बोले देवरिया : आधुनिक हों मदरसे, कामिल-फाजिल हो मान्य
Deoria News - Deoria news : मदरसों की बात होते ही जेहन में चटाई पर बैठकर तिलावत करते छात्र-छात्राओं की तस्वीर उभरती है। मदरसे अपनी इस छवि से बाहर निकलने की कोशिश कर
देवरिया। अनुदान और मान्यता के अभाव में देवरिया के दर्जनों मदरसे बंदी की कगार पर हैं। कई मदरसों में गणित-विज्ञान की पढ़ाई रुक गई है। कुछ मदरसा संचालक चंदा मांग कर और इधर-उधर के जुगाड़ से इन विषयों की पढ़ाई करा रहे हैं। देवरिया में संचालित मदरसों को कामिल और फाजिल स्तर की मान्यता ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय से मिलनी चाहिए। यूजीसी से मान्यता के अभाव में कामिल व फाजिल की डिग्री को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है। इसके चलते मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे आलिम की पढ़ाई पूरी करने के बाद दोराहे पर खड़े हैं। मदरसा आधुनिक शिक्षक मोहम्मद जिकरुल्लाह कहते हैं कि केंद्र और राज्य से मिलने वाली मदद बंद हो जाने से आधुनिक शिक्षक भुखमरी की कगार पर हैं। वह पढ़ाने का कार्य छोड़कर दूसरा काम अपना रहे हैं। मदरसा में गणित पढ़ाने वाले अख्तर अली कहते हैं कि आधुनिकीकरण योजना से मदरसे के बच्चे भी गणित, विज्ञान, हिंदी और अंग्रेजी की पढ़ाई करते थे। योजना बंद हो जाने से शिक्षकों को मानदेय नहीं मिल रहा है। इससे उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। इन शिक्षकों के मदरसा छोड़ देने से बच्चे आधुनिक विषयों की पढ़ाई से महरूम हैं। मदरसा गौसिया मल्सी खास के प्रधानाचार्य सादिक अली कहते हैं कि वर्ष 2024 तक जिले से लगभग 2000 छात्र तालिब इल्म कामिल और फाजिल की पढ़ाई कर रहे थे। दोनों डिग्रियों के असंवैधानिक घोषित हो जाने से पढ़ाई करने वाले बच्चे परेशान हैं। हाफिज इरफान खान कहते हैं कि मदरसा में फाजिल की डिग्री नहीं मिलने से बच्चे मायूस हैं। हाफिज-ए-कुरान बनने के बाद भी उन्हें फजीलत की डिग्री नहीं मिल रही है। मौलाना आदिल कहते हैं कि मुंशी, मौलवी और आलिम की पढ़ाई के बाद बच्चे कामिल और फाजिल की पढ़ाई के लिए भटक रहे हैं। हाफिज मोहम्मद जावेद कहते हैं कि जब तक मदरसा में पढ़ने वाले बच्चों को कामिल फाजिल की डिग्री नहीं मिलेगी, उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। शिक्षक सरफराज अहमद कहते हैं कि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अपनी परीक्षाओं को यूपी बोर्ड से पहले करा लेता है, लेकिन रिजल्ट, अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र देने में उसे 5 से 6 महीने लग जाते हैं। इसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को उठाना पड़ता है। उनकी पढ़ाई एक या दो साल तक बाधित हो जाती है।
मदरसा बोर्ड की डिग्री पर पासपोर्ट बनवाने में होती है दिक्कत
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद लखनऊ की ओर से प्रदेश भर के मदरसों में संचालित मुंशी, मौलवी को हाईस्कूल और आलिम की डिग्री को इंटर के समकक्ष माना गया है। सरकार से इसको मान्यता भी मिली है मगर पासपोर्ट बनवाने के दौरान इसे फर्जी बताकर इनकार किया जाता है। इस बारे में देवरिया जिले के मदरसा शिक्षक शमशीर अहमद बताते हैं कि दोनों डिग्रियों को उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार से अप्रूवल मिला हुआ है। बावजूद इसके पासपोर्ट बनाने वाले लोग मुंशी और मौलवी की डिग्री को फर्जी बताकर पासपोर्ट बनाने से इनकार करते हैं। कई बार पासपोर्ट बनवाने को इच्छुक अभ्यर्थी मदरसे से मुंशी और मौलवी की डिग्री का शासनादेश भी मांग कर ले जाते हैं। काफी परेशानियों के बाद इनका पासपोर्ट बनता है।
छात्रों को ड्रेस, जूता-मोजा नहीं मिलने से मायूसी
देवरिया जिले के अनुदानित मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को ड्रेस, जूता-मोजा, कॉपी और किताब मिलता रहा है। लेकिन अब यह बंद है। इस बारे में मदरसा लिपिक फैजुल हक कहते हैं कि वर्ष 2018 से पहले अनुदानित मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को ड्रेस और जूता-मोजा की आपूर्ति बंद कर दी गई, जबकि मदरसों में यतीम और गरीब घरों के बच्चे ही पढ़ने आते हैं। इन बच्चों को ड्रेस और जूता-मोजा नहीं मिलने से उनमें मायूसी छाई रहती है। सरकार से इन बच्चों को भी सामान मुहैया कराने की कई बारमांग की गई लेकिन अभी तक इस पर कोई पहल नहीं हुई। यदि इन्हें भी सहूलियत मिले तो इससे मदरसा के छात्रों के शैक्षिक स्तर में काफी सुधार होगा।
शिकायतें
1. वर्ष 2024 में कामिल व फाजिल की डिग्री को अमान्य घोषित कर दिया गया। इससे करीब 2000 बच्चे दोराहे पर हैं।
2. सेवा नियमावली दुरुस्त नहीं होने से मदरसा शिक्षकों, कर्मचारियों को दिक्कतें होती हैं।
