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बोले देवरिया : आयुष्मान कार्ड बने, सरकारी योजनाओं का मिले लाभ

Deoria News - Deoria new: ठंड हो, भीषण गर्मी या हो बरसात, लोगों को देश-दुनिया की खबरों से रूबरू कराने को समाचार पत्र वितरक तड़के घर से निकल जाते हैं। वे भोर में तीन

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाThu, 20 Feb 2025 05:21 AM
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बोले देवरिया : आयुष्मान कार्ड बने, सरकारी योजनाओं का मिले लाभ

Deoria new: सुबह जब आप नींद से जगते हैं तो समाचार पत्र विके्रता अखबार आपके दरवाजे पर पहुंचा चुका होता है। अपनी मेहनत से दूसरों की राह आसान बनाने वाले समाचार पत्र विक्रेताओं के जीवन की राह में कठिनाइयों की भरमार है। जिले में करीब 200 समाचार पत्र वितरक हैं। इनमें से करीब 70 ऐसे हैं जो जिला मुख्यालय पर पाठकों तक अखबार पहुंचाते हैं। रेलवे स्टेशन रोड पर गोरखपुर के अलावा लखनऊ से विभिन्न समाचार पत्र चार पहिया वाहन और ट्रेन से भोर में पहुंचते हैं। इसी के साथ समाचार पत्र विक्रेताओं का काम शुरू हो जाता है। वितरक लोकेश तिवारी बताते हैं कि हमारा काम भोर में करीब 3 बजे से ही शुरू हो जाता है। कुल मिलाकर एक समाचार पत्र विक्रेता चार-पांच घंटे ही सो पाता है उसका बाकी समय घर-घर अखबार पहुंचाने और वसूली में बितता है, लेकिन काम के अनुपात में आमदनी नहीं है। वितरकों के संबंध जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से मधुर होते हैं बावजूद इसके उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता।

टिनशेड तक नहीं

अखिल भारतीय समाचार पत्र वितरक संघ के उपाध्यक्ष दिलीप गुप्ता को मलाल है कि गर्मी, जाड़ा और बरसात सभी मौसम में उन्हें खुले आसमान के नीचे ही बंडल उठाना पड़ता है। स्टेशन रोड पर उनके लिए एक टिनशेड तक नहीं हैं। वितरक संघ के मंडल उपाध्यक्ष अनुराग सिंह कहते हैं कि वितरक या उसके परिवार के सदस्य के बीमार पड़ने पर इलाज की समस्या खड़ी हो जाती है, क्योंकि उसकी आमदनी इतनी नहीं होती है कि अच्छे अस्पताल में इलाज करा सकें। सभी समाचार पत्र विक्रेताओं का अनिवार्य रूप से आष्युमान कार्ड बनना चाहिए।

वितरक सुरेन्द्र राय की शिकायत है कि श्रम विभाग की योजनाओं का उन्हें लाभ नहीं दिया जाता है, जबकि वह पंजीकरण कराने को काफी पहले कागजात भी जमा करा चुके हैं। आजम खां राजा ने कहा कि कुछ वर्षों में सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ने से साइकिल से अखबार बांटने में काफी जोखिम हो गया है। वितरकों को दुर्घटना का भय रहता है। हम लोगों का कोई बीमा भी नहीं है। अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो परिवार के सामने आर्थिक संकट पैदा हो जायेगा। वितरक श्रीप्रकाश मिश्र की मांग है कि अखबार वितरण केन्द्र पर श्रम विभाग को कैम्प लगाकर वितरकों का पंजीकरण करना चाहिए,जिससे उन्हें योजनाओं का लाभ मिल सके।

पत्रिकाओं के बंद होने से नुकसान

वितरक नदीम का कहना है कि अधिकतर पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद होने से वितरकों की आमदनी काफी कम हो गई है। कई समाचार पत्र वितरकों के सामने परिवार चलाने का संकट है। ऐसे लोगों की मदद होनी चाहिए। ज्ञान प्रकाश तिवारी कहते हैं कि हम लोगों की कोई सुधि नहीं लेता है। सोनू अग्रवाल ने कहा कि बीमार पड़ने, किसी रिश्तेदारी में चले जाने पर अखबार नहीं बंटने पर आमदनी कम हो जाती है। युसुफ बताते हैं कि आमदनी निश्चित नहीं होने से परिवार का खर्च चलाने में मुश्किल आती है। धनंजय जायसवाल ने कहा कि वितरकों को कमजोर वर्ग में शामिल कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाना चाहिए।

