बोले देवरिया : कमीशन बढ़े, दुकानों तक पहुंचे राशन
Deoria News - Deoria news : कोटेदारों को राशन वितरण का कमीशन अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम मिलता है। सिंगल डोर स्टेप डिलिवरी लागू होने के बाद भी कोटे की दुकान त
देवरिया। देवरिया जिले के कोटेदार बताते हैं कि राशन वितरण पर अन्य प्रदेशों में 200 रुपया प्रति कुंतल कमीशन मिलता है। अन्य सुविधाएं भी बेहतर हैं। यही नहीं कोटेदार गवंई राजनीति का शिकार भी नहीं होते हैं। मगर यूपी में राशन वितरण का कमीशन काफी कम है। वहीं यदि प्रधान दूसरे खेमे का बना तो दबाव डालकर कोटेदारों के खिलाफ कार्रवाई करा दी जाती है। इन सब दबावों में किसी तरह से काम करके कोटेदार अपनी आजीविका चलाते हैं। जिले में कोटे की कुल 1458 दुकानें हैं। इन दुकानों से 1,05,680 अंत्योदय कार्ड धारकों तथा 4.56 लाख पात्र गृहस्थी के कार्ड धारकों को राशन वितरण किया जाता है। अधिकांश कोटेदारों की शिकायत है कि उन्हें अन्य राज्यों की तुलना में कमीशन बहुत कम मिलता है। फेयर प्राइस शॉप डीलर एसोसिएशन के कार्यकारी जिलाध्यक्ष अखिलेश मिश्र के अनुसार वर्ष 2020 के बाद महज 20 रुपया प्रति कुंतल कमीशन बढ़ाकर 70 से 90 रुपया प्रति कुंतल किया गया है, जबकि दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में कोटेदारों को 200 रुपया प्रति कुंतल कमीशन मिलता है। कोटेदार राजेश कुमार पाण्डेय कहते हैं कि कार्ड धारकों का अंगूठा ई-पास मशीन पर लगाने के साथ वेइंग मशीन से पूरा राशन वितरण किया जाता है। इसके बाद भी रजिस्टर और वितरण प्रमाण पत्र को लेकर कोटेदारों का शोषण किया जाता है। रमेश प्रसाद ने कहा कि गवंई राजनीति के चलते कोटेदार नेताओं और अधिकारियों के कोप के शिकार होते हैं और बिना वजह कोटे की दुकानों को सस्पेंड कर दिया जाता है। रामकुमार सिंह का कहना है कि जब से एमडीएम व आंगनवाड़ी लागू हुआ है कोटे की दुकान तक न राशन जाता है और न ही कमीशन व भाड़ा मिलता है। चीनी का महज 70 पैसा प्रति किलो कमीशन मिलता, इसे बढ़ाकर दो रुपया प्रति किलो किया जाना चाहिए। संजय पटेल ने कहा कि सभी कोटे की दुकानों को सीसीटीवी से लैस किया जाय ताकि किसी तरह के आरोप लगने पर निष्पक्ष जांच हो सके। विजय कुमार राव ने कहा कि ठेकेदारों द्वारा दुकान तक राशन नहीं पहुंचाने से कोटेदारों को 400-500 रुपये भाड़ा अपने पास से खर्च करना पड़ता है। रामबास प्रसाद ने कहा कि कई बार ठेकेदार के प्रतिनिधि बिना सूचना दिये ही राशन लेकर पहुंच जाते हैं, इससे राशन उठाने में दिक्कत होती है।
कोविड काल में जान जोखिम में डालकर किया राशन वितरण
