तीनों सेनाओं को युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत, जानें ऐसा क्यों बोले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह
- रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ चार साल से अधिक समय से जारी सीमा विवाद का भी जिक्र किया और स्थिति का गहन विश्लेषण करने पर बल दिया।
संयुक्त कमांडर सम्मेलन में पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि शांति बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत है। सिंह ने सेना, नौसेना और वायु सेना के शीर्ष कमांडरों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है और शांति बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। इस दौरान रक्षा मंत्री ने यूक्रेन और गाजा में जारी संघर्षों के साथ-साथ बांग्लादेश की स्थिति पर भी बात की। साथ ही सेना से इन ‘घटनाक्रम’ का विश्लेषण करने और इस ‘अप्रत्याशित’ स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। उन्होंने भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त सैन्य दृष्टिकोण विकसित करने के महत्व पर भी जोर दिया।
सिंह ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ चार साल से अधिक समय से जारी सीमा विवाद का भी जिक्र किया और स्थिति का गहन विश्लेषण करने पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत को शांति का फायदा मिल रहा है और वह शांतिपूर्ण तरीके से विकास कर रहा है। हालांकि बढ़ती चुनौतियों के कारण हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है।’ सिंह ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि हम अमृतकाल के दौरान शांति का माहौल बरकरार रखें।
हमें अपने वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने, वर्तमान में हमारे आसपास हो रही गतिविधियों पर नजर रखने और भविष्योन्मुखी होने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हमारे पास एक मजबूत और सुदृढ़ राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचा होना चाहिए।’ उन्होंने कमांडरों से सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में पारंपरिक और आधुनिक युद्ध उपकरणों के सही मिश्रण की पहचान करने और उसे शामिल करने का भी आह्वान किया।
उन्होंने अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में क्षमता विकास पर जोर दिया और इन्हें आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए अभिन्न अंग बताया। सिंह ने सैन्य नेतृत्व से डाटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी प्रगति के उपयोग को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया। दो दिवसीय सम्मेलन बुधवार को शुरू हुआ था। सम्मेलन में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने भी शामिल हुए।