चित्रकूट में बोले गडकरी, सड़कों ने अमेरिका को बनाया, हम आदर्श शहर नहीं आदर्श गांव बनाएंगे
दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ। इसमें लैंगिक समानता और नवकरणीय ऊर्जा पर चर्चा की गई। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से...
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य एसडीजी-5 लैंगिक समानता एवं एसडीजी-7 नवकरणीय ऊर्जा पर दीनदयाल शोध संस्थान की ओर से आयोजित तीन दिवसीय चतुर्थ अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन रविवार को एमपी सरकार की नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी एवं यूपी सीएम के सलाहकार पूर्व अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी की मौजूदगी में समसामयिक अनुशंसाओं के साथ संपन्न हो गया। समापन सत्र में केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वर्चुअल जुड़कर संबोधन किया। कहा कि अमेरिका ने सड़कें नहीं बनाई, बल्कि सड़कों ने अमेरिका को बनाया है। हम आदर्श शहर ही नहीं, आदर्श गांव भी बनाएंगे। केन्द्रीय मंत्री को समापन सत्र में शामिल होना था, लेकिन उनका कार्यक्रम अचानक निरस्त हो गया। फलस्वरुप वह वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से समापन सत्र में शामिल हुए। कहा कि चित्रकूट गांव का कार्य करने के लिए एक प्रेरणापुंज है। दुर्भाग्य है कि करीब 30 प्रतिशत ग्रामीण आबादी शहरों की ओर बढ़ रही है। हमें जल, जंगल, जमीन पर कार्य करना होगा। सरकार की योजनाओं से समाज एवं राष्ट्र का विकास होगा, लेकिन सरकार के जरिए ही संपूर्ण विकास होगा, ऐसा नहीं है। इसके लिए समाज के सभी लोगों को मिलकर सामूहिक प्रयत्न करना होगा। गांव एवं देश का विकास बिना कृषि विकास के संभव नही है। अन्नदाता ऊर्जादाता भी बने, सुखांत इंडेक्स में बढ़ोतरी हो, इसके लिए प्रत्येक गांव में 24 घंटे बिजली, अच्छी सड़कें, स्वास्थ्य के लिए अच्छे अस्पताल, बच्चों की शिक्षा को अच्छे स्कूल के साथ-साथ किसानों व मजदूरों की आय में वृद्धि हो। कृषि में उत्पादन लागत कम हो और उनकी आय में वृद्धि हो, कृषि पैटर्न पर किसानों को ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि इथेनॉल के प्रयोग को बढ़ावा देना होगा। रासायनिक खादों के प्रयोग को धीरे-धीरे कम करना होगा। जैव उर्वरकों को बढ़ाना होगा। धीरे-धीरे प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ने की जरुरत भी है। कंपोस्ट खादों का उपयोग एवं देशी गौवंश विकास पर ध्यान देना होगा। कहा कि सतत विकास के लिए बायोफर्टिलाइजर का प्रयोग, प्राकृतिक खेती का प्रयोग करना होगा। संचार की सुविधा बढ़ानी होगी, दौड़ने वाले पानी को चलने के लिए, चलने वाले पानी को रोकने के लिए और रुकने वाले पानी को जमीन को पीने के लिए लगाना होगा। पेट्रोल डीजल के स्थान पर सीएनजी का उपयोग करें, जिससे गाड़ी का माइलेज भी ठीक होगा और हमारी विदेशों पर निर्भरता कम होगी। इससे भी हमारी वित्तीय स्थिति सुदृढ होगी। गांव के गरीब किसान और मजदूरों के पास पैसा आएगा तो वह सशक्त और मजबूत होगा। आने वाले समय में तकनीकी का बेहतर उपयोग कर कृषि उत्पादन को बढ़ाना, कृषि लागत को घटाना होगा। कृषि विकास का एक मॉडल प्रस्तुत करना होगा। इस दौरान कलेक्टर सतना अनुराग वर्मा, डीएम चित्रकूट शिवशरणप्पा जीएन, एसपी अरुण कुमार सिंह, आशुतोष तिवारी सचिव जनरल इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एडवांस्ड मैटेरियल स्वीडन, पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय मौजूद रहे। संचालन अमिताभ वरिष्ठ महाप्रबंधक दीनदयाल शोध संस्थान ने किया।
जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने से विकास का मार्ग होगा प्रशस्त