फेयर प्राइस शॉप डीलर एसोसिएशन के कार्यकारी जिलाध्यक्ष अखिलेश मिश्र का कहना है कि वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना का प्रकोप चरम पर था। महामारी की चपेट में आकर लगातार लोगों की जान जा रही थी। लोग अपने घरों में कैद होकर रहे गए थे। दहशत का आलम यह था कि लोग एक-दूसरे के घर आने-जाने से परहेज करते थे। परदेश से बड़ी संख्या में लोग गांव वापस आ गए थे। शासन ने मुफ्त और डबल राशन देने की योजना शुरू की। राशन का उठान और वितरण करने की जिम्मेदारी कोटेदारों की थी। उस विषम हालात में भी कोटेदारों ने अपनी जान जोखिम में डालकर राशन वितरण किया। जान बचाने के लिए परदेश से घर लौटे श्रमिकों के साथ ही ग्रामीणों के घर का चूल्हा जलता रहे इसके लिए लगातार राशन का वितरण किया गया। इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त कमीशन भी नहीं दिया गया। बार-बार धरना, प्रदर्शन के बाद उनके कमीशन में बढ़ोतरी और मानदेय देने की घोषणा नहीं की जा रही है। इसको लेकर कोटेदारों में काफी रोष है।
शिकायतें
1.ठेकेदार द्वारा कोटेदारों को पूरा वजन भर राशन नहीं दिया जाता है। बोरे के वजन 580 ग्राम के बराबर अतिरिक्त राशन भी नहीं दिया जाता है।
2. ठेकेदार कोटे की दुकान तक राशन नहीं पहुंचाते हैं। कोटेदारों को अपने खर्च पर राशन दुकान तक लाना पड़ता है।
3. गंवई राजनीति के कारण कोटेदारों पर कार्रवाई की तलावार लटकी रहती है। आए दिन कोई न कोई शिकायत कर देता है। हमेशा कार्रवाई का डर बना रहता है।
4. आसपास के राज्यों में कोटेदारों को कमीशन अपेक्षाकृत अधिक मिलता है। यहां काफी कम कमीशन मिलता है।
5. वेइंग मशीन से राशन वितरण के बाद भी कोटेदारों से प्रमाण पत्र की मांग की जाती है।
सुझाव
1.कोटेदारों को ठेकेदार द्वारा पूरा वजन के बराबर राशन दिया जाए। साथ ही बोरे के वजन 580 ग्राम के बराबर राशन भी अलग से दिया जाए।
2. कोटे की दुकानों तक राशन पहुंचाया जाए। ठेकेदारों को इसके लिए विभाग द्वारा निर्देशित किया जाए।
3. गंवई राजनीति के दबाव में कोटेदारों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई न की जाए। हर शिकायत की उचित जांच-पड़ताल की जाए।
4. अन्य राज्यों की तरह यहां भी कोटेदारों को 200 रुपये प्रति कुंतल कमीशन दिया जाए।
5. स्टाक रजिस्टर और वितरण प्रमाण पत्र की व्यवस्था खत्म की जाए। इससे कोटेदारों के प्रति अविश्वास की भावना पैदा होती है।
दुख-दर्द
कोटेदारों की सबसे बड़ी समस्या राशन कम और दुकान तक नहीं पहुंचना है। वितरण कमीशन भी 2020 में महज 20 रुपये बढ़ाया गया था। वर्तमान में कोटेदारों को 90 रुपये प्रति कुंतल कमीशन मिल रहा है। आसपास के राज्यों में 200 रुपये कुंतल कमीशन दिया जाता है। चीनी का कमीशन तो अब भी महज 70 रुपये ही है। राजनीतिक दबाव में बेवजह की जा रहीं शिकायतों पर कोटे की दुकानों को सस्पेंड कर दिया जाता है। एमडीएम और आंगनबाड़ी पोषाहार के लिए कोई भाड़ा या कमीशन नहीं मिलता है। कमीशन बढ़ाने, मानदेय देने के लिए कई बार प्रदर्शन किया गया पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। -विश्वजीत मणि,
जिलाध्यक्ष, फेयर प्राइस शॉप डीलर एसोसिएशन
कोटेदारों का कमीशन बेहद कम है। राशन के लिए 90 रुपये और चीनी के लिए 70 रुपये प्रति कुंतल ही कमीशन दिया जाता है।
राम कुमार सिंह,प्रदेश उपाध्यक्ष फेयर प्राइस शाप डीलर एसोसिएशएन
ठेकेदार कोटेदारों को पूरा वजन भर राशन नहीं देते हैं। वितरण के दौरान राशन कम पड़ने पर दिक्कत होती है। दुकान तक राशन पहुंचाया भी नहीं जाता है। अखिलेश मिश्र
