रामकिंकर को न पढने वाले राम कथा के रहस्य से रहते अनभिज्ञ: मोरारी बापू
Chitrakoot News - तीन दिवसीय युग तुलसी रामकिंकर जन्म शताब्दी समारोह का समापन पौधा सौंपकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते संघ प्रमुख मोहन भागवत, चिदानंद महाराज, मोरारी ब
तीन दिवसीय युग तुलसी रामकिंकर जन्म शताब्दी समारोह का समापन संत मोरारी बापू बोले: साधु प्रतिष्ठा को नहीं, निष्ठा को प्रणाम करता है
06 सीएचआई-07: पौधा सौंपकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते संघ प्रमुख मोहन भागवत, चिदानंद महाराज, मोरारी बापू व मैथिलीशरण महाराज।
06 सीएचआई-08: युग तुलसी रामकिंकर महाराज की पुस्तक
06 सीएचआई-09: युग तुलसी रामकिंकर व शिवलिंग को प्रणाम करते संघ प्रमुख समेत अतिथिगण।
06 सीएचआई-10: जन्म शताब्दी समारोह कार्यक्रम के आखिरी दिन मौजूद लोग।
चित्रकूट, संवाददाता।
श्री रामकिंकर विचार मिशन की ओर से धर्मनगरी चित्रकूट स्थित श्रीधर धाम दास हनुमान परिसर में युग तुलसी पद्मभूषण श्री रामकिंकर महाराज के तीन दिवसीय जन्म शताब्दी समारोह के समापन पर रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने श्रीराम किंकर के सानिध्य का स्मरण किया। कहा कि मनुष्य के शरीर में पंच महाभूत होते हैं। पंडित रामकिंकर में उनको पांच तत्व दिखाई दिए। पहला विश्वास रूप में जहां रामकिंकर को प्रभु की कृपा पर अटूट विश्वास है, दूसरा विचार तत्व के रूप में रामकिंकर ने मानस के पात्रों का रहस्य खोला है।
उन्होंने कहा कि तीसरा विलास रूप में देखे तो पंडित जी राज ऋषि थे। उनके आने से मंच शोभायमान हो जाता था। वह सुमति विलास के पर्याय थे। चौथा तत्व विराग पक्ष है, वह परम बैरागी हनुमान जी के उपासक हैं। रामकिंकर जी का पांचवा तत्व विनोद पक्ष दिखाई देता है, वह विनोदी स्वभाव के थे, मंद मंद मुस्कुरा कर अपनी बात कहते थे। कहा कि जगत में कोई युद्ध न हो, यदि हुआ भी तो वह महाभारत जैसा हो, जहां श्रीकृष्ण अर्जुन को संबोधित करते हुए कहें कि विश्व में रामकथा गायको के रूप में पंडित रामकिंकर मैं ही हूं। मोरारी बापू ने कहा कि उन पर पंडित रामकिंकर के विचारों का कर्जा है, जिसे उतारने के लिए वह चित्रकूट में रामकथा जरूर कहेंगे। उन्होंने चित्रकूट के लिए बहुत कुछ करने वाले महान संत रणछोड़ दास महाराज और महान विभूति नानाजी देशमुख को भी याद किया। मोरारी बापू ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपुरुष संबोधित करते हुए कहा कि साधु प्रतिष्ठा को नहीं, निष्ठा को प्रणाम करता है। वह भी आपकी राष्ट्रनिष्ठा को प्रणाम करते हैं। रामकिंकर विचार मिशन के अध्यक्ष मैथिलीशरण को आत्मीय आदर देते हुए कहा कि कोई मेवा के लिए गुरु के निकट होता है तो कोई सेवा के लिए, लेकिन मैथिलीशरण तो सबल, सरल और संवेदनशील है। संवेदना का अभाव होने से चलकर भी हम लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाते हैं। सबल को परिभाषित करते कहा कि एक बालक जैसे अपने पिता की मूंछ और बाल