Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़eow to investigate forgery in mbbs admission buddhist certificate officers of 7 districts also included investigation

एमबीबीएस दाखिले के लिए बड़ा खेल, खुलासे के बाद जांच ईओडब्‍ल्‍यू को; दायरे में 7 जिलों के अधिकारी भी

  • इस फर्जीवाड़े में 7 जिलों के जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाएगी। इस मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के कई अधिकारियों से भी पूछताछ की तैयारी है। यह एक ऐसा मामला है जिसमें चंद दिनों में सवर्ण छात्रों ने बौद्ध धर्म के होने का प्रमाण पत्र लगाया है।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, लखनऊ। विधि सिंहSat, 16 Nov 2024 06:33 AM
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MBBS Admission: यूपी के मेरठ क्षेत्र के एक निजी संस्थान में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए चंद दिनों में बौद्ध धर्म के होने का प्रमाणपत्र दिखाकर प्रवेश लेने के मामले में कई बड़े खेल उजागर हुए हैं। मामले की गम्भीरता को देखते हुए शासन ने इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दी है। इस फर्जीवाड़े में सात जिलों के जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाएगी। इस मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के कई अधिकारियों से भी पूछताछ की तैयारी है। अपने आप में यह प्रदेश का अनूठा मामला है, जिसमें चंद दिनों में सवर्ण छात्रों ने बौद्ध धर्म के होने का प्रमाण पत्र लगाया है।

वर्ष 2023-24 सत्र में प्रवेश के लिए निजी संस्थान में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए 200 सीटों पर प्रवेश होने थे। इनमें 100 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित थीं। काउंसिलिंग के दौरान 22 सीटों पर बौद्ध धर्म कोटे से आवेदन हुए। 78 सीटें खाली रह गई थीं। 22 सीटों पर प्रवेश लेने वालों में से 20 अभ्यर्थियों ने जो प्रमाण पत्र लगाए थे, वे चौंकाने वाले थे। इन सभी ने दिखाया था कि वह लोग सवर्ण थे और कुछ दिन पहले ही उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया है। इसमें मेरठ, बिजनौर, नोएडा, सहारनपुर समेत सात जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों की ओर से जारी प्रमाण पत्र भी लगे थे। सितम्बर में इन प्रमाण पत्रों के फर्जी होने का शक होने पर चिकित्सा शिक्षा विभाग को जांच सौंपी गई। जांच होने तक इन अभ्यर्थियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। यह मामला उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 का उल्लंघन भी है। सूत्रों के मुताबिक, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जांच शुरू की लेकिन यह जांच बेहद सुस्त रफ्तार से चली। इसमें सबको बचाने का खेल भी शुरू हुआ। शासन तक शिकायत पहुंची कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ठीक से जांच नहीं कर पा रहा है।

फाइलें खंगाली तो कई कदम पर खेल दिखे

चंद दिन पहले ही शासन ने इस फर्जीवाड़े की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी दी है। शुरुआती पड़ताल में कई कदम पर गड़बड़ियां पाई गई। इसमें जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी व अब तक जांच करने वाले चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से ईओडब्ल्यू जल्दी ही पूछताछ करेगी।

यह है नियम

अल्पसंख्यक कोटे में मुस्लिम, ईसाई, पारसी, बौद्ध, सिक्ख, जैन आते हैं। बौद्ध धर्म का प्रमाण पत्र उन्हें ही जारी किया जा सकता है, जो जन्म से बौद्ध हो अथवा उनके माता-पिता ने पहले से बौद्ध धर्म अपना रखा हो। इसके लिए उत्तर प्रदेश में 2021 से धर्मांतरण कानून भी लागू है। इस कानून के तहत धर्मान्तरण करने वाले व्यक्ति को 60 दिन पहले इसकी सूचना जिलाधिकारी को देनी होती है। फिर भी जिला अल्पसंख्यक अधिकारी की ओर से इनके प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए।

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