रिहाई से ठीक पह रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल की मौत, स्ट्रेचर पर शव छोड़कर भागे जेलकर्मी
कारोबारी लेन-देन में 2.39 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में जेल गए रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर की रिहाई से ठीक पहले मंगलवार को जिला जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई।
कारोबारी लेन-देन में 2.39 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में जेल गए रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर की रिहाई से ठीक पहले मंगलवार को जिला जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। जेल कर्मचारी उन्हें एसएन मेडिकल कॉलेज की इमजरेंसी लेकर पहुंचे। वहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यह देख जेलकर्मी शव को स्ट्रेचर पर छोड़कर भाग गए। इस मामले में परिजन पुलिस और जेल प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी पर सवाल उठा रहे हैं। परिजनों ने साजिश का आरोप लगाते हुए तहरीर दी है।
मान विहार कालोनी शमसाबाद मार्ग निवासी रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर के खिलाफ 30 अगस्त 2023 को सिकंदरा थाने में गबन, धोखाधड़ी, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने की धारा के तहत मुकदमा लिखा गया था। मुकदमा कोर्ट के आदेश पर लिखा गया था। फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर (एफमेक) के पूर्व अध्यक्ष एएस राना की पत्नी सुनीता राना मुकदमे में वादी हैं। सात लोगों को नामजद किया गया था। सिकंदरा पुलिस ने इस मुकदमे में विजय तोमर के कोर्ट से गैर जमानती वारंट लिए थे। 23 जुलाई 2024 को उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा था। तभी से वह जेल में बंद थे।
उनकी पत्नी अलका तोमर ने बताया कि सुबह साढ़े नौ बजे पति से फोन पर बात हुई थी। पति की हाईकोर्ट से जमानत मंजूर हो गई थी। वह खुश थे। एक-दो दिन में रिहाई हो जाती। विजय तोमर के साढ़ू और सीआईएसएफ में डीआईजी रहे प्रताप सिंह ने बताया कि वह जेल में विजय से मुलाकात करने जाते थे। मुलाकात मध्यस्थ के माध्मय से होती थी। उसी मध्यस्थ ने फोन करके बताया कि विजय तोमर की जेल में तबियत खराब हो गई है।
उन्हें बहुत पसीना आ रहा था। जेलकर्मी उन्हें एसएन मेडिकल कॉलेज ले गए है। उस समय दोपहर के करीब ढाई बजे थे। सूचना पर वह रिश्तेदारों के साथ एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचे। वहां स्ट्रेचर पर विजय तोमर का शव रखा मिला। कोई जेलकर्मी वहां मौजूद नहीं था। यह देख परिजन बिफर गए। एसीपी सदर सुकन्या शर्मा से मुलाकात कर तहरीर दी। पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। परिजनों ने पैनल से पोस्टमार्टम की मांग की है।
रिहाई से एक दिन पहले मौत का परवाना
रिटायर लेफ्टिनेट कर्नल विजय तोमर(61) के घर का माहौल मंगलवार को चंद पलों में बदल गया। 49 दिन से जेल में बंद विजय तोमर की रिहाई को ज्यादा समय नहीं बचा था। हाईकोर्ट से जमानत मंजूर हो गई थी। मगर रिहाई से पहले मौत का परवाना आ गया। सुबह जब उनसे पत्नी की बात हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। बाद में पति की मौत की सूचना मिलने पर घर में चीत्कार मच गयी।
