कितनी भी हो इमरजेंसी 24 घंटे बाद ही मिलेगी सिटी स्कैन की रिपोर्ट
देवरिया में सिटी स्कैन रिपोर्ट 24 घंटे में मिलती है, लेकिन रोगियों को चिकित्सक की अगली ओपीडी का इंतजार करना पड़ता है। रिपोर्ट समय पर न मिलने से इमरजेंसी में इलाज में कठिनाई होती है। मेडिकल कॉलेज के...
देवरिया, निज संवाददाता। चाहे कितनी भी इमरजेंसी हो, कितनी भी जल्दी हो रोगी को 24 घंटे में सिटी स्कैन की रिपोर्ट मिलेगी। इसके चलते रोगी को रिपोर्ट दिखाने के लिए चिकित्सक की अगली ओपीडी तक इंतजार करना पड़ता है। इससे सिटी स्कैन रिपोर्ट का बहुत मतलब नहीं रह जाता है। महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में एक सिटी स्कैन सेंटर है। यहां रोगियों का नि:शुल्क स्कैन किया जाता है। औसतन 60-70 रोगी प्रतिदिन आते हैं। अगर किसी रोगी को सिटी स्कैन की जरुरत पड़ी तो चिकित्सक एक फार्म भरकर रोगी को देते हैं। यह फार्म सिटी स्कैन सेंटर पर आधार कार्ड की कॉपी के साथ जमा करने पर सेंटर पर नि:शुल्क सिटी स्कैन कर दिया जाता है। पर इसकी रिपोर्ट तुरंत नहीं मिलती है।
सेंटर के तकनीशियन रोगी को शाम चार बजे रिपोर्ट देने की बात कहते हैं। एक रसीद देकर इसे रिपोर्ट के समय लाने को कहते हैं। पर शाम चार बजे के बाद आमतौर पर सेंटर पर ताला लटक जाता है। इसके चलते कोई रिपोर्ट लेने जाता है तो उसे रिपोर्ट नहीं मिल पाती है। नाइट शिफ्ट के कर्मचारी रात में कब आएंगे कुछ पता नहीं रहता है।
इसके चलते रोगी को अगले दिन ही रिपोर्ट मिल पाती है। शहर के उमानगर निवासी विनय मिश्र ने 20 नवंबर को सिटी स्कैन कराया। उनकी रिपोर्ट उसी दिन नहीं मिली। ऐसे में 21 नवंबर को रिर्पोट लेकर ओपीडी में परिजन गए तो संबंधित चिकित्सक का टर्न नहीं होने से निराश हो गए। अभिनव मिश्र (10 माह) को भी रिपोर्ट 21 नवंबर को ही मिल पाई।
हेड इंजरी और टूट फूट मामले में होती है विशेष दिक्कत
एक्सीडेंटल केस में हेड इंजरी और शरीर के अन्य हिस्से में टूट फूट की दिक्कत हो तो सिटी स्कैन कराने के बाद रिपोर्ट नहीं मिलने पर भारी समस्या हो जाती है। केवल फिल्म के सहारे इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक अपने विवेक अनुसार सिटी स्कैन का परीक्षण कर चिकित्सा करते हैं। रेडियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट बाद में मिलती है। ऐसे में सही इलाज करने में दिक्कत पेश आती है।
सामान्य मामलों में भी होती है समस्या
कई इंजरी के अलावा भी चिकित्सक आवश्यकता होने पर सिटी स्कैन कराते हैं। इससे रोग का परीक्षण आसानी से किया जा सकता है। पर इस केस में भी रिपोर्ट अगले दिन मिलती है। ऐसे में संबंधित चिकित्सक को रिपोर्ट दिखाने के लिए रोगी को चिकित्सक की अगली ओपीडी तक इंतजार करना पड़ता है। यह आमतौर पर दो से तीन दिन लग जाते हैं। इसके चलते रोग का समय से निदान करने में दिक्कत होती है।
बिना थैले के मिल रही रिपोर्ट
मेडिकल कालेज के सिटी स्कैन केंद्र में रिपोर्ट और फिल्म काटन के एक थैले में दी जाती है। यह थैला लगभग एक महीने से समाप्त हो गया है। ऐसे में रोगी और उनके परिजन बड़ी सी सिटी स्कैन फिल्म को संभालने में कठिनाई पेश आती है। बिना थैला कैरी करने में कई बार फिल्म खराब हो जाती है।
डिजिटल एक्सरे पर भी बिना थैले के ही मिलती है फिल्म
मेडिकल कालेज के डिजिटल एक्सरे सेंटर पर भी बिना थैले के ही एक्सरे फिल्म रोगियों व उनके परिजनों को दी जाती है। हालांकि यह फिल्म छोटी होने से कैरी करने में थोड़ी आसान होती है। फिर भी खुले में ले जाने पर इस पर स्क्रैच का खतरा बना रहता है।
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