खींचता है, मैथिलीशरण की ग्रंथ और गुरु में अटूट निष्ठा सही रूप में अनुष्ठान है। समापन के दौरान रामकथा रसिक संतों और भक्तों को श्री रामकिंकर भारत भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। इस दौरान रामकथा प्रवक्ता प्रेमभूषण महाराज, मनोज मोहन शास्त्री, मुंबई की प्रसिद्ध भजन गायिका बीनाजी देसाई, डॉ अनामिका तिवारी जबलपुर, संगीता शर्मा, राजीव शर्मा देहरादून, लखनलाल असाटी छतरपुर, स्वामी प्रपत्यानंद महाराज, रामहृदय दास महाराज, महामंडलेश्वर संतोषदास महाराज, स्वामी श्रवणानंद सरस्वती आदि मौजूद रहे।
रामकिंकर चलते-फिरते ग्रंथकर औश्र विश्वकोश थे
परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद महाराज ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत राष्ट्र को चिंतन देने वाले महापुरुष हैं। मोरारी बापू ने अपनी धरा की पावनता से पूरे विश्व को सिंचित किया है, वह यूनाइटेड नेशन में यूनाइटेड क्रिएशन की कथा कहते हैं। कहा कि रामकिंकर तो चलते-फिरते ग्रंथकर व विश्वकोश थे। रामकिंकर ही मैथिली किंकर बना सकते हैं, यही हमारे देश की विरासत है। भारत में जन्म लेने का मतलब है कि आप परमात्मा के जीते-जागते हस्ताक्षर हैं। कहा कि गैर हिंदू अपनी आपस में आलोचना नहीं करते हैं, इसीलिए हमें भी एक दूसरे की आलोचना नहीं करनी है। सनातन समाज को बहुत कुछ सोचने की जरूरत है। ध्यान राम का करें और जीवन राष्ट्र का जिएं। कास्ट से ऊपर राष्ट्र की बात करें, जातियों का सम्मान करें, संस्कृति और संस्कारों के बल पर हमने दुनिया को बहुत कुछ सिखाया है। भारतीय नेतृत्व ने नारों से नहीं, विचारों से दुनिया को बहुत कुछ दिया है। भारत पद नहीं, पादुका की धरती है, प्रतिष्ठा नहीं निष्ठा की धरती है। हर्ष मिलाप की नहीं, भरत मिलाप की धरती है। संघ के संस्कारों से हरियाणा खड़ा हो गया है। सनातन प्रेमियों मूल और मूल्य से जुड़े रहिए। चिदानंद स्वामी ने कहा कि जब-जब उन्होंने रामकिंकर को देखा है, तब-तब लगा साक्षात हनुमान बैठे हैं।
भगवान दुष्ट और संत दुष्टता को मारता है: उत्तम स्वामी
मां नर्मदा के उपासक उत्तम स्वामी ने कहा कि भारत में राम और गीता को समझना है तो पंडित रामकिंकर को सुनिए। अलग-अलग चार आचार्य के संपूर्ण स्वरूप रामकिंकर है। वेद में भेद है, देव में भेद है पर संत की कृपा में कोई भेद नहीं है। भगवान दुष्ट को मारता है, संत दुष्टता को मारता है। संतों का सानिध्य समाधि है। रामकिंकर शंकराचार्य से कम नहीं है। सनातन धर्म के लिए रामकिंकर द्वारा किया गया कार्य अलौकिक है। सभी संत सनातन हिंदू धर्म के लिए काम करें, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। स्वामी मैथिलीशरण महाराज ने कहा कि उनके जीवन में महाराज रामकिंकर मिल गए। कहा कि उत्तम स्वामी के रूप में वह मां नर्मदा, मोहन भागवत के रूप में देश, मोरारी बापू के रूप में समुद्र और चिदानंद के रूप में मां गंगा को प्रणाम करते हैं।
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