यूपी सीएम के सलाहकार पूर्व अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने कहा कि जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने से ही विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। असुरक्षा से समाज में सबसे ज्यादा महिलाएं, लड़कियां, कमजोर व गरीब वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। लैंगिक भेदभाव न हो, इसके लिए यूपी सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारात्मक कदमों की विस्तृत जानकारी एवं रोडमैप उन्होंने प्रस्तुत किया। कहा कि लोगो को पुन: प्रकृति से जोड़ने का कार्य करने की आवश्यकता है। एयर कंडीशन एवं लाइट का उपयोग कैसे कम किया जा सकता है, हर घर में उपयोग होने वाले जल का दुरुपयोग न हो, हमारे घर, मोहल्ले, गांव कैसे स्वच्छ हो, इस पर विचार करना होगा। सोलर एनर्जी प्रत्येक घर तक पहुंचे, इसके लिए जागरुक होने की जरुरत है।
लैंगिक समानता पर घर से करनी होगी शुरुआत
एमपी सरकार की राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी ने कहा कि नानाजी ने जो ग्रामोदय का सपना देखा था, वह साकार हो रहा है। हमें लैंगिक समानता पर घर से शुरुआत करनी होगी। यह विषय हमारे कार्य व्यवहार में भी दिखना चाहिए। सभी कामों में महिला एवं पुरुष दोनों को सहभागी होना पड़ेगा। यहां तक कि बच्चों के पालन पोषण में भी दोनों को मिलकर कार्य करना चाहिए। ग्राम वासी अपने स्थानीय संसाधनों से आत्मनिर्भर बने। अपने घर में कितनी लैंगिक समानता है, इस पर भी विचार करना होगा और इसकी शुरुआत हम की जगह मैं से करनी होगी। अपने बच्चों को संस्कार दें, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएं, उन्हें निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने दें। बच्चों में संस्कार एवं सामाजिक तत्वों का समावेश सही समय पर करना होगा। अपना नजरिया बदलना होगा। कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के लिए सोलर एनर्जी का उपयोग करें। हमें मातृशक्ति को सशक्त करना है।
पानी बनाया नहीं, बल्कि बचाया जा सकता है
पद्मश्री जल पुरुष उमाशंकर पांडेय ने कहा कि समान लैंगिकता पर यूपी का उदाहरण दिया जा सकता है। पानी बनाया नहीं बल्कि बचाया जा सकता है। हमें पानी की पाठशालाएं चलानी होगी। पानी के कारण बांदा क्षेत्र बासमती धान के क्षेत्र में अब आत्मनिर्भर हो रहा है। हमारा नाम आग लगाने वालों में नहीं, आग बुझाने वालों में होना चाहिए। सम्मेलन के संयोजक डीआरआई के कोषाध्यक्ष वसंत पंडित ने कहा कि राष्ट्रऋषि नाना जी ने राजनीति से सन्यास लेकर जमीनी स्तर पर कार्य करते हुए पंडित दीनदयाल के एकात्म मानव दर्शन का जो सपना पूरा किया है, सतत विकास के माध्यम से हमें उसी को आगे बढ़ाना है। इन लक्ष्यों की पूर्ति सरकार और समाज के साथ मिलकर करना है। धरती का नुकसान रोकते हुए उपभोग करना है।
जमीनी स्तर पर लागू करने को सामूहिक प्रयत्न की जरुरत
केन्द्रीय अतिरिक्त सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण रोली सिंह ने कहा कि मैं लैंगिक समानता पर बात करने आई थी, लेकिन हमें स्वास्थ्य व स्वच्छता पर भी बात करनी होगी। नवीकरण ऊर्जा पर भी विचार करना होगा। महिला हिंसा रोकने में जो कार्य हो रहे हैं, वह प्रशंसनीय है। हम सबने एक-दूसरे से बहुत सीखा है और इसे जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए सामूहिक प्रयत्न करना होगा। डीआरआई के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि नाना जी की प्रेरणा से उन्हीं की भावनाओं के अनुरूप जनता की पहल और पुरुषार्थ के अनुपम उदाहरण के तौर पर इस सम्मेलन का आयोजन किया गया। उन्होंने डीआरआई की संचालित गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला।
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