10 किलोग्राम पेलोड के ड्रोन वायु पुत्र का सफल परीक्षण
Deoria News - देवरिया, निज संवाददाता। राजकीय पॉलिटेक्निक के पूर्व और वतर्मान छात्रों ने मिलकर गुरुवार
देवरिया, निज संवाददाता। राजकीय पॉलिटेक्निक के पूर्व और वतर्मान छात्रों ने मिलकर गुरुवार को 10 किलोग्राम पेलोड के ड्रोन वायुपुत्र का सफल परीक्षण विकास भवन परिसर में किया गया। ड्रोन का उपयोग फसलों पर दवा, कीटनाशक और बूस्टर के छिड़काव में किया जाएगा, जो विशेष रूप से गन्ने की खेती और बागवानी के लिए किया जा सकता है। इसकी निर्माण में लगभग 3.5 लाख रुपये है, जो इस वर्ग के अन्य व्यावासायिक ड्रेानों की तुलना में एक तिहाई है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के उपक्रम राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) के हैंडहोल्ड सपोर्ट और मुख्य विकास अधिकारी प्रत्यूष पांडेय के मार्गदर्शन में राजकीय पॉलिटेक्निक के पूर्व और अंतिम वर्ष के छात्रों द्वारा 10 किलोग्राम पेलोड क्षमता वाले ड्रोन का सफल परीक्षण विकास भवन की पार्किंग में किया गया।
ड्रेान के निर्माण कार्य में राजकीय पॉलिटेक्निक के प्रचार्य डीके गौतम, इलेक्ट्रॉनिक्स के विभागाध्यक्ष कृति अस्थाना, इलेक्ट्रॉनिक्स के लेक्चर सुधीर सिंह और नरेंद्र मोहन मिश्रा ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया। उन्होंने कहा कि देश में ड्रोन के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार इसके विकास पर विशेष जोर दे रही है। ड्रोन के अलग अलग वर्जन है , जिसका उपयोग अलग अलग क्षेत्रों में किया जा सकता है। बार्डर पर निगरानी से लेकर समान पहुंचाने के साथ बम गिराने में उपयोग किया जा रहा है।
इसके साथ ही किसानों के कार्य वाले ड्रोन का निर्माण किया गया है। कालेज के पूर्व छात्र और इस वर्ष के छात्रों ने मिलकर लेक्चर के देख रेख में 10 किलाग्राम भार ले जाने वाला ड्रोन बनाया है। इसका नाम वायुपुत्र रखा गया है। इसका उत्पादन होने पर प्रदेश के साथ ही देश के किसानों का लाभ मिलेगा। इस ड्रोन को बनाने में 3.5 लाख रुपये की लागत पड़ेगी। जो इस प्रकार के ड्रोनों से काफी कम है। ड्रोन के विकास में आगे भी कार्य किया जाएगा।
ड्रोन का उपयोग फसलों पर दवा, कीटनाशक और बूस्टर के छिड़काव में किया जाएगा, जो विशेष रूप से गन्ने की खेती और बागवानी के लिए अत्यंत उपयोगी है। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम के केंद्र प्रमुख रोहित सिंह और हिमांशु ने कहा कि इस इकाई का जल्द ही उद्यम पंजीकरण कराया जाएगा, जिससे इस निर्माण का व्यावसायिक लाभ भी मिल सके। पंजीकरण के उपरांत ये छात्र ड्रोन निर्माण, मरम्मत, सिंचाई और निगरानी जैसे कार्य व्यावसायिक रूप से कर सकेंगे।
इस दौरान ज्योति प्रकाश जायसवाल ,अभिषेक और कमलेश मिश्रा ने कहा कि शार्क टैंक की तर्ज पर यहां के उद्यमी इस नवप्रवर्तित उद्योग में सशर्त निवेश करने के लिए तैयार हैं। कार्यक्रम में जिला विकास प्रबंधक, नाबार्ड सूरज शुक्ला, जिला विकास अधिकारी रविशंकर राय, एनआरएलएम के डीडीएम कुमार गौरव, गन्ना विकास विभाग और इफ्को के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
इन छात्रों ने मिलकर किया था ड्रेान का निर्माण
राजकीय पॉलिटेक्निक के छात्र पिछले कई वर्षो से अपने लेक्चर के दिशा निर्देशन में ड्रोन निर्माण का कार्य कर रहे थे। इसके लिए छात्रों ने एक गुट बनाया था। जिसमें ओंकार, चंद्रभूषण, हिमांशु, प्रशांत, आदर्श और अंकिता शामिल है। ग्रुप के सभी साथी ड्रोन बनाने के लिए स्वंय आर्थिक सहयोग किया। टीम के सदस्यों ने इसके लिए काफी तैयारी किया।
दर्जनों बार परिसर में इसका सफल परीक्षण किया। छात्रों के सफलता से कालेज के शिक्षक और छात्र भी प्रभावित हुए है। ओंकार का कहना है कि जिस प्रकार का सहयोग मिला है, ऐसे मार्ग दर्शन मिले तो आगे इससे अधिक पेलोड के ड्रोन बनाया जा सकता है। इसके लिए जिला मुख्यालय पर संसाधन उपलब्ध कराया जाए। संसाधन मिले तो ड्रोन के निर्माण में जिला अग्रणी हो सकता है।
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