अखबार बांट किसी ने बेटे को बनाया इंजीनियर तो किसी ने अफसर

कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। मेहनती लोग हर काम को अपनी साधना से बड़ा बना देते हैं। कुछ समाचार पत्र विक्रेताओं ने भी इसे साबित कर दिखाया है। अखबार वितरण कार्य में आमदनी कम होने के बाद भी कुछ वितरक अपने बच्चों को उच्च तालीम दिलाने में पीछे नहीं रहे। किसी ने बेटे को इंजीनियर तो किसी ने अधिकारी बना दिया।

वरिष्ठ वितरक नूर हसन ने अखबार वितरण के कमीशन से अपने बेटे शब्बीर को इंजीनियरिंग करायी। बी टेक करने के बाद अब शब्बीर कोलकाता के एक प्रतिष्ठित संस्थान में इंजीनियर हैं। बेटे की सफलता से नूर हसन व उनकी पत्नी मोफीजन खुशी से फुले नहीं समाते हैं। वितरक ज्ञान प्रकाश तिवारी की बेटी वनीषा अयोध्या के अब्दुल कलाम इंजीनियरिंग कालेज से बी टेक कर रही है। वहीं वितरक जितेन्द्र यादव के बेटे धीरज ने हाल ही में जेई मेन्स में 90 फीसदी अंक प्राप्त कर सफलता अर्जित की है। वितरक लोकेश शरण तिवारी के भतीजे पुनीत तिवारी अखबार बांटने के साथ सेफ्टी का कोर्स किये। अब वह छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक बड़ी कंपनी में सेफ्टी आफिसर के पद पर तैनात हैं। इनकी सफलता से प्रेरित होकर कुछ अन्य वितरक भी अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिला रहे हैं।

संकट में साथी की मदद करने को आगे आये वितरक: कम और अनिश्चित आमदनी होने के बाद भी किसी साथी के संकट में होने पर समाचार पत्र वितरक उसकी मदद करने से पीछे नहीं रहते हैं। कुछ साल पहले हनुमान मंदिर के पास रहने वाले वितरक जेपी की अचानक मौत हो गई। इसकी जानकारी होने पर वितरक संघ मदद करने को आगे आया। वितरकों ने आपस में पैसा जुटाकर परिवार को करीब 20 हजार रुपये की सहायता दी। इससे परिवार को काफी संबल मिला। कुछ समय पूर्व वितरक सनोम साहनी के गिरने से सिर में चोट लग गई। जानकारी होने पर वितरण संघ के अध्यक्ष तंजीम अहमद गुड्डू ने उनको मेडिकल कालेज में भर्ती कराकर इलाज कराया। अखबार वितरण के दौरान सुरेश कन्नौजिया भी हादसे के शिकार हो गए और उन्हे गंभीर चोट लग गयी। तंजीम अहमद उन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराकर एक सप्ताह तक इलाज कराए। इस दौरान वह नियमित अस्पताल पहुंच कर उनके सेहत की जानकारी लेते रहे और यथासंभव मदद की।

कोरोना काल में भी पहुंचाते रहे खबरों की डोज

वर्ष 2020 व 2021 के कोरोना काल में जब सभी लोग अपने घरों में कैद हो गये थे, उस दौरान जान जोखिम में डालकर समाचार पत्र वितरक अखबार के रूप में खबरों की डोज लोगों के घर तक पहुंचाते रहे। हालांकि उस दौरान दुकानों, विभिन्न संस्थाओं के बंद होने से अखबार की प्रसार संख्या काफी कम हो गई थी, इसके बाद भी वितरक अपने ग्राहकों को नियमित अखबार पहुंचाते रहे। क्योंकि वह जानते थे कि इस समय ग्राहकों को देश-दुनिया की खबरें जानने, समय काटने के लिए अखबार की जरूरत अधिक है। इस दौरान अखबार से कोरोना फैलने की अफवाह के चलते कईयों ने अखबार लेना बंद कर दिया था। परिणामस्वरुप उन्हें महीनों तक भुगतान भी नहीं मिला। कई ग्राहक तो लाकडाउन समाप्त होने के बाद वापस लौटे तब जाकर भुगतान किया। वहीं कुछ मकान खाली करके चले गये, जिससे वितरकों का पैसा डूब गया।

शिकायत

1. कड़ाके की ठंड, गर्मी और बरसात में खुले आसमान तले अखबार उठाने को विवश हैं।

2. आयुष्मान कार्ड नहीं होने से खुद या परिवार के सदस्य के बीमार होने पर उसका खर्च उठाना भारी पड़ जाता है।

