बोले देवरिया: मानदेय बढ़े, प्रोन्नति मिले; हमारा भी आयुष्मान कार्ड बने
Deoria News - Deoria news : वर्ष 2014 में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन हुआ और वेतन-सुविधाएं बढ़ीं तो लगा कि जीवन की गाड़ी अब पटरी पर आ जाएगी लेकिन 3 साल बाद ही उन्हें वापस शिक्षामित्र के पद पर भेज दिया गया। मात्र 10 हजार रुपये प्रतिमाह के मानदेय पर वे स्कूल खुलने से लेकर बंद होने तक ड्यूटी करते हैं।
परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ढाई दशक पहले बेसिक शिक्षा परिषद ने शिक्षामित्रों की नियुक्ति की थी। नियुक्ति के समय से आज तक शिक्षामित्रों का जीवन संघर्ष में ही बीत रहा है। वर्ष 2014 में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन हुआ और वेतन-सुविधाएं बढ़ीं तो लगा कि जीवन की गाड़ी अब पटरी पर आ जाएगी लेकिन तीन साल बाद ही उन्हें वापस शिक्षामित्र के पद पर भेज दिया गया। मात्र 10 हजार रुपये प्रतिमाह के मानदेय पर वे स्कूल खुलने से लेकर बंद होने तक ड्यूटी करते हैं। उन्हें न तो आयुष्मान कार्ड का लाभ मिलता है और न ईएसआई का। उनके नाम से राशन कार्ड भी नहीं बन पाता। जिनके नाम से राशन कार्ड थे, उनके भी रद्द कर दिए गए।
शिक्षामित्र विनय कुमार मिश्र कहते हैं कि अधिकतर शिक्षामित्रों की नियुक्ति वर्ष 2001 से लेकर 2009 के बीच हुई। विद्यालयों में नियुक्ति होने के बाद ऐसा लगा कि अब हमारा भविष्य संवर जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हम शिक्षक के बराबर बच्चों को पढ़ाते हैं, ड्यूटी के घंटे भी समान हैं, गैर शैक्षणिक कार्य भी हम उनके समान ही करते हैं लेकिन सुविधाओं की बात करें तो उनके वेतन का एक चौथाई हिस्सा भी हमें नहीं मिलता। स्कूलों से लेकर विभाग के कार्यालय तक हमें दूसरी नजरों से देखा जाता है। समाज में भी हमें शिक्षक के बराबर सम्मान नहीं मिलता है। योगेंद्र भारती का कहना है कि सात वर्ष से मानदेय में एक रुपये की बढ़ोतरी नहीं हुई। महंगाई आसमान छूने लगी है। हमारी समस्याएं न तो सरकार को दिखती है और न ही जनप्रतिनिधियों को। अवधेश प्रसाद का कहना है कि हम ब्लॉक से लेकर दिल्ली तक संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
स्मार्टफोन और डाटा का खर्च दे सरकार
शिक्षामित्रों का कहना है कि उन्हें महज दस हजार रुपये मानदेय मिलता है। इस मानदेय में वह किसी तरह अपने परिवार का खर्च चलाते हैं। स्कूल से संबंधित काम के लिए स्मार्टफोन खरीदना उनकी मजबूरी है। हर महीने मोबाइल में डाटा का रीचार्ज भी कराना पड़ता है। इसके लिए उन्हें अलग से कोई भुगतान नहीं मिलता है। जनार्दन भारती कहते हैं कि स्मार्टफोन और डाटा का खर्च शिक्षामित्रों पर भारी पड़ रहा है। मानदेय का एक हिस्सा उसी में खर्च हो जाता है। सरकार को इसके लिए अलग से मानदेय देना चाहिए।
समायोजन के बाद फिर उसी स्थिति में पहुंच गए शिक्षामित्र
शिक्षामित्रों का भविष्य 2014 में संवर गया था। तीन वर्षों तक वह सहायक अध्यापक बनकर रहे। इस दौरान उन्हें सरकारी शिक्षक का वेतन भी मिलता रहा। बाद में उन्हें मूल पद पर भेज दिया गया और वे फिर शिक्षामित्र बनकर ही रह गए। मानदेय भी 10 हजार रुपये सीमित कर दिया गया। इसके कारण परिवार का खर्च चलाने में काफी परेशानी हो रही है।
अन्य कार्यों से बढ़ रहा दबाव