3. मदरसों में आधुनिक विषय पढ़ाने को केंद्र सरकार ने मानदेय पर शिक्षकों को तैनात किया था। वर्ष 2022 में योजना के बंद होने से इसकी पढ़ाई नहीं हो रही है।
4. वर्ष 2004 से यूपी के कई मदरसों में मिनी आईटीआई चल रहे हैं। इसमें कार्यरत कार्मिकों व अनुदेशकों को सातवें वेतन का लाभ अभी तक नहीं मिला है।
5. राज्य से अनुदानित मदरसा शिक्षकों के चयन और प्रोन्नत वेतनमान में कई गड़बड़ियां हैं। इससे शिक्षकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
सुझाव
1. कामिल और फाजिल की डिग्री को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय से संबद्ध कर देना चाहिए।
2. शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार प्रबंधक, प्रबंधन तंत्र या प्रधानाचार्य को होना चाहिए।
3. एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कंप्यूटर की बात पूरी करने को आधुनिकीकरण योजना फिर शुरू की जाए।
4. मदरसा मिनी आईटीआई में नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन या नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग की मदद से परीक्षाएं कराई जाएं।
5. राज्य से अनुदानित मदरसा शिक्षकों के चयन और प्रोन्नत वेतनमान के लिए राजाज्ञा जारी की जाए।
हमारी भी सुनिए
केंद्र सरकार की ओर से संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना बंद कर दिए जाने से गणित और विज्ञान की पढ़ाई पूरी तरह बंद है।
एहसानुल्लाह सिद्दीकी, जिलाध्यक्ष, आई मास
मदरसा में कोर्स के सिलेबस को बदला जाए। अरबी व फारसी के अलावा अन्य आधुनिक विषय और रोजगार परक शिक्षा देने की जरूरत है।
सरफराज अहमद, शिक्षक
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद की ओर से संचालित मदरसे को हाईटेक किया जाए। जिससे यहां के बच्चे भी अन्य बोर्ड के बच्चों के साथ बराबरी कर सकें।
फखरे आलम, शिक्षक
बच्चों को रमजान के दौरान मिलने वाली छुट्टी को 15 दिन किया जाए। इससे बच्चों की पढ़ाई पर असर भी नहीं पड़ेगा। बची छुट्टी गर्मी के महीने में दी जाए।
फ़ैज़ अहमद, शिक्षक
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अपनी परीक्षा यूपी बोर्ड से पहले करा लेता है, लेकिन रिजल्ट देने में देरी की जाती है। इससे बच्चे पिछड़ जाते हैं।
मोहम्मद खालिद, शिक्षक
उत्तर प्रदेश सरकार को मदरसा आधुनिकीकरण योजना राज्य स्तर पर संचालित करनी चाहिए। योजना यहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए फायदेमंद है।
-शुक्रुल्लाह, शिक्षक
कंप्यूटर शिक्षा के लिए एक अतिरिक्त शिक्षक तैनात किया जाए। क्योंकि अब मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों का यू डाइस कोड अंकित करना होता है।
-अशफाक अहमद, शिक्षक
मदरसा की परीक्षाओं में भी केंद्र व्यवस्थापक, कक्ष निरीक्षक, मूल्यांकन और कोठार के कार्य में लगे शिक्षक एवं कर्मचारियों को मानदेय मिलना चाहिए।
वजीर अहमद, प्रधानाचार्य
राज्यानुदानित मदरसा के शिक्षकों व कर्मियों का वेतन आगणन जिला व अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय में तैनात सहायक लेखाकार से कराया जाए।
वसी अहमद, प्रधानाचार्य
मदरसा में तैनात शिक्षकों और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देना चाहिए। इससे बुढ़ापे में शिक्षकों को सहायता मिलेगी।
फैजुल हक, लिपिक, मदरसा
वर्ष 2015 के बाद से उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने एक भी मदरसे को मान्यता नहीं दी है। इससे गैर मान्यता प्राप्त मदरसा के संचालन में दिक्कतें आ रही हैं।
हाफिज जावेद,प्रधानाचार्य
अनुदानित मदरसों में 1 अप्रैल 2025 से कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षणेतर कर्मचारियों को अंशदायी पेंशन योजना क्रियान्वित किए जाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
रियासत अली, प्रधानाचार्य
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद को गणित, विज्ञान, इतिहास एवं नागरिक शास्त्र को अनिवार्य विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए।
जीशान अहमद, प्रधानाचार्य
जिले के तमाम मदरसा में यतीम और गरीब घरों के बच्चे तालीम हासिल करते हैं। इन बच्चों को नि:शुल्क ड्रेस की सुविधा दी जानी चाहिए।
शमशीर अहमद, शिक्षक
बोले जिमेदार
मदरसा में आधुनिकीकरण योजना शुरू करना एवं कामिल-फाजिल की डिग्री को भाषा विश्वविद्यालय से जोड़ने का मामला नीतिगत है। इसमें जिले स्तर से कुछ नहीं किया जा सकता। रिजल्ट घोषित होने के बाद अंक पत्र मिलते ही मदरसों को भेज दिया जाता है। मदरसा शिक्षकों या कर्मचारी के उत्पीड़न के आरोप निराधार हैं। वेतन बनाने या ट्रेजरी चालान के नाम पर किसी कर्मचारी या शिक्षक को परेशान नहीं किया जाता है।
-आशुतोष पांडेय, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी।
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