वरासत, नामांतरण और पैमाइश को लेकर सीएम योगी का बड़ा फैसला, ऐसे हो सकेगा निपटारा
वरासत और नामांतरण को लेकर होने वाले विवादों को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया है। अब वरासत और नामांतरण के विवाद जल्द निपट सकेंगे।
वरासत और नामांतरण को लेकर होने वाले विवादों को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया है। अब वरासत और नामांतरण के विवाद जल्द निपट सकेंगे। राजस्व परिषद छोटे-मोटे राजस्व विवादों संबंधी मामलों को समझौते के आधार पर निपटाने की व्यवस्था लागू करने जा रहा है। प्रदेश के राजस्व न्यायालयों में नामांतरण, वरासत दर्ज करने, पैमाइश कराने जैसे मामले लाखों की संख्या में विचाराधीन हैं। राजस्व परिषद का मानना है कि ऐसे मामलों को आपसी समझौते और विशेष अदालत लगाकर निपटाया जा सकता है। इससे राजस्व न्यायालयों का भार कम होगा और लोगों को राहत भी मिलेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों राजस्व परिषद और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में निर्देश दिया था कि राजस्व वादों के निस्तारण में तेजी लाकर लोगों को राहत दी जाए। राजस्व परिषद ने पिछले दिनों इसको लेकर विभागीय अधिकारियों की बैठक की थी। इसमें पाया गया कि सबसे अधिक मामले नामांतरण, वरासत दर्ज कराने के साथ पैमाइश कराने के आते हैं।
इनमें से अधिकतर मामले सुनवाई के लिए महीनों रोक दिए जाते हैं। इसके चलते वादियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है और राजस्व वादों की संख्या लाखों में हो जाती है। राजस्व परिषद के एक अधिकारी के मुताबिक उच्च स्तर पर यह तय किया गया है कि नामांतरण, वरासत और पैमाइश कराने संबंधी मामलों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। जिन मामलों में विवाद नहीं होगा या फिर उस पर छोटी मोटी आपत्तियां होंगी उसको समझौते के आधार पर निपटाया जाएगा।
राजस्व परिषद इस संबंध में जल्द ही सभी जिलाधिकारियों को निर्देश भेजने जा रहा है। इसके साथ ही राजस्व न्यायालय के लिए बनाए गए कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली पर रोजाना इसकी जानकारी भी दर्ज की जाएगी, जिससे लोगों को निस्तारित होने वाले मामलों की सूचना उन्हें मिल सके। राजस्व परिषद का मामला है छोटे-मोटे मामले समझौते से निस्तारित होने के बाद न्यायिक अधिकारियों को अन्य वादों को निस्तारित करने का समय मिलेगा और उसमें भी तेजी आएगी।
राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली पर मौजूदा स्थिति
कुल न्यायालय 3058
कुल वाद 22.70 लाख
कुल निस्तारित वाद 21.41 लाख
कुल विचाराधीन 1.29 लाख
एक साल पुराने विचाराधीन 18000
तीन साल पुराने विचाराधीन 7000
पांच साल पुराने विचाराधीन 13000