नीलम कुशवाहा का कहना है कि शैक्षणिक कार्यों के अलाव कई अन्य कार्यों की जिम्मेदारी भी शिक्षामित्रों को दे दी जाती है। जनगणना, मतदाता सूची अद्यतन, बीएलओ, सर्वेक्षण, मध्याह्न भोजन प्रबंधन जैसे कार्य हमसे कराए जा रहे हैं। अतिरिक्त कार्य के बदले अलग से कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता है। दूसरे कार्यों में ड्यूटी लगाए जाने से स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। शिक्षामित्रों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखा जाना चाहिए।
भविष्य की बनी रहती है चिंता
रमेश यादव कहते हैं कि शिक्षामित्रों के लिए पदोन्नति की व्यवस्था नहीं है। इस संबंध में सरकार ने कोई नीति नहीं बनाई है। इसकी वजह से नौकरी में उन्नति की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं। पदोन्नति न होने के कारण उनका मनोबल गिर रहा है। मेहनत करने के बाद भी शिक्षामित्रों को कॅरियर में कोई ग्रोथ नहीं मिल रहा है। पदोन्नति न होने से वेतन में भी अपेक्षित वृद्धि नहीं होती है। उन्हें हमेशा भविष्य की चिंता रहती है।
सर्दी व गर्मी की छुट्टियों का भी कट जाता है मानदेय
शिक्षामित्रों को वर्ष में केवल 11 माह का ही मानदेय दिया जाता है। सर्दी और गर्मी की छुट्टियां सरकारी अध्यापक व शिक्षामित्र दोनों के लिए होती है, लेकिन शिक्षामित्रों का छुट्टियों के दौरान का मानदेय काट लिया जाता है। सरोज यादव कहती हैं कि जनवरी और जून में 15-15 दिन का ही मानदेय दिया जाता है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
शिकायतें
1. शिक्षामित्रों का तबादला नहीं हो रहा है। कई लोगों की तैनाती घर से काफी दूर है। उन्हें रोज लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
2. पदोन्नति की व्यवस्था नहीं है, जिस पद पर भर्ती हुए उसी पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
3. बीमार पड़ने पर मेडिकल लीव नहीं मिलती, छुट्टी लेने पर मानदेय कट जाता है।
4. स्वास्थ्य बीमा की सुविधा नहीं है। बीमार पड़ने पर हजारों रुपये जेब से खर्च करने
पड़ते हैं।
5. जनवरी और जून महीने में महज 15 दिन का मानदेय मिलता है। यह न्याय संगत नही है। इस पर विचार होना चाहिए।
सुझाव
1. शिक्षामित्रों की भी पदोन्नति होनी चाहिए। इसके लिए शासन को नीति बनानी चाहिए।
2. अनुभव और योग्यता के आधार पर शिक्षामित्रों को नियमित शिक्षक के पद पर नियुक्ति किया जाए।
3. शिक्षा के अलावा अन्य काम में शिक्षामित्रों को न लगाया जाए। यदि जरूरी हो तो उस कार्य का अलग से पारिश्रमिक मिले।
4. महिला शिक्षामित्रों को सीसीएल मिलना चाहिए, जिससे वे खुद को सम्मानित महसूस करें।
5. भविष्य निधि की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे भविष्य को लेकर शिक्षामित्र निश्चिंत हो सकेंगे।
शिक्षामित्रों की पीड़ा
परिषदीय विद्यालय के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष है, जबकि शिक्षामित्रों को 60 वर्ष पर ही सेवानिवृत्त कर दिया जाता है। सेवानिवृत्ति की आयु के साथ हमारा मानदेय भी बढ़ाया जाए।
शत्रुध्न यादव, शिक्षामित्र
सरकारी अध्यापकों की तरह हमको भी सीसीएल मिलनी चाहिए, सरकार को हमारी समस्याओं पर विचार करना चाहिए व इसको लागू करना चाहिए। हमें भी सम्मानजनक मानदेय मिले।
मिथिलेश मिश्रा, शिक्षामित्र
शिक्षामित्रों की सबसे बड़ी मांग मूल विद्यालयों में समायोजन करने की है। इसके लिए हम लोग लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन इस पर सरकार की तरफ से विचार नहीं किया जा रहा है।
रमेश यादव, मंडल संरक्षक, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
