुए हैं। शनिवार को एटा डिपो के सीनियर फोरमैन देवेन्द्र मुरारी सक्सेना ने बताया कि एटा डिपो वर्कशॉप में एसी बस मेंटेनेंस करने की सुविधा नहीं है। इसके अलावा वर्कशॉप का उबड़ खाबड़ फर्श एसी बसों के अनुकूल नहीं है। सबसे मुख्य बात यह भी रही कि उस समय एटा के अधिकांश मार्ग जर्जर बने हुए थे। इसके कारण तत्कालीन एआरएम ने सभी एसी बसों को लेने से इनकार कर दिया था। आएम ने एटा डिपो की बसों को कासगंज, हाथरस बुद्ध विहार को दे दिया है।
निगम की सभी बसों पर लगेगी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट
एटा। शनिवार को एटा डिपो के सीनियर फोरमैन ने बताया कि डिपो की सभी 118 बसों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाए जाने को सभी बसों की डिटेल आरएम कार्यालय भेज दी गई है। सभी बसों पर नबंर प्लेट लगवाने को लेकर टाटा एवं अशोक लीलेंड कंपनी को भी सूचित कर दिया गया है। बसों पर नंबर प्लेट बदलने पर निगम को लाखों रुपये का खर्चा करना पड़ रहा है।
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