अन्नपूर्णा भवन गांव से दूर बना दिया गया है। उसमें बिजली का कनेक्शन तक नहीं लगााया गया है। उसमें राशन रखना सुरक्षित नहीं हैं।
घनश्याम मणि
राशन उठान के दौरान बकाया होने पर ठेकेदार प्रतिनिधि राशन देने में आनाकानी करते हैं। शिकायत के बाद भी अधिकारी इसका निस्तारण नहीं करते हैं।
उमेश यादव
सिंगल डोर स्टेप डिलेवरी के तहत ढुलाई ठेकेदार को कोटे की दुकान तक राशन पहुंचाना है, लेकिन वह एक-दो किमी दूर बुलाकर राशन देते हैं।
प्रभाकर दूबे
बार-बार कहने के बावजूद ठेकेदार बोरे के 580 ग्राम वजन के बराबर राशन नहीं देते हैं। इससे वितरण के दौरान राशन कम पड़ जाता है।
विजय कुमार राव
अन्य राज्यों में कोटेदारों को राशन वितरण का कमीशन 200 रुपये प्रति कुंतल मिलता है। प्रदेश सरकार भी कोटेदारों का कमीशन बढ़ाए।
मनीष जायसवाल
कई बार राशन लेकर आने वाले ट्रक चालक रात में फोन कर राशन उठाने का दबाव बनाते हैं, जबकि रात में मजदूर और साधन मुश्किल से मिलता है।
दीनानाथ यादव
कार्ड धारकों के अंगूठा लगाने से वेइंग मशीन से राशन वितरण हो रहा है, इसके बाद भी स्टाक रजिस्टर व वितरण प्रमाण पत्र के नाम पर हमें परेशान किया जाता है।
संजय पटेल
राशन वितरण की व्यवस्था पारदर्शी होने के बावजूद गंवई राजनीति के कारण कोटेदारों की शिकायत होती है और उन पर कार्रवाई की जाती है।
रामबास प्रसाद
राशन वितरण के दौरान अक्सर सर्वर डाउन होने से कार्ड धारकों को अंगूठा लगाने को इंतजार करना पड़ता है, इसको लेकर नोंक-झोंक हो जाती है।
रमेश चन्द्र जायसवाल
जब से एमडीएम व आंगनबाड़ी का राशन लागू हुआ है, कोटेदारों को उसका भाड़ा, कमीशन नहीं दिया जाता है। राशन देने में भी मनमानी की जाती है। इसकी जांच हो।
भूलन सिंह
वर्ष 2020 में राशन वितरण का कमीशन तो बढ़ा, लेकिन चीनी का एक दशक से सात पैसा प्रति किलो मिलता है। इसे बढ़ा कर दो रुपए प्रति किलो किया जाए।
रमेश प्रसाद
ग्राम पंचायत में चुनाव को लेकर गुटबंदी शुरू हो जाती है, इसका खामियाजा कोटेदारों को भुगतना पड़ता है। उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी जाती है।
रजत मिश्र
अंगूठा लगाकर व वेइंग मशीन से वितरण के बाद भी वितरण प्रमाण पत्र मांगने का कोई औचित्य नहीं हैं, लेकिन इसके नाम पर शोषण जारी है।
राजेश कुमार पाण्डेय
बोले जिम्मेदार
कोटेदार संगठन द्वारा जो भी समस्या संज्ञान में लाया जाता उसका निस्तारण किया जाता है। राशन वितरण का कमीशन बढ़ाना शासन स्तर का मामला है। कोटेदारों की दुकान तक और पूरा वजन भर राशन पहुंचाने की जिम्मेदारी संबंधित ब्लॉक, नगर के ठेकेदार की है। इस मामले में खाद्य विभाग के अफसरों के साथ वार्ता करेंगे। शिकायत की जांच में गंभीर अनियमितता मिलने पर ही कोटे की दुकान को सस्पेंड किया जाता है। किसी भी राजनीतिक दबाव में कोटेदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है। कोटेदारों ने कोविड काल में राशन वितरण का बेहतर कार्य किया था।
-संजय कुमार पाण्डेय, जिला पूर्ति अधिकारी
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