पूरे वर्ष भर में 11 छुट्टी मिलती है। बीमार पड़ गए तो मानदेय से ही काट लिया जाता है। शिक्षक को सभी सुविधाएं दी गई हैं, लेकिन शिक्षामित्र को कुछ भी नहीं मिलता।
रवि प्रकाश, प्रदेश उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
शिक्षामित्रों को मेडिकल सुविधाएं नहीं हैं। मानदेय भी बहुत कम दिया जाता है। हम लोगों को बीमार होने पर इलाज में दिक्कत होती है। इसलिए शिक्षामित्रों का आयुष्मान कार्ड बनाया जाए।
शशिभूषण राय, शिक्षामित्र
किसी भी सरकारी विभाग में अगर कोई नौकरी करते हुए मर जाता है तो उनके परिवार के लोगों को आर्थिक मदद सरकार की तरफ से दी जाती है। यह व्यवस्था शिक्षामित्रों के लिए भी होनी चाहिए।
विनय कुमार मिश्र,शिक्षामित्र
शिक्षामित्रों को भी ईपीएफ योजना में शामिल किया जाना चाहिए, जिससे सेवानिवृत्त होने के बाद एकमुश्त धनराशि मिल जाए जो उनके बुढ़ापे में काम आए और किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े।
राजनाथ यादव, शिक्षामित्र
शिक्षामित्रों को कार्य करने के लिए ऐप तो दिए गए हैं, लेकिन उन्हें चलाने के लिए मोबाइल नहीं मिला है। दस हजार का मानदेय पाने वाला शिक्षामित्र किसी तरह स्मार्टफोन खरीद कर ऐप चला रहे हैं।
अनिरुद्ध यादव, शिक्षामित्र
शिक्षामित्रों के लिए मेडिकल लीव का इंतजाम नहीं है। बीमार होने पर दिक्कत होती और न ही उनके इलाज में कोई मदद होती है। कैशलेस इलाज का इंतजाम शिक्षामित्रों के लिए भी होना चाहिए। संजय पांडेय, जिला संरक्षक, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
शिक्षामित्रों को कार्य करने के लिए ऐप तो दिए गए हैं, लेकिन उन्हें चलाने के लिए मोबाइल नहीं मिला है। दस हजार का मानदेय पाने वाला शिक्षामित्र किसी तरह स्मार्टफोन खरीद कर ऐप चला रहे हैं।
अनिरुद्ध यादव, शिक्षामित्र
कई शिक्षामित्र ऐसे हैं, जो शिक्षक पद की सभी पात्रता पूरी कर लेते हैं। ऐसे लोगों को शिक्षक के पद पर समायोजन करना चाहिए। उनका मनोबल बढ़ाकर शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना चाहिए।
आनंद प्रकाश, शिक्षामित्र
शिक्षामित्रों को आयुष्मान योजना से लाभान्वित करते हुए उन्हें मेडिकल बीमा भी दिया जाए। जिससे उनका ठीक से उपचार हो सके। सरकार को उन्हें विशेष योजनाओं का भी लाभ देना चाहिए।
मनीष मिश्रा, शिक्षामित्र
महंगाई बढ़ती जा रही है। शिक्षामित्रों को मानदेय भी कम मिलता है। वर्तमान समय में महंगाई को देखते हुए समान कार्य, समान वेतन लागू किया जाना चाहिए, जिससे शिक्षामित्रों के जीवन में भी खुशहाली आ सके।
विनय कुमार यादव, शिक्षामित्र
शिक्षकों के लिए 14 सीएल व 365 दिन का मेडिकल अवकाश भी है, जबकि हमें मेडिकल अवकाश की जरूरत पड़ती है तो अवैतनिक अवकाश लेना पड़ता है।
बलभद्र नारायण कुशवाहा
जिलामंत्री, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
बोले जिम्मेदार
जिले में तैनात शिक्षामित्रों को दस हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है। उनकी हर समस्या पर विभाग का ध्यान है। उनका निस्तारण भी किया जाता है। जहां तक समायोजन और मानदेय का सवाल है तो यह शासन स्तर का मामला है। शिक्षामित्रों का विषय शासन की प्राथमिकता में रहता है। विभागीय स्तर पर प्रयास किया जाता है कि किसी भी शिक्षामित्र के साथ कोई ज्यादती न हो। उनके साथ विभागीय अधिकारी पूरी संवेदना बरतते हैं। शिक्षामित्र किसी भी समस्या के लिए विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
-शालिनी श्रीवास्तव, बीएसए, देवरिया
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