पत्नी अलका तोमर ने बताया कि कारोबार में लेन-देन का विवाद था। उन्हें ऊपर से पैसा नहीं मिला। इस कारण आगे भुगतान नहीं किया था। बैठकर बीच का रास्ता निकल सकता था। पुलिस से पहले पंचायत कराई गई। रकम वापसी का दबाव बनाया। पुलिस ने डराया, धमकाया। जेल भेजने की धमकी दी। कारोबारी लेन-देन के मामले के चलते मुकदमा नहीं बनता था। पुलिस ने खुद मुकदमा नहीं लिखा। कोर्ट के आदेश पर मुकदमा लिखा गया। उनके पति को 23 जुलाई को फोन करके बुलाया गया। कहा गया कि अपने कागज लेकर आ जाएं। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर के साढ़ू प्रताप सिंह सीआईएसएफ के रिटायर डीआईजी हैं। उन्होंने बताया कि महज धोखाधड़ी की धारा में गिरफ्तारी नहीं हो सकती थी। सात साल से कम सजा वाले अपराध में रिमांड ही नहीं बनता। मुकदमे में गबन की धारा भी थी। यह काम विवेचक का था कि बताते कि यह मामला गबन का नहीं है। मगर विवेचक ने साक्ष्यों को नजरंदाज किया।
विजय तोमर को गबन की धारा में जेल भेजा। गबन में दस साल सजा का प्रावधान है। आगरा पुलिस बताए कि धोखाधड़ी के कितने मुकदमों में पुलिस ने गबन की धारा के तहत कार्रवाई की है। विजय तोमर की मौत की जिम्मेदार पुलिस भी है। वे लोग शांत नहीं बैठेंगे। ऊपर तक शिकायत करेंगे। हाईकोर्ट में भी उन्होंने इस बात को प्रमुखता से उठाया था कि यह मामला गबन का नहीं बनता है। इसी आधार पर जमानत स्वीकृत हुई थी।
जेल से प्राथमिक उपचार के बाद भेजा था इमरजेंसी
जिला जेल में रिटायर ले. कर्नल विजय तोमर की मौत पर सवाल उठे हैं। जहां उनके परिजन जेल प्रशासन आदि पर आरोप लगा रहे हैं। वहीं जेल प्रशासन का कहना है कि उन्हें समय-समय पर उपचार दिया गया। किसी स्तर पर कोई लापरवाही नहीं हुई है।
जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा ने बताया कि रिटायर ले. कर्नल विजय तोमर को हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर मंगलवार को जेल चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार के बाद दोपहर 2:49 बजे एसएन मेडिकल कॉलेज भेजा गया। एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा 3:04 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया। उनका ब्लड प्रेशर एवं शुगर का पहले से इलाज चल रहा था।
जेल चिकित्सालय की ओपीडी में 23 जुलाई, तीन अगस्त, 14, 24 एवं 28 अगस्त एवं पांच सितंबर को उपचार दिया गया। रिटायर ले. कर्नल विजय तोमर उम्र 60 वर्ष निदेशक एवीएस इंटर नेशनल प्रा. लि. मान विहार कॉलोनी ताजगंज को थाना सिकन्दरा के धोखाधड़ी के आरोप में 23 जुलाई को जिला जेल भेजा गया था।
ले. कर्नल की पत्नी अलका तोमर का आरोप है कि उनके पति की मौत जेल में ही हो गई थी। उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो समय रहते जेल प्रशासन ने अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराया। न ही परिवार को पहले से कोई सूचना दी। उन्होंने जेल भिजवाने वालों पर भी हत्या की साजिश का आरोप लगाया।
इन जेल वार्डरों पर लगा भागने का आरोप
जिला जेल से जेल वार्डर शशि कुमार एवं शादिक खां एंबुलेंस से विजय तोमर को एसएन मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे थे। चिकित्सकों द्वारा रिटायर ले. कर्नल विजय तोमर को मृत घोषित करते ही दोनों जेल वार्डर भाग गए। वहां पर पहुंचे लें. कर्नल के परिजनों को जेल वार्डर नहीं मिले तो उन्होंने यह आरोप लगाया। हालांकि कुछ देर में ही जेल वार्डर वहां आ गए। जेल अधीक्षक कहना है कि जेल वार्डर वहीं थे। परिजनों की नाराजगी देखकर वह थोड़े दूर खड़े हो गए थे।
जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा के अनुसार रिटायर ले. कर्नल विजय तोमर की मौत की न्यायिक जांच होगी। पोस्टमार्टम भी डॉक्टरों की टीम द्वारा किया जाएगा। पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी होगी। जेल के अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। बीपी और शुगर को डॉक्टर लगातार मॉनीटरिंग कर रहे थे। हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर जेल से उपचार के बाद एसएन मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। जो भी आरोप लगाए हैं, वह निराधार हैं।