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वित्तविहीन स्कूलों में प्रायोगिक परीक्षा को लेकर नहीं है कोई तैयारी

Deoria News - पथरदेवा/बघौचघाट(देवरिया), हिन्दुस्तान टीम। माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित स्कूल-कॉलेजों में फरवरी

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाWed, 15 Jan 2025 09:58 AM
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पथरदेवा/बघौचघाट(देवरिया), हिन्दुस्तान टीम। माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित स्कूल-कॉलेजों में फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में प्रायोगिक परीक्षा होनी निर्धारित है। सरकारी कॉलेजों ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है लेकिन वित्तविहीन कॉलेजों का हाल बुरा है। अभी तक अधिकतर कॉलेजों के लैब के फाटक तक नहीं खुले हैं। लैब के सामने धूल धकड़ और खर पतवार पसरा हुआ है। कहीं प्रयोग के लिए आवश्यक संसाधन मौजूद नहीं तो कहीं पर प्रयोगशाला में केमिकल्स व उपकरणों का टोटा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रायोगिक परीक्षा को लेकर प्राइवेट कॉलेज कितने गंभीर हैं।

जिले में माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड ) के तहत 22 राजकीय, 409 वित्तविहीन, 122 एडेड और एक कस्तूरबा को मिलाकर कुल 554 विद्यालय संचालित है। इनमें शैक्षिक सत्र 2024-25 में करीब 45 हजार से अधिक विद्यार्थी विज्ञान वर्ग से पढ़ाई करते हैं। कुछ दिन पहले माध्यमिक शिक्षा परिषद ने दसवीं और बारहवीं कक्षा की लिखित और प्रायोगिक परीक्षा की समय सारणी जारी कर दी है। इसके मुताबिक दो फरवरी से प्रायोगिक परीक्षा होनी है। इसको देखते हुए सरकारी स्कूलों में शिक्षक विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल की तैयारी करा रहे हैं, जबकि मान्यता प्राप्त वित्तविहीन स्कूलों में प्रायोगिक परीक्षा को लेकर कोई प्लान ही नहीं है। अधिकतर स्कूलों में साल्ट से लेकर ऑप्टिकल बेंच, टेस्ट ट्यूब, पीएन संधि डायोड और केमिकल बैलेंस का टोटा है। यह हाल तब है जब हर विद्यार्थी से 11 वीं और 12 वीं कक्षा में साठ रूपए विज्ञान शुल्क के रूप में लिए जाते हैं। इसके बावजूद भी संसाधनों की खरीद नहीं की जाती है। पथरदेवा, बघौचघाट और तरकुलवा क्षेत्र में कई ऐसे कॉलेज हैं जहां पर अभी तक लैब के फाटक ही नहीं खुले हैं। पथरदेवा में संचालित एक स्कूल के छात्र ने बताया कि उसके कालेज में प्रैक्टिकल का अभ्यास नहीं कराया जाता है। प्रैक्टिकल में अच्छे नंबर पाने के लिए शुल्क लगाया गया है।

इंसर्ट------

--प्रयोगशाला में महंगे संसाधनों की पड़ती है जरूरत

इंटरमीडिएट में प्रयोग के लिए माइक्रोस्कोप, लेंस, मीटर सेतु, पीएन संधि डायोड, गैस बर्नर, अम्लीय-क्षारीय उपकरण, ग्लिसराल, वॉच ग्लास, सिल्वर नाइट्रेट, बोरेक्स व सिल्वर आयोडाइड समेत अन्य केमिकल्स और उपकरणों की जरूरत पड़ती है। इनमें से सिल्वर नाइट्रेट, टॉलेन थ्री और फेरिक अमोनियम नाइट्रेट काफी महंगे हैं। लिहाजा सरकारी से लेकर वित्तविहीन कॉलेजों में इन चीजों की खरीदारी नहीं की जाती है। संसाधनों की कमी के चलते छात्रों को सामूहिक प्रैक्टिल करा दिए जाते हैं। ऐसे में कई विद्यार्थियों को परखनली पकड़ने तक को नहीं मिलती।

-----सुविधा शुल्क से मिल जाता है अच्छा नंबर

बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की जीव विज्ञान, भौतिक और रसायन विज्ञान की प्रायोगिक परीक्षा कराई जाती है। इसके लिए बाहर से परीक्षक आते हैं। परीक्षा में अच्छे नंबर के लिए प्रति विषय छात्रों से सात सौ से लेकर हजार रुपए का शुल्क वसूला जाता है।

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