Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Chitrakoot becoming big shelter for Jatayu Raj alias Vultures in Ranipur Tiger Reserve area

जटायु राज का बड़ा ठिकाना बन गया चित्रकूट, रानीपुर टाइगर रिजर्व में दिख रहे सात तरह के गिद्ध

  • रानीपुर टाइगर रिजर्व में गिद्धों के अलावा बाघ, तेंदुआ, भालू, पैंगोलिन और चीतल जैसे जीव-जंतुओं की 150 प्रजातियां मौजूद हैं।

Ritesh Verma हिन्दुस्तान टीम, विवेक मिश्र, चित्रकूटTue, 31 Dec 2024 10:16 PM
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कभी भगवान राम ने चित्रकूट में कई बरस गुजारे थे। यह उनकी लीलाभूमि थी और अब इसी क्षेत्र में गिद्धराज जटायु के वंशजों ने डेरा जमाया है। यहां के रानीपुर टाइगर रिजर्व में सात प्रजातियों के गिद्ध दिख रहे हैं। यूपी-एमपी सीमा में विंध्य श्रंखलाओं से घिरे पाठा क्षेत्र के रानीपुर टाइगर रिजर्व में गिद्धों के अलावा 150 प्रजातियों के जंगली जीव-जंतु विचरण कर रहे हैं। दुर्गम पहाड़ियों के बीच कल-कल कर बहते झरने, जंगल में घूमते बाघ, तेंदुआ, भालू, चीतल, पैंगोलिन समेत कई तरह के वन्य जीव रोमांच बढ़ा रहे हैं।

भगवान राम की तपोभूमि धर्मनगरी चित्रकूट में एमपी सीमा से सटे मारकुंडी, मानिकपुर व बरगढ़ तक फैले घनघोर जंगलों और दुर्गम पहाडियों के बीच रानीपुर टाइगर रिजर्व है। 530 वर्ग किमी में फैले इस रिजर्व का छह नवंबर को शुभारंभ हुआ है। इसके बाद लगातार यहां पर्यटक पहुंच रहे हैं। अब तक 86 पर्यटकों ने रिजर्व का भ्रमण किया है। मंगलवार छोड़कर सप्ताह के छह दिन लगातार दो शिफ्ट में पर्यटक घूमने जा रहे हैं। वन विभाग ने पर्यटकों के लिए अभी एक जिप्सी अनुबंधित की है। इसमें छह पर्यटकों के साथ चालक और एक गाइड को भेजा जा रहा है।

करीब 13 किमी तक जंगल में भ्रमण के दौरान पर्यटकों को टाइगर, तेंदुआ, चीतल, काला हिरन, जंगली सुअर, भालू, सांभर, लंगूर, पैंगोलिन जैसे वन्य जीवों के अलावा करीब 150 से अधिक तरह के पक्षी देखने को मिलते है। टाइगर रिजर्व के अंदर प्राकृतिक जलस्रोत, 14 वॉटर होल और दुर्गम पहाड़ियों के बीच अलौकिक छटाओं के दीदार भी पर्यटक कर रहे हैं। हनुमान चौक जंगल में गिद्ध का बसेरा है। यहां सात प्रकार के गिद्ध देखने को मिल जाते हैं। सबसे खास बात ये है कि यहां गिद्ध के राजा जटायु राज (लाल ग्रीवा वाले) देखने को मिलते हैं। इस प्रजाति के गिद्ध विलुप्त होते जा रहे हैं। लेकिन यहां इनकी संख्या काफी अधिक है।

दो केंद्रों से पर्यटकों को कराते हैं भ्रमण, ठहरने के लिए चार स्विस कॉटेज भी

वन विभाग ने पर्यटकों के भ्रमण के लिए दो केंद्र संचालित किए है। इनमें मुख्य मारकुंडी रेंज स्थित जामवंत ईको पर्यटन केंद्र किहुनिया है। यहां पर पर्यटकों के ठहरने के लिए चार स्विस कॉटेज बने हैं। विभागीय गेस्ट हाउस के साथ कैफेटेरिया भी है। यहां से करीब 13 किमी चौरी तक भ्रमण की सुविधा है। दूसरा केंद्र कल्याणपुर बनाया गया है। यहां से 12 किमी चौरी और हनुमान चौक होकर करीब 13 किमी रानीपुर गेस्ट हाउस तक भ्रमण की सुविधा है।

रानीपुर टाइगर रिजर्व में जानवर और पक्षी के अलावा किला भी दिखेगा

टाइगर क्षेत्र स्थित हनुमान चौक में गढ़ी परासिन का पुराना किला है। जिसके कुछ अवशेष देखने को मिलते है। यहां पर बावड़ी देखने पर्यटक पहुंच रहे है। दो प्राकृतिक सरोवर भी यहां हैं। किले के आसपास गिद्धों के आश्रय स्थल देखने को मिलते है। बरदहा नदी, कुल्लू डोल नाला, हथडोल नाला, दतिहा नाला, समदहा नाला, ड्योढ़ी नाला समेत अन्य कई प्राकृतिक नाले जानवरों की प्यास बुझाने का काम कर रहे है। वन विभाग ने 14 जगह वॉटर होल भी बनाए हैं।

रानीपुर टाइगर रिजर्व में घूमने का निर्धारित समय

पहली शिफ्ट- सुबह सात बजे से 11 बजे तक

दूसरी शिफ्ट- दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक

रानीपुर टाइगर रिजर्व में घूमने का निर्धारित किराया

कल्याणपुर से चौरी या रानीपुर गेस्ट हाउस तक- दो हजार रुपये

जामवंत ईको पर्यटन केंद्र से चौरी तक- ढाई हजार रुपये

रानीपुर टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल

बफर जोन- 299.05 वर्ग किमी

कोर जोन- 230.32 वर्ग किमी

कुल क्षेत्रफल- 529.36 वर्ग किमी

रानीपुर टाइगर रिजर्व में मौजूद प्रमुख वन्य जीव

टाईगर- 04

तेंदुआ- 86

काला हिरन- 50

भालू- 99

जटायु राज (लाल ग्रीवा)- 80

अन्य प्रजातियों के गिद्ध- 300

पैंगोलिन- 150

पक्षी प्रजातियां- 150 से अधिक

रानीपुर टाइगर रिजर्व के उप निदेशक डा एनके सिंह बताते हैं कि टाइगर रिजर्व में घूमने के लिए रोजाना पर्यटक पहुंच रहे है। अभी केवल एक जिप्सी उपलब्ध है, जिसे अनुबंधित किया गया है। इस क्षेत्र में विलुप्त हो रहे जटायु राज (लाल ग्रीवा) प्रजाति के गिद्धों की संख्या काफी है। सरकार इनका संरक्षण कर रही है। अब तक इस प्रजाति के पांच गिद्ध गोरखपुर के जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र भेजे जा चुके है। छह अन्य प्रजातियों के गिद्ध भी यहां हैं।

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