मेडिकल कालेज में नवजात पालन आश्रय स्थल के लिए हुआ भूमि पूजन
Deoria News - महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में अनचाहे नवजात शिशुओं के लिए आश्रय पालना स्थल की स्थापना की गई। यहां लोग अनचाहे बच्चों को सुरक्षित रूप से छोड़ सकते हैं। ये बच्चे चाइल्डलाइन के...
देवरिया, निज संवाददाता। महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में बुधवार को आश्रय पालना स्थल की स्थापना के लिए प्राचार्य डॉ. राजेश बरनवाल ने भूमि पूजन किया। इस आश्रय स्थल में लोग अनचाहे नवजात शिशुओं को इधर उधर फेंक देने की जगह इस आश्रय स्थल में छोड़ सकते हैं। इन्हें मेडिकल कालेज फिर चाइल्ड लाइन के माध्यम से सही परवरिश मिल सकेगी। इसकी स्थापना मां भगवती विकास संस्थान, उदयपुर के बैनर तले महेशाश्रम कर रहा है। एबीवीपी इसमें सहयोगी है।
महेशाश्रम के योगगुरु देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कई बार लोग अनचाहे नवजात शिशुओं को जन्म लेते ही डस्टबिन, कटीली झाड़ियों, नदी, तालाब, कुएं, बस या रेलवे स्टेशन या अन्य असुरक्षित स्थानों में फेंक दिया जाता है। ऐसे बच्चे कई बार दर्दनाक मृत्यु को प्राप्त होते हैं। कुछ गलत हाथों में पड़कर भिक्षावृत्ति, वेश्यावृत्ति या अन्य अनैतिक कार्यों में धकेल दिए जाते हैं।
इन मासूम नवजात शिशुओं के जीवन रक्षार्थ सुरक्षित परित्याग हेतु विधि सम्मत रूप से स्थान व व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने के लिए जिलाधिकारी के सहयोग से महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के इमरजेंसी के बाहर आश्रय पालना स्थल की स्थापना शुरू की जा रही है। उन्होंने कहाकि अनचाहे नवजात शिशु! फेंकें नहीं, हमें दें। बिना पहचान बताएं पालना में छोड़ जाए।
भूमि पूजन कार्यक्रम में सीएमएस डॉ. एचके मिश्र, एबीवीपी के जिला प्रमुख डॉ. अभिनव सिंह, गोरक्ष प्रांत के राज्य विश्वविद्यालय कार्य संयोजक ओमकार मिश्र, प्रांत कार्यकारिणी संयोजक श्याम मणि और जिला संगठन मंत्री अंकित मिश्र, महेशाश्रम के पंकज कुमावत, वन स्टॉप सेंटर की प्रबंधक नीतू भारती, काउंसलर मीनू जायसवाल आदि उपस्थित रहे।
शिशु को छोड़ने वाले की रहेगी गोपनीयता
महेशाश्रम के देवेंद्र अग्रवाल के अनुसार आश्रय पालना स्थल हाईटेक मोशन सेंसर से युक्त होंगे। इससे की पालना स्थल में शिशु को छोड़ने के दो मिनट बाद चिकित्सालय के स्वागत कक्ष में अपने आप घंटी बजेगी। इस दो मिनट के समय में छोड़ने वाला व्यक्ति आसानी से सुरक्षित रूप से वहां से जा सकेगा और इससे उसकी पहचान भी गोपनीय बनी रहेगी।
जो भी व्यक्ति आश्रय पालना स्थल के पालना में नवजात शिशु का सुरक्षित छोड़ता है उसकी पहचान पूर्ण रूप से गुप्त रखी जाएगी। ना ही उसे रोका जाएगा, ना ही टोका जाएगा, ना ही कुछ पूछा जाएगा, ना ही उन्हें पकड़ा जाएगा, ना ही उसके विरुद्ध पुलिस में कोई एफआईआर दर्ज की जा सकेगी।
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