बिना अनुभव प्रमाण पत्र सत्यापन के डूडा में ठेकेदारों का पंजीकरण
Deoria News - डूडा में ठेकेदारों का पंजीकरण बिना अनुभव प्रमाण पत्र की जांच के किया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता राघवेन्द्र सिंह ने अनुभव प्रमाण पत्र की सत्यापन की मांग की थी, लेकिन डूडा ने केवल पंजीकृत ठेकेदारों की...

देवरिया, हिंदुस्तान टीम। डूडा में बिना अनुभव प्रमाण पत्र का सत्यापन किये ही ठेकेदारों का पंजीकरण कर दिया गया है। एक दर्जन से अधिक ठेकेदारों का संबंधित विभाग से डूडा ने सत्यापन नहीं कराया है। ठेकेदारों ने डूडा से करोड़ों रूपए का काम निर्माण कार्य कराया है। आरटीआई से मांगने पर भी महज पंजीकृत ठेकेदारों की सूची दी गयी है। जबकि आरटीआई कार्यकर्ता ने ठेकेदारों के अनुभव प्रमाण पत्र की सत्यापित व प्रमाणित सूची मांगी थी। राकेश ने आधी-अधूरी सूचना देने की सूडा निदेशक से शिकायत की है। शहर के उमानगर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राघवेन्द्र सिंह राकेश ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत 20 मार्च-24 को निदेशक राज्य नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय के जन सूचना अधिकारी से तीन विन्दुओं की सूचना मांगी। उन्होंने डूडा देवरिया में वित्तीय वर्ष-2023-24 निर्माण कार्यो के लिए कौन-कौन ठेकेदार को किस श्रेणी में पंजीकृत हुए हैं, उनके पंजीकृत प्रमाण पत्र, अनुभव प्रमाण पत्र तथा हैसियत प्रमाण पत्र प्रमाणित छायाप्रति मांगी। उन्होंने ठेकेदारों, फर्मो द्वारा पंजीकरण को दिये गये अनुभव प्रमाण पत्र का डूडा द्वारा कराये सत्यापन की प्रमाणित छायाप्रति मांगी। डूडा के पीओ ने 25 फरवरी-25 को राघवेन्द्र सिंह को महज वित्तीय वर्ष-2023-24 में पंजीकृत 23 ठेकेदारों की सूची दी है। इसमें 13 ए श्रेणी व 8 बी श्रेणी तथा दो सी श्रेणी के ठेकेदारों का पंजीकरण किया गया है। लेकिन डूडा ने उक्त ठेकेदारों द्वारा पंजीकरण को दिये अनुभव प्रमाण पत्र के सत्यापन, हैसियत तथा पंजीकरण प्रमाण पत्र की छाया प्रति उपलब्ध नहीं कराया। डूडा ने महज पंजीकृत ठेकेदारों का अनुभव प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया है। इससे साबित होता है कि डूडा ने बिना अनुभव प्रमाण पत्र का सत्यापन कराये ही अधिकांश ठेकेदारों का पंजीकरण कर दिया है। राकेश ने आधी-अधूरी सूचना देने की सूडा निदेशक से शिकायत कर अनुभव प्रमाण पत्र के सत्यापन की प्रति उपलब्ध कराने की मांग की है।
आउटसोर्सिंग कर्मी करता रहा एकाउंटेंट, टेंडर का काम
डूडा में आउटसोर्सिंग कर्मी ही एकाउंटेंट का काम करता रहा है, जबकि उसकी नियुक्ति शहरी आजीविका मिशन प्रबंधक के पद पर हुई थी। करीब एक साल पहले तक विनोद कुमार मिश्र डूडा के परियोजना अधिकारी पद पर तैनात थे। उनके तबादले के बाद डूडा पीओ की अतिरिक्त जिम्मेदारी तत्कालीन सदर एसडीएम विपिन द्विवेदी को मिला। पीओ पद पर नियमित तैनाती नहीं होने से निर्माण से संबंधित फाइल प्रस्तुत करने, टेंडर कराने की जिम्मेदारी आउटसोर्सिंग कर्मचारी को दे दिया गया। इस दौरान टेंण्डर कराने से लेकर ठेकेदारों का पंजीकरण करने में जमकर मनमानी की गयी। करीब एक माह पहले सदर एसडीएम पद से विपिन द्विवेदी के हटने के बाद नगर पालिका के ईओ डूडा पीओ की जिम्मेदारी दी गयी है। इधर सूडा निदेशक ने 28 फरवरी के बाद आउटसोर्सिंग कर्मियों से कार्य लेने पर रोक लगा दिया है। एक साल में हुए टेंडर, ठेकेदारों के पंजीकरण की जांच हो तो बड़ा खुलासा हो सकता है। यहीं वजह है कि विभाग मांगने से अभिलेख देने से कन्नी काट रहा है।
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