Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Cold reaches Ayodhya s Ram temple Ram Lalla wears quilt after Pashmina shawl will wear special woolen clothes

अयोध्या के राम मंदिर पहुंची ठंड, रामलला ने पश्मीना शॉल के बाद ओढ़ी रजाई, खास ऊनी कपड़े आ रहे

अयोध्या के राम मंदिर में भी ठंड पहुंच गई है। मार्ग शीर्ष कृष्ण पंचमी पर गुरुवार को तापमान में गिरावट के साथ राम मंदिर में रामलला को ठंड से बचाव के लिए लिहाफ (रजाई) का प्रयोग शुरू कर दिया गया है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानFri, 22 Nov 2024 10:57 PM
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अयोध्या के राम मंदिर में भी ठंड पहुंच गई है। मार्ग शीर्ष कृष्ण पंचमी पर गुरुवार को तापमान में गिरावट के साथ राम मंदिर में रामलला को ठंड से बचाव के लिए लिहाफ (रजाई) का प्रयोग शुरू कर दिया गया है। अभी तक सर्दी की शुरुआत में रामलला को लद्दाख की पश्मीना शॉल को ओढ़ाया जा रहा था। रामलला को अभी ऊनी परिधान नही धारण कराए गए हैं बल्कि रेशमी परिधानों ही धारण कराए जा रहे हैं। ऊनी वस्त्र का भी आर्डर हो गया है। रामलला के वस्त्र डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बताया कि वह यहां 24 नवम्बर को आएंगे और साथ में रामलला के सिले हुए ऊनी परिधान लेकर आएंगे।

बताया गया कि सातों दिन के लिहाज से उसी रंग के अलग-अलग परिधानों को खूबसूरत डिजाइन से सुसज्जित किया गया है। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी वैसे-वैसे भगवान के पोशाक में परिवर्तन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कड़ाके की ठंड में जब पारा काफी नीचे आ जाता है, उस समय भगवान की धोती भी पश्मीना अथवा कुल्लू हिमाचल के ऊन की होगी। बताया गया कि फिलहाल रामलला के दो अंगवस्त्रम एक जो उनके कंधे पर लहराता है और दूसरा उनके हाथ में रहता है, उसे ही लद्दाख के पश्मीना से निर्मित किया गया है।

रामलला को दिया जा रहा जूस या नारियल पानी:

रामलीला की अष्टयाम सेवा में भगवान को अलग-अलग भोग लगाए जा रहे हैं। राम मंदिर के सहायक पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने बताया कि भोर में मंगला आरती से पहले पेड़ा व मेवा का भोग लगाया जाता है। इसी तरह शृंगार आरती के समय सुबह साढ़े छह बजे फलादि व मेवा का भोग लगता है। इसी तरह पूर्वाह्न नौ बजे पोहा या देशी घी का हलुआ और मध्याह्न 12 बजे राजभोग में सम्पूर्ण भोजन प्रसाद व खीर विशेष रूप से परोसा जाता है। पुनः भगवान के विश्राम के बाद अपराह्न डेढ़ बजे मिष्ठान व जल दिया जाता है और सायं चार बजे विशेष प्रकार का नाश्ते का भोग लगता है। इसके साथ भगवान को नारियल पानी या फलों का जूस परोसा जाता है। इसी तरह संध्या आरती से पहले सात बजे पुनः मिष्ठान व जल के अलावा शयन आरती से पूर्व सम्पूर्ण भोजन प्रसाद का भोग लगाया जाता है।

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