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महाकुंभ भगदड़ पर चिदानंद सरस्वती की अपील, श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएं सभी स्कूल-कॉलेज

  • महाकुंभ भगदड़ पर चिदानंद सरस्वती ने कहा कि केवल संगम नोज पर ही जाकर स्नान करने की कोशिश न करें। कहीं भी गंगा स्नान कर लें। उन्होंने कहा कि सभी स्कूल, कॉलेज और अस्पताल खोले जाएं, ताकि जब लोग पैदल चलकर थक जाएं, तो उन्हें कुछ देर बैठने और आराम करने की जगह मिले।

Deep Pandey लाइव हिन्दुस्तानThu, 30 Jan 2025 01:36 PM
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महाकुंभ भगदड़ पर चिदानंद सरस्वती की अपील, श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएं सभी स्कूल-कॉलेज

महाकुंभ भगदड़ पर परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मौनी अमावस्या पर सारी व्यवस्थाएं थीं, लेकिन कुछ लोगों की गलती की वजह से घटना हो गई। लोगों ने प्रशासन की बात नहीं मानी और बैरिकेडिंग को अनदेखा किया। हम सभी लोगों की मौत पर दुखी हैं। पूरा देश, प्रदेश और संत समाज शोकाकुल परिवारों के साथ खड़ा है। हम सब प्रार्थना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केवल संगम नोज पर ही जाकर स्नान करने की कोशिश न करें। कहीं भी गंगा स्नान कर लें। उन्होंने कहा कि सभी स्कूल, कॉलेज और अस्पताल खोले जाएं, ताकि जब लोग पैदल चलकर थक जाएं, तो उन्हें कुछ देर बैठने और आराम करने की जगह मिले। चिदानंद सरस्वती का कहना है कि हर यात्रा में पैदल चलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि चारों धाम बद्रीनाथ और केदारनाथ, वृंदावन, वैष्णो देवी की यात्रा देखिए, हर यात्रा में पैदल चलना पड़ता है। इसलिए हमें इस बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए कि हमें पैदल चलना है। बस चलते चलो। कुंभ आएं ,नहाए और ध्यान रखें।

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उन्होंने कहा कि पीएम मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और पूरी टीम व्यवस्थाओं को प्रभावी बनाने में जुटी है, ताकि ऐसी कोई घटना न हो। उन्होंने लोगों से अपील की कि नियमों को पालन करें। अधिकारियों का कहना मानें। उन्होंने अखाड़ों की तारीफ की। अखाड़ों ने पहले श्रद्धालुओं को स्नान करने दिया और साधु-संतों ने शाम को स्नान किया।

आपको बता दें कि मौनी अमावस्या की आधी रात संगम नोज पर हुए हादसे से देश-दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। मोक्ष की कामना के लिए धर्मक्षेत्र में पहुंचे 30 श्रद्धालुओं की मौत से उनके परिजन ही नहीं संत-महंत से लेकर आम आदमी तक आहत महसूस कर रहा है। वहीं दूसरे दृश्य में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ संगम की ओर प्रवाहमान रही और मेला क्षेत्र में भी संतों की संगत में सनातन की पताका फहराती रही।

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