भूखा है टाइगर, घर से न निकलें, लखनऊ के कई इलाकों को वन विभाग ने किया अलर्ट
- सावधान! घर से न निकलें, टाइगर भूखा है। लखनऊ के ककोरी रहमानखेड़ा के आसपास इलाकों में वन विभाग ने अलर्ट जारी किया है। वन विभाग के अफसरों ने ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
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लखनऊ के रहमान खेड़ा के करीब 10 किलोमीटर में घूम रहे बाघ से बचने के लिए वन कर्मियों ने आसपास के कई इलाकों के लोगों को अलर्ट किया है। सावधान रहने के साथ घर से नहीं निकलने की सलाह दी है। बाघ भूखा है। शिकार किए हुए चार दिन बीत चुके है। विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि बाघ जल्द ही नया शिकार करेगा। इसलिए जंगल में बने तीनों मचान और गड्ढे के पास बकरे और पड़वे बांध दिए गए हैं। सीसीटीवी कैमरों से इलाके की निगरानी की जा रही है। दिन और रात में भी थर्मल ड्रोन कैमरे से बाघ की लोकेशन पता करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि बाघ को आसानी से ट्रैंकुलाइज किया जा सके। वन विभाग के अफसरों ने ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
काकोरी के रहमान खेड़ा जंगलों में 48 दिन से घूम रहे बाघ वन विभाग की तैयारियों से एक कदम आगे चल रहा है। आगे आगे बाघ पीछे पीछे वन विभाग की रणनीति पर ही वन विभाग काम कर रहा है। बाघ से एक कदम आगे की रणनीति विशेषज्ञ नहीं बना पा रहे है। नतीजा यह है कि वन विभाग की सभी रणनीतियों और तैयारियों को धता बताकर बाघ आसपास से निकल जा रहा है। हालांकि वन विभाग बाघ को जंगल के तीनों जोन में रखने में सफल होता दिख रहा है। रविवार की सुबह भी संस्थान के पिटफॉल वाले इलाके सहित उलरापुर के जंगलों में बाघ के ताजे पगचिह्न मिले हैं।
बाघ के लोकेशन नहीं तलाश पा रही डायना और सुलोचना
जोन तीन के उलरापुर में बेहता नाला से जंगल में जाने के पगचिह्न मिलने के बाद मादा हाथी डायना और सुलोचना से कॉम्बिंग करायी गई, लेकिन बाघ की लोकेशन नहीं मिली। वही रविवार शाम जंगल से सात किमी दूर काकोरी में तकिया शरीफ मजार के पीछे आम की बागों में बाघ के पगचिह्न पाये गए है। सूचना पर पहुंचे विशेषज्ञों ने जांच पड़ताल में पगचिह्न चार से पांच दिन पुराने होने की पुष्टि की है।
गड्ढे से 500 मीटर दूरी से निकल गया बाघ
डीएफओ डॉ सितांशु पाण्डेय ने बताया कि संस्थान के जोन एक और मीठे नगर के जोन दो को नो गो जोन एरिया बनाकर बाघ की निगरानी की जा रही है। शनिवार की रात बाघ पिटफॉल से पांच सौ मीटर की दूरी से निकल गया। रात में अंधेरा होने के चलते विशेषज्ञों की टीम ट्रैंकुलाइज नहीं कर सकी है। ऐसी स्थिति में सीसीटीवी कैमरों से इलाके की निगरानी की जा रही है। दिन और रात में भी थर्मल ड्रोन कैमरे से बाघ की लोकेशन पता करने का प्रयास किया जा रहा है।
अनाउंसमेंट के जरिए ग्रामीणों का सर्तक किया गया
रहमान खेड़ा के करीब 10 किलोमीटर में घूम रहे बाघ से बचने के लिए वन कर्मियों ने ग्रामीणों को जागरूक किया। वन कर्मी गांव-गांव अनाउंसमेंट के जरिए सर्तक करते नजर आ रहे है। झुंड बनाकर चलने की सलाह दी जा रही है। पगचिह्न या बाघ के चहलकदमी पर सूचना देने की बात कहीं जा रही है। ताकि किसी भी स्थिति से बाघ को पकड़कर ग्रामीणों के बीच फैले दहशत को कम किया जा सके।