काबू में आ गया है इंसेफेलाइटिस, अब एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर चिंता में वैज्ञानिक
- इसको लेकर वैज्ञानिक अब चिंता जाहिर कर रहे हैं। इससे उच्चस्तरीय एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस होने का खतरा बढ़ रहा है। जिन मरीजों को एंटीबायोटिक दी जा रही है, उनमें से ज्यादातर को इसकी आवश्यकता ही नहीं। यह सामने आया है रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (RMRC) के रिसर्च में।
Encephalitis News: उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस की सबसे बड़ी वजह स्क्रब टायफस थी। यह बीमारी काबू में आ गई है। इसके बावजूद तेज बुखार होने पर चिकित्सक बच्चों को एजिथ्रोमाइसीन या डॉक्सीसाइक्लिन जैसे एंटीबायोटिक दे रहे हैं। इसको लेकर वैज्ञानिक अब चिंता जाहिर कर रहे हैं। इससे उच्चस्तरीय एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस होने का खतरा बढ़ रहा है। जिन मरीजों को एंटीबायोटिक दी जा रही है, उनमें से ज्यादातर को इसकी आवश्यकता ही नहीं है। यह सामने आया है रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) के रिसर्च में।
आरएमआरसी के नौ विशेषज्ञों की टीम ने एक वर्ष रिसर्च किया। आरएमआरसी के मीडिया प्रभारी डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि इस रिसर्च में एक्यूट फेब्राइल इलनेस (एएफआई) से जूझ रहे सभी 345 बच्चों को चुना गया। तेज बुखार से पीड़ित ये बच्चे जिले के 11 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज के लिए पहुंचे थे। उन्हें कम से कम छह दिन से बुखार था। उनके ओपीडी पर्चे पर डॉक्टर की सलाह को देखा गया। वहीं टीम द्वारा स्क्रब टायफस जांच के लिए खून का नमूना लिया गया।
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चौंकाने वाले मिले परिणाम
डॉ. अशोक ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक एंटीबायोटिक का धड़ल्ले से परामर्श दे रहे हैं। 50 बच्चे ऐसे मिले, जिन्हें एंटीबायोटिक का परामर्श नहीं मिला था, जबकि 193 बच्चों को एजिथ्रोमाइसीन और 16 को डॉक्सीसाइक्लिन लेने का परामर्श मिला था। वहीं 67 बच्चों को दोनों एंटीबायोटिक के कांबिनेशन का परामर्श मिला। चिकित्सकों ने एजिथ्रोमाइसिन व डॉक्सीसाइक्लिन के साथ एमाक्सीसिलिन, सेफेलोस्पोरिन समूह की एंटिबायोटिक दी थी। कुछ बच्चों को तो तीन-तीन एंटीबायोटिक का कांबिनेशन परामर्श के तौर पर दिया गया था।
इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित
यह रिसर्च इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुआ है। इसके अलावा यूरोप के अंतरराष्ट्रीय जर्नल में रिसर्च रिव्यू में है। डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि इस रिसर्च में पाया गया कि सिर्फ 10 फीसदी बच्चों को एंटीबायोटिक की दरकार थी। 90 फीसदी को बेवजह दी जा रही है। इससे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस होने का खतरा है। व्यस्क होने पर बच्चों पर ये एंटीबायोटिक कारगर नहीं होंगी। इस वजह से रिसर्च में सलाह दी गई है कि सरकार एजिथ्रोमाइसीन और डॉक्सीसाइक्लिन देने के अपने निर्देश पर पुन: विचार करें।
बच्चों में बुखार, दर्द आदि के लक्षण थे
डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि बच्चों को बुखार के साथ कमजोरी, शरीर में दर्द, गले में खराश, खांसी, सिरदर्द, मिचली, पेटदर्द, उल्टी, दस्त जैसे लक्षण थे। इसमें शून्य से 5 वर्ष तक के 82 बच्चे, 6 से 11 वर्ष के 126 और 12 से 18 वर्ष के 137 बच्चे शामिल रहे। जांच के दौरान सिर्फ 30 बच्चों में स्क्रब टायफस की पुष्टि हुई। इनमें 12 से 18 वर्ष के 19 बच्चे, 6 से 11 वर्ष के 16 और 5 वर्ष तक के 5 बच्चे शामिल रहे।