भक्तिकाल में दिखते हैं ईश्वर के अनेक रूप : प्रो.चितरंजन
रुद्रपुर(देवरिया), हिन्दुस्तान टीम। रामजी सहाय पीजी कॉलेज के सुमित्रा सहाय सभागार में हिन्दी का
रुद्रपुर(देवरिया), हिन्दुस्तान टीम। रामजी सहाय पीजी कॉलेज के सुमित्रा सहाय सभागार में हिन्दी का भक्ति काव्य: मूल्य और महत्व विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विवि बर्धा महाराष्ट्र के पूर्व प्रति कुलपति प्रो.चितरंजन मिश्र ने कहा कि भक्ति काल में ईश्वर किसी एक रूप में नहीं बल्कि अनेक रूप में दिखाई दिए हैं।
उन्होंने कहा कि भक्ति काव्य बहुसंख्यक बाद नहीं बल्कि ईश्वर के सन्दर्भ में बहुलता है। भगवान राम मर्यादा के पथ पर चलने की बजाय, मर्यादा स्थापित किए। विशिष्ट वक्ता दीदउ गोविवि के हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो.विमलेश कुमार मिश्र ने कहा कि भक्ति के स्वरूप को समझने के लिए आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के लोक मंगलवाद, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के लोक कल्याण और राम विलास शर्मा के लोक जागरण को समझे बिना इस के स्वरूप को नहीं समझा जा सकता है।
अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो.वृजेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि भक्ति काल के मूल में प्रेम ही मुख्य है। भक्ति का आधार प्रेम ही है। हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो.सन्तोष कुमार यादव ने स्वागत भाषण किया। संचालन डॉ.मनीष कुमार व डॉ.सुधीर कुमार दीक्षित ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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