गोस्वामी तुलसीदास की नगरी में रामलीला मंचन, पहले दिन नारद को वैराग्य का बोध
चित्रकूट के राजापुर कस्बे में भगवान राम के भक्त गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली पर रामलीला मंचन की शुरुआत हुई। पहले दिन नारद मोह की लीला का प्रदर्शन किया गया। पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र ने शुभारंभ...
चित्रकूट। भगवान राम के अनन्य भक्त एवं रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर कस्बे में रामलीला मंचन की शुरुआत हो गई। तुलसीकृत प्राचीन रामलीला कमेटी की अगुवाई में पहले दिन नारद मोह की लीला का मंचन किया गया। रामलीला भवन में पहले दिन की शाम पुरोहित गंगाधर मिश्र, अयोध्या प्रसाद पांडेय, गंगा प्रसाद व गौरव द्विवेदी के मंत्रोच्चारण के बीच पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र ने शुभारंभ किया। पूर्व सांसद ने कहा कि भगवान श्रीराम की लीला का मंचन प्रतिवर्ष होता है। लेकिन दर्शक उनके किए चरित्र का अनुसरण नहीं करते है। रामलीला मंचन में भगवान विष्णु ने नारद के काम, क्रोध, मद, लोभ अहंकार और माया से दूर करने के लिए लीला करते हुए नारद को ज्ञान वैराग्य की ओर ले जाकर ज्ञान प्राप्त कराया। जिसमें भगवान शिव के सत नाम को जप करने की शिक्षा प्रदान दिया। इस पर नारद ने माया-मोह अहंकार को त्याग कर वैराग्य की ओर प्रस्थान किया। रामलीला कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष सोमनाथ अग्रवाल ने बताया कि इस वर्ष रामलीला प्रान्तीय कलाकारों के जरिए 18 दिवसीय है। उपाध्यक्ष सुनील मिश्रा ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास ने अपने जीवन काल में संबंध 1633 में बनारस के छोटे-छोटे कलाकारों को लेकर लीला का मंचन शुरू कराया था। जिसके बाद से परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। इस मौके पर राजकुमार उपाध्याय, मंटू अग्रहरि, अशोक द्विवेदी, अनिल मिश्रा, अनिल त्रिपाठी, मोनू सोनकर, चमन लाल रैकवार, विकास अग्रहरि, प्रशांत तिवारी आदि मौजूद रहे।
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