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कबीर की कविताओं के प्रश्न तार्किक व विचारणीय-प्रो. रघुवंश मणि

देवरिया में प्रगतिशील लेखक संघ ने कबीर और दृष्टि पर गोष्ठी का आयोजन किया। प्रो. रघुवंश मणि ने कबीर की सामाजिक समस्याओं और रुढ़ियों के प्रति दृष्टि को बताया। उन्होंने कहा कि कबीर के प्रश्न धार्मिक...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाMon, 25 Nov 2024 09:15 AM
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देवरिया, निज संवाददाता। प्रगतिशील लेखक संघ ने रविवार को कबीर एवं दृष्टि विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया। इसमें सामाजिक समस्याओं व रुढ़ियों के प्रति कबीर की दृष्टि पर विचार किया गया। साथ ही वर्तमान परिदृश्य में कबीर की प्रासंगिकता पर भी वक्ताओं ने अपनी बात रखी। मुख्य वक्ता प्रोफेसर रघुवंश मणि ने कहाकि कबीर अपने समय के लोगों से ऐसे गंभीर प्रश्न पूछते हैं जो तार्किक व वैचारिक है। कबीर के प्रश्न सीधे धार्मिक सत्ताओं के लिए एक चुनौती की तरह रहे। इसके चलते कबीर को प्रबल विरोध का सामना करना पड़ा। उन्होंने आगे कहाकि कबीर सच को सच की तरह ही कहते हैं। आज के बुद्धिजीवी की तरह सुविधानुसार सच बोलने की तरह नहीं। कबीर के यहां प्रेम और ज्ञान अलग अलग नहीं हैं। आज सच बोलने वालों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया जा रहा है। यह सोचने पर विवश करता है। आज कबीर होते तो क्या वह जीवित रह पाते। प्रो. मणि ने कहाकि अगर हमें समाज में परिवर्तन लाना है तो कबीर की तरह बेलाग बोलना होगा। प्रश्न खड़े करना होगा। यही कबीर की प्रासंगिकता है। उन्होंने कहाकि जिस दिन हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर लेंगे, कबीर की प्रासंगिकता समाप्त हो जाएगी। संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव ने कहाकि हमारे देश में एक साथ कई परंपराएं चलती हैं। जिसके संवाहक कबीर हैं। कबीर जैसा व्यक्ति हजारों साल में कहीं एक बार पैदा होता है और समाज को नई रोशनी देकर चला जाता है। आज की दुनिया धर्म के नाम पर युद्ध कर रही है। वहीं कबीर अपने समय में सभी धार्मिक सत्ताओं और पाखंडों से बाहर निकलकर प्रेम पथ पर चलने का संदेश देते हैं। इसी कारण अपने समय में कबीर आम जन के मन में स्थापित हो गए थे। वह आज भी मेहनतकश लोगों की जुबान पर हैं। कार्यक्रम को रामजी सहाय पीजी काले के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. संतोष यादव, प्रगतिशील लेखकर संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. द्वारिका सिंह, उद्भव मिश्र, चतुरानन ओझा, डॉ. आरए कुशवाहा, नित्यानंद तिवारी, रुद्रनारायण कुशवाहा आदि ने भी संबोधित किया। संचालन सचिव जयप्रकाश कुशवाहा ने किया। इस अवसर पर प्रेम कुमार मुफलिस, बृजेंद्र मिश्र, मोहन कुमार जायसवाल, अजीत कुमार श्रीवास्तव, ओम प्रकाश कुशवाहा, जय सिंह कुशवाहा, देवेंद्र कुमार सिंह, वीरेंद्र यादव, अमिताभ कुमार, रणविजय सिंह, सरोज कुमार पांडेय आदि उपस्थित रहे।

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