चित्रकूट में श्रीराम-भरत का भावपूर्ण मिलन देख भाव विभोर हो गए दर्शक
भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के पांचवे दिन राम और भरत मिलाप का भावपूर्ण मंचन हुआ। दर्शकों ने जादुई प्रदर्शन का आनंद लिया। कलाकारों ने सीता हरण, जटायु मरण...
भगवान राम की तपोभूमि धर्मनगरी चित्रकूट में मंदाकिनी किनारे राघव प्रयाग घाट में मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग की ओर से श्रीराम कथा के विविध प्रसंगों की लीला प्रस्तुतियों के दौरान पांचवें दिन गुरुवार की शाम भगवान राम और भरत मिलाप का मंचन हुआ। दोनो भाइयों के भावपूर्ण मिलन को देख मौजूद दर्शक भाव विभोर हो गए। समारोह में लीला मंडल रंगरेज कला संस्थान उज्जैन के कलाकारों ने आकर्षक ढंग से लीला का मंचन किया। पांचवे दिन भरत मिलाप, सीता हरण, जटायु मरण, शबरी प्रसंग का मंचन देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। श्रीराम कथा के चरित्रों पर आधारित व्याख्यान जबलपुर की पूर्व महापौर डॉ. स्वाती गोडबोले ने उर्मिला चरित्र पर दिया। कहा कि देवी उर्मिला अपना पूरा जीवन लक्ष्मण की छाया के रूप में जीती हैं। जैसा त्यागा माता सीता ने किया, उसी तरह का महान त्याग देवी उर्मिला का भी है। सीता जहां शांत स्वभाव की थीं, तो उर्मिला चंचल स्वभाव की होते हुए अत्यंत संयमी थीं। उन्हें मैथली, जानकी जैसे संबोधन मिलने चाहिए थे, लेकिन ये सभी संबोधन माता सीता को मिले। उत्सव में 25 अक्टूबर शुक्रवार को श्रीराम-हनुमान मिलन, श्रीराम सुग्रीव मैत्री, बाली वध, हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन एवं आखिरी दिन 26 अक्टूबर शनिवार को सेतुबंध, रामेश्वरम स्थापना, रावण-अंगद संवाद, कुंभकरण, मेघनाथ एवं रावण मरण, श्रीराम राज्याभिषेक लीला का मंचन होगा।
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