3. श्रम विभाग की किसी भी योजना का लाभ हम वितरकों को नहीं मिलता है ।

4. वितरकों का जीवन असुरक्षित है। हम लोगों का कोई दुर्घटना बीमा भी नहीं है।

5. जिले के वितरकों को आवास योजनाओं का भी कोई लाभ नहीं मिलता है।

सुझाव

1. ठंड और बारिश से बचने के लिए स्टेशन रोड पर टिनशेड का निर्माण होना चाहिए।

2. मुफ्त इलाज के लिए हम सभी वितरकों का आयुष्मान कार्ड बनाया जाना चाहिए।

3. श्रम विभाग सभी वितरकों का पंजीकरण करे ताकि हमें भी सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।

4. कभी कोई हादसा होने पर हमारी मदद को 5 लाभ रुपये तक का दुर्घटना बीमा हो।

5. वितरकों को कमजोर वर्ग में शामिल करके आवास समेत अन्य योजनाओं का लाभ मिले।

समाचार पत्र वितरकों का दर्द

समाचार पत्र वितरक का आयुष्मान कार्ड नहीं होने से खुद व परिवार का इलाज कराने में दिक्कत होती है। उन्हें श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है और न कैंप लगाकर पंजीकरण किया गया। उनके कार्य को देखते हुए उन्हें कमजोर वर्ग में शामिल किया जाए।

-तंजीम अहमद उर्फ गुड्डु, अध्यक्ष, अखिल भारतीय समाचार वितरक संघ

बारिश, ठंड को देखते हुए सदर स्टेशन पर टीनशेड का निर्माण हो, ताकि वितरक सुरक्षित रहकर अखबार उठा सकें।

- श्री प्रकाश मिश्र

वितरक व उसके परिवार के सदस्य के बीमार पड़ने पर इलाज के लिए उनका आयुष्मान कार्ड बनाया जाए।

- ज्ञान प्रकाश तिवारी

श्रम विभाग स्टेशन पर कैंप लगाकर वितरकों का पंजीकरण करे, जिससे उन्हें योजनाओं का लाभ मिल सके।

धनंजय जायसवाल

बढ़ते ट्रैफिक के चलते साइकिल से अखबार बांटना असुरक्षित हो गया है। उनका पांच लाख का दुर्घटना बीमा हो।

-सुरेन्द्र राय

शादी-विवाह में बाहर जाने पर अखबार वितरण नहीं होता है, ऐसे में उस दिन का कमीशन नहीं मिल पाता है।

-सच्चिदानंद श्रीवास्तव

ठंड और बारिश के दौरान अखबार उठाना बहुत दुरूह हो जाता है। इस दौरान लोगों के घर अखबार पहुंचाना मुश्किल होता है।

-प्रकाश चौहान

लोगों के घर समय से अखबार देने के लिए वितरकों को भोर में उठना पड़ता है, इससे परिवार की नींद खराब होती है।

-अनुराग सिंह, मंडल उपाध्यक्ष, वितरक संघ।

विपरित मौसम में अखबार पहुंचाने में विलंब होने या नागा होने पर कुछ ग्राहक अखबार बंद करने की धमकी देते हैं।-डब्लू गुप्ता

शहर के जनप्रतिनिधि से लेकर अफसरों तक के यहां वे अखबार पहुंचाते हैं, पर कोई हमारी समस्या पर ध्यान नहीं देता है।

-अशोक बजाजी

तय आमदनी होने की गारंटी नहीं है। इससे परिवार व बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाना भारी होता है।

-अजय बर्नवाल

अखबार की आमदनी से परिवार का खर्च चलना मुश्किल है। आमदनी बढ़ाने को अतिरिक्त काम करना पड़ता है।

-संदीप रावत

सालों से अखबार वितरण कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई स्वयं सेवी संस्था हमारी सुधि लेने नहीं ली है।

-रवि गुप्ता

वितरकों को कमजोर वर्ग में शामिल कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाना चाहिए।

-आजम खां राजा

महीना पूरा होने पर कुछ ग्राहक पैसा देने में आनाकानी करते हैं। इस वजह से अखबार उठाने में मुश्किलें आती हैं।

-छोटेलाल भारती

पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद होने और पाठकों के मोबाइल तक सीमित होने से उनकी आमदनी में कमी आई है।

-युसूफ

बोले जिम्मेदार

समाचार पत्र वितरकों के लिए विभाग में अलग से कोई योजना नहीं है। प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन पेंशन योजना में रजिस्ट्रेशन कराकर वितरक पेंशन योजना का लाभ उठा सकते हैं। हमारा प्रयास है कि विशेष कैंप लगाकर समाचार पत्र विक्रेताओं का रजिस्ट्रेशन कराया जाए ताकि योजना का लाभ मिल सके।

-शशि सिंह, श्रम प्रवर्तन अधिकारी